केस से जुड़े लोगों के अलावा बाकी लोगों के प्रवेश पर पाबंदी
सुनवाई पूरी, फैसला २७ को

कबाड़खाना जमीन विवाद पर मप्र waqf ट्रिब्यूनल में शुरू हुई अर्जेंट हीयरिंग की दूसरी सुनवाई पुलिस के साए में हुई। एक दिन पहले मामले के दूसरे पक्ष के वकील जगदीश छावानी को कथित धमकी दिए जाने के बाद शासन प्रशासन ने एहतियाती इंतजाम किए थे। कोहेफिजा स्थित ट्रिब्यूनल के बाहर बड़ी तादाद में पुलिस बल तैनात किया गया था। पुलिस की कई गाड़ियां भी यहां मौजूद थीं। केस से जुड़े लोगों के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को यहां आने जाने की इजाजत नहीं थी।

देर दोपहर शुरू हुई सुनवाई के लिए दोनों पक्षों के वकील और पक्षकार ट्रिब्यूनल पहुंचे थे। मोहम्मद सुलेमान अपने वकील रफी ज़ुबैरी के साथ और नागवार अपने अधिवक्ता जगदीश छावानी के साथ पहुंचे थे। विवादित जमीन पर कब्रिस्तान होने का दावा करने वाले मोहम्मद सुलेमान ने अदालत से दस्तावेज, वकफ़ रिकॉर्ड और स्थितियों पर गौर करने की गुजारिश अदालत से की। जबकि दूसरे पक्ष ने विवाद में आई ३७ हजार वर्ग फीट जमीन का सौदा उनके पक्ष में होने की बात दोहराई।

२७ को आएगा फैसला

शनिवार को हुई अर्जेंट हीयरिंग के दौरान दोनों पक्ष के वकीलों ने अपनी अपनी दलीलें और दस्तावेज प्रस्तुत कर दिए हैं। इनके आधार पर ट्रिब्यूनल ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। इसको जाहिर करने के लिए २७ जनवरी की तारीख निर्धारित की गई है। मोहम्मद सुलेमान की तरफ से पेश हुए एडवोकेट रफी ज़ुबैरी और शरवत शरीफ ने कहा कि मामले को लेकर सभी दस्तावेज प्रस्तुत कर दिए गए हैं। इसी तरह दूसरे पक्ष के वकील जगदीश छावानी ने कहा कि मोहम्मद सुलेमान की तरफ से पेश किए गए १५१ में कार्यवाही पूरी हो गई है। इसका फैसला २७ जनवरी को सुनाया जाएगा।

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छावानी की कहानी पर ताज्जुब

एडवोकेट जगदीश छावानी ने शुक्रवार को कोहेफिजा थाना में शिकायत दर्ज कर कहा था कि उनपर चार अज्ञात लोगों ने हमला किया है। उन्होंने ये भी कहा कि था कि २१ जनवरी की सुनवाई के दौरान करीब डेढ़ सौ लोगों ने अदालत के अंदर हंगामा किया है। जबकि इस दौरान के वीडियो फुटेज इस बात को नकार रहे हैं कि वहां इतने लोग मौजूद थे। हंगामा और हमला करने वालों की उम्र जगदीश छावानी ने १८-२० साल के बीच बताई थी, इस उम्र के लोगों की मौजूदगी भी तस्दीक नहीं हो पा रही है। साथ ही जगदीश छावानी द्वारा हमले की जो जगह बताई गई है, उस पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि जानबूझकर ऐसी जगह बताई गई है, जहां सीसीटीवी की मौजूदगी नहीं है। आम चर्चा ये भी है जगदीश छावानी ने हमले की झूठी कहानी महज सिम्पैथी जुटाने, मामले को उलझाने और अदालत में सुनवाई की तारीख आगे बढ़ाने की नियत से रची है।

खान आशु

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