उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आठ दिसम्बर से शुरू हुई जूनियर विश्व कप हॉकी प्रतियोगिता में भारतीय हॉकी टीम मजूबत इरादे से उतरी है. दस दिनों तक चलने वाले इस हॉकी मेले में 16 देश की ब़डी टीमें अपना दम-खम दिखाने उतरी हैं.
प्रतियोगिता में भारत के आलावा दक्षिण अफ्रीका, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, कनाडा, मिस्र, इंग्लैंड, जर्मनी, जापान, कोरिया, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड व स्पेन जैसी ताकतवार टीमें शमिल हैं, ऐसे में भारतीय टीम के लिए चुनौती आसान नहीं होगी, टीम के कई खिलाड़ी अपनी जोरदार हॉकी चमकाने के लिए बेताब हैं.
भारतीय टीम में कई अनुभवी खिलाड़ियों को मौका दिया गया है. टीम में हरमनप्रीत सिंह जैसे मजबूत खिलाड़ी को भी जगह दी गई है. एफआईएच की तरफ से साल 2016 के इस राइजिंग स्टार खिलाड़ी पर अच्छे प्रदर्शन का दबाव होगा.
वह देश में ड्रैग फ्लिकर और डिफेंडर के रूप में सफल खिलाड़ियों में शुमार हो चुके हैं. वह रियो ओलम्पिक में भारत की टीम के सदस्य रह चुके हैं. वहीं टीम में मनदीप को भी मौका दिया गया है.
इससे पहले वह सीनियर स्तर पर भी अपना जलवा दिखा चुके हैं, मनदीप फॉरवर्ड लाइन को मजबूती प्रदान कर सकते हैं. टीम में कई ऐसे खिलाड़ी हैं जो भारतीय सीनियर टीम में अपनी हॉकी का लोहा मनवा चुके हैं.
भारतीय हॉकी टीम के कोच रोलैंड ओल्टमैंस ने जूनियर खिलाड़ियों से अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद लगायी है. कोच के अनुसार यह टीम इस विश्व कप में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में सक्षम लग रही है.
भारतीय टीम के अन्य खिलाड़ियों की बात की जाये तो इसमें फारवर्ड लाइन में अजित कुमार, सिमरनजीत सिंह के साथ-साथ अरमान कुरैशी व गुरजंत सिंह सबसे अहम साबित हो सकते हैं. डिफेंडर और ड्रैग फ्लिकर वरून कुमार का नाम भी शामिल है.
टीम की कमान पंजाब के हरजीत सिंह के कंधों पर है. वह मिडफिल्डर के रूप में भरोसे के खिलाड़ी माने जाते हैं. दूसरी ओर टीम की उपकप्तानी का जिम्मा दीपसान तिर्की सम्भाल रहे हैं.
हरजीत सिंह भारतीय जूनियर हॉकी टीम में कोई नया नाम नहीं है. 20 साल के उभरते हुए इस खिलाड़ी को अपने खेल के आलावा दूसरी चीजों के लिए भी जाना जाता है. टीम में उन्हें कड़क चाय पिलाने वाले के रूप में भी जाना जाता है.
एक ट्रक चालक का बेटा अब भारतीय टीम की कप्तानी कर रहा है. अभी हाल में उनकी प्रतिभा को देखते हुए उन्हें सबसे बेहतरीन युवा खिलाड़ी के रूप में दस लाख इनाम दिया गया था. कोच भी उनकी हॉकी के मुरीद रहे हैं.
टीम का दावा इस बार ज्यादा मजबूत लग रहा है क्योंकि इस टीम को बनाने में कोच रोलैंड ओल्टमैंस ने कड़ी मेहनत की है. इस बार भारतीय टीम के ग्रुप में कनाडा, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका जैसी उभरती हुई टीमेें शामिल हैं. टीम का पहला मुकाबला आठ दिसम्बर को कनाडा से होगा जबकि 10 दिसम्बर को इंग्लैंड व 12 दिसम्बर को दक्षिण अफ्रीका से दो-दो हाथ करना है.
यूपी में हॉकी के काफी प्रशंसक हैं. इससे पहले लखनऊ को हॉकी इंडिया लीग के मैचों की मेजबानी मिल चुकी है, लेकिन इस बार जूनियर विश्व की मेजबानी को लेकर सूबे के खेल प्रेमी काफी उत्साहित हैं. यूपी की राजधानी लखनऊ में इस प्रतियोगिता के लिए आयोजकों ने भी कड़ी मेहनत की है. शहर के सबसे बड़े मेजर ध्यानचंद स्टेडियम इस प्रतियोगिता के लिए खास तरीके से तैयार किया गया है.
यूपी हमेशा हॉकी का गढ़ रहा है. यहां से मेजर ध्यानचंद और केडी सिंह बाबू जैसे हॉकी के जादूगर हुए हैं. यहीं से मोहम्मद शाहिद के आलावा सैयद अली, सुजीत कुमार जैसी प्रतिभाएं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी हॉकी के लिए ख्याति प्राप्त कर चुकी हैं. वर्तमान में दानिश मुज्तबा सीनियर टीम में अपना दम-खम दिखा रहे हैं. सूबे में अब हॉकी को बड़े स्तर पर लाने की तैयारी की जा रही है.
इसी कड़ी में जूनियर विश्व कप हॉकी का आयोजन हुआ है. युवाओं को हॉकी के बारे में बताना होगा. एक वक्त था, जब भारतीय हॉकी की तूती पूरे विश्व में बोलती थी लेकिन बाद में खराब राजनीति के चलते हॉकी का स्तर एकदम से जमीन पर आ गया. ओलम्पिक जैसी प्रतियोगिता में टीम फिसड्डी साबित होने लगी थी लेकिन हाल के दिनों में हॉकी की तस्वीर बदली है.
अब भारतीय टीम ने सीनियर स्तर पर जोरदार प्रदर्शन किया है ऐसे में देश में हॉकी को लेकर लोगों का नजरिया बदला है. भारतीय हॉकी को अपने प्रदर्शन से लोगों को जवाब देना होगा. अगर टीम फिर से जीत की पटरी पर लौटती है, तो यह भारतीय हॉकी एक बार स्वर्णिम इतिहास को फिर वापस पा सकती है. यह तभी सम्भव जब टीम हर टूर्नामेंट में अपनी हॉकी डंका बजवाये.