jharkhandसेवा की प्रतिमूर्ति माने जाने वाली मिशनरीज की सिस्टर के सफेद कपड़ों के पीछे कालेे धंधे की बात सुनकर लोेगों में आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा. मिशनरीज ऑफ चैरिटी द्वारा संचालित निर्मल हृदय संस्था बच्चा पैदा कराने वाला प्रोडक्शन हाउस बन गया था. मदर टेरेसा ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी कि मानवता की सेवा के लिए उनके द्वारा स्थापित मिशनरीज ऑफ चैरिटी मानवता विरोधी कार्यों से होने वाली अवैध कमाई का जरिया बन जायेगी. संस्था की शाखाएं निर्मल हृदय और शिशु भवन में लंबे समय से नवजात शिशुुओं की खरीद-फरोख्त का अनैतिक धंधा चल रहा था.

चौंकाने वाली बात तो यह है कि जब बाल कल्याण समिति के तत्कालीन अध्यक्ष ओमप्रकाश सिंह ने इस गोरखधंधे के विरुद्ध आवाज उठाई और 2015 में निर्मल हृदय और डोरंडा शिशु भवन का निरीक्षण एवं जांच करने का प्रयास किया, तो उन पर छेड़छाड़ का आरोप लगाकर उन्हें बर्खास्त करा दिया गया. इससे समझा जा सकता है कि राज्य में मिशनरीज संस्थाएं कितनी ताकतवर है और इस अवैध धंधे में कितने ताकतवर सफेदपोश शामिल रहे हैं. वह भी तब जब राज्य एवं केन्द्र में भाजपा की सरकार है, जिसे संभवत: मिशनरीज समर्थक तो नहीं कहा जा सकता.

280 मामलों में शिशुओं का क्या हुआ

जिस निर्मल संस्था को लेकर इन दिनों बवाल मचा हुआ है, उसके जब्त कागजात ही इस बात की गवाही दे रहे हैं कि वर्ष 2015 से मार्च 2018 के बीच निर्मल हृदय और शिशु भवन में 450 गर्भवती महिलाएं भर्ती करायी गयी. इसमें से केवल 170 की ही प्रसव रिपोर्ट बाल कल्याण समिति को दी गयी. शेष 280 मामलों में शिशुओं का क्या हुआ, इसका कोई अता-पता नहीं है. मामला उजागर होने के बाद जब इसकी उच्चस्तरीय जांच शुरु हुई तो कई चौंकानेवाले तथ्य सामने आ रहे हैं. इस मामले में पुलिस ने निर्मल हृदय के दो सिस्टरों को हिरासत में लिया है. उन्होंने पूछताछ में यह स्वीकार किया कि कई दम्पतियों को ऊंचे दामों पर बच्चे को बेचा है और इसका जिक्र संस्था के रजिस्टर में नहीं किया गया है.

कैसे खुला मामला

इस खेल में मिशनरीज बहुत ही गोपनीयता बरत रही थी. यह मामला अभी भी नहीं खुलता, पर उत्तर प्रदेश के एक दम्पत्ति से निर्मल हृदय की सिस्टरों ने एक बच्चे को एक लाख बीस हजार रुपये में बेचा. सीडब्लूसी की अध्यक्ष रुपा कुमारी ने बताया कि संस्था में एक अविवाहित युवती का प्रसव रांची के सदर अस्पताल में हुआ. उसने एक लड़के को जन्म दिया था. संस्था की कर्मचारी अनिमा इंदवार ने चार दिन बाद ही इस बच्चे को उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिलेे के ओवरा के दंपत्ति सौरभ एवं प्रीति अग्रवाल को बच्चा दिया और उससे अस्पताल खर्च के नाम पर एक लाख बीस हजार रुपये लिए. 30 जून को सीडब्लूसी ने चैरिटी होम का औचक निरीक्षण किया था. इससे डरकर अनिमा ने अग्रवाल दम्पत्ति को यह कहकर बुलाया कि बच्चे को कोर्ट में पेश करना है.

उसके बाद बच्चा उसे सौंप दिया जायेगा. पर इसके बाद अनिमा फिर उस दम्पत्ति से मिली ही नहीं. तब 3 जुलाई को अग्रवाल दम्पत्ति मिशनरीज ऑफ चैरिटी गये और बच्चे के संबंध में पूछा, पर उन्हें कोई जानकारी नहीं मिली. तब अग्रवाल दंपत्ति ने सीडब्लूसी से शिकायत की, तब सीडब्लूसी ने अनिमा से पूछताछ की तो पूरे मामले