rahuwar dasझारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास भले ही अपने दो साल के कार्यकाल को बेमिसाल बताकर पार्टी के आला नेताओं से अपनी पीठे थपथपवा लें या फिर अपने नेताओं से तारीफों के पुल बंधवा लें, पर सच्चाई कुछ और ही है. अगर स्थानीय नीति को छोड़ भी दें, तो सरकार ने ऐसा कुछ  नहीं किया है, जिसे बेमिसाल कहा जा सके.

जब मुख्यमंत्री ने अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों, विधायकों, सांसदों एवं कार्यकर्ताओं को पंचायत स्तर पर जाकर सरकार की उपलब्धियां बताने को कहा, तो उन्हें यह समझ नहीं आया कि आखिर कौन सी उपलब्धियां जनता को बताई जाएं. आदिवासी बहुल क्षेत्रों में तो भाजपाई जाने से ही कतरा रहे थे, क्योंकि सीएनटी एसपीटी एक्ट में संशोधन के कारण राज्य के अधिकतर आदिवासी आक्रोशित हैं.

यहां तक कि मुख्यमंत्री रघुवर दास को खुद सरायकेला-खरसांवा में आदिवासियों के विरोध का सामना करना पड़ा. यहां आक्रोशित जनसमुदाय ने मुख्यमंत्री की सभा में जाकर बवाल काटा और जूते-चप्पल तक फेंके. पूरे राज्य में पांच सौ से अधिक जनसभा करने का निर्णय पार्टी स्तर पर लिया गया था, इसके लिए प्रखंड स्तर पर उपलब्धियों की सूची भी भेजी गई थी, जिसे जनता को बताया जाना था.

रघुवर सरकार अपनी उपलब्धियों पर जनता की वाहवाही तो नहीं बटोर सकी, वहीं कुछ मामलों को लेकर सरकार की जमकर किरकिरी हुई. ऐसे कुछ मामले हैं, सीएनटी एसपीटी एक्ट में संशोधन, रांची में बीटेक छात्रा की निर्मम हत्या के एक माह बाद भी अपराधियों का सुराग नहीं मिलना, एनटीपीसी के विस्थापितों पर पुलिस गोलीकांड, देश-विदेश के दौरों के बाद एक भी निवेशकों का झारखंड नहीं आना, अडानी समूह के लिए नियमों को शिथिल कर लाभ पहुंचाना, बुनियादी समस्याओं का घोर अभाव आदि. भ्रष्टाचार एवं नक्सलवाद जैसी गंभीर समस्याओं को समाप्त करने का दावा भले ही मुख्यमंत्री जोर-शोर से करें, पर नक्सल समस्या से पूरा राज्य त्रस्त है.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एक महत्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत योजना है. राज्य में 21 लाख व्यक्तिगत शौचालय के निर्माण की बातें कही गईं,  3300 गांवों को खुले में शौच से मुक्त कराने का दावा किया गया, लेकिन एक अंतरराष्ट्रीय संस्था के सर्वे से पता चला कि 14 लाख से अधिक शौचालयों का कोई अता-पता ही नहीं है. अधिकारियों की मिली-भगत से बिचौलिए रकम डकार गए. हरमू नदी के सौन्दर्यीकरण का काम गुजरात की एक कंपनी को नब्बे करोड़ में दिया गया, पर हाल ये है कि यह नदी एक बड़े नाले में तब्दील होकर रह गई. हजारों गांवों में न तो बिजली पहुंची है और न ही सड़क, इसके बावजूद राज्य को सबसे समृद्ध और बेमिसाल होने का दावा किया जा रहा है.

रघुवर दास दावा करते हैं कि यह पहला राज्य है, जो कैशलेस हुआ और डिजीटल इंडिया की शुरुआत हुई है. मुख्यमंत्री ये भी कहते हैं कि उनके सफल प्रयास के कारण ही झारखंड को निवेश के मामले में तीसरा स्थान दिया गया है. यही कारण है कि देश-विदेश के निवेशक झारखंड का रुख करने लगे हैं. उन्होंने कहा है कि पांच वर्षों में झारखंड देश का सबसे समृद्ध राज्य होगा.

भाजपा नेताओं में से अधिकतर की राय है कि मुख्यमंत्री दास पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं की उपेक्षा करते हैं. मुख्यमंत्री अपने काम पर ध्यान कम देते हैं, जबकि पार्टी में  समकक्ष नेताओं का कद छोटा करने में ज्यादा रुचि लेते हैं. यही कारण है कि संगठन और सरकार में मुख्यमंत्री के विरोधियों की संख्या ज्यादा है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बहुमत में होने के बाद भी दो वर्षों में मुख्यमंत्री बारहवां मंत्री नहीं खोज सके हैं. राज्यपाल ने इस पर आपत्ति जताते हुए जल्द मंत्रिमंडल को पूरा करने का निर्देश दिया था, पर अभी तक एक मंत्री का पद खाली है.

विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दो साल के कार्यकाल को पूरी तरह विफल बताते हुए कहा कि यह सरकार आदिवासी, मूलवासी एवं अल्पसंख्यक विरोधी है. मुख्यमंत्री केवल आदिवासियों को जमीन से बेदखल कर औद्योगिक घरानों को लाभ पहुंचाने का काम कर रहे हैं. दो साल में कोई विकास का काम नहीं हुआ है. रघुवर दास के कार्यकाल के बारे में जब दो सौ मतदाताओं से पूछा गया, तो अधिकतर ने कहा कि दो साल में कोई ऐसा काम नहीं हुआ, जिसे सरकार की उपलब्धि बताई जा सके.

500 सभाएं कर गिनाईं सरकार की उपलब्धियां

भाजपा के आला नेताओं के आदेश पर पंचायतों से लेकर जिला स्तर पर 500 सभाएं की गईं और इसमें सरकार की उपलब्धियां बताई गईं. इसके लिए बड़े-बड़े पम्फलेट एवं बुकलेट छपवाकर जनता के बीच बांटे गए. कुछ सभाओं में हुड़दंग भी हुए. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता जेबी तुबिद की सभा में तो ग्रामीणों ने काले झंडे भी दिखाये, यहां तक कि मुख्यमंत्री रघुवर दास की एक सभा में ग्रामीणों ने जमकर बवाल किया, मुख्यमंत्री विरोधी नारे लगाए और जूते-चप्पल तक फेंके. बाद में सरायकेला के उपायुक्त एवं आरक्षी अधीक्षक का तत्काल स्थानान्तरण सरकार ने कर दिया था.

सरकार का कार्यकाल पूरी तरह विफल: कांग्रेस

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखदेव भगत ने कहा कि सरकार को दो साल का जश्न मनाने का कोई नैतिक हक नहीं है. कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि विश्व बैंक और डीआईपीपी की ताजा रैंकिंग में झारखंड को तीसरे से सातवें स्थान पर रखा गया है. उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष समाप्त होने में तीन माह बचे हैं, पर योजना राशि का पचास प्रतिशत भी अभी तक खर्च नहीं हो पाया है, राजस्व लक्ष्य भी पूरा नहीं हो सका है. खनन विभाग सात हजार करोड़ के लक्ष्य के मुकाबले मात्र दो हजार करोड़ रुपये ही राजस्व ला सका है.

झाविमो जारी करेगा ब्लैक-पेपर: प्रदीप यादव

झारखंड विकास मोर्चा के प्रधान महासचिव प्रदीप यादव ने सरकार के दो साल के कार्यकाल पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि सरकार ने दो वर्ष में कोई काम नहीं किया है, केवल लुभावनी घोषणाएं कर जनता को गुमराह किया है. उन्होंने कहा कि सरकार के दो साल के कार्यकाल पर झाविमो जल्द ही ब्लैक पेपर जारी करेगा. सरकार के कार्यकाल में नमक घोटाले का पर्दाफाश आज तक नहीं हो सका है. विधानसभा समिति की रिपोर्ट भी धूल फांक रही है. ऊर्जा नीति में संशोधन के कारण सरकार को 2300 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. पीटीपीएस को एनटीपीसी को सौंपना, संथाल परगना की जमीन को औने-पौने दामों में उद्योगपतियों को बेचना, यह सब राज्य सरकार का भ्रष्टाचार नहीं है, तो क्या है?

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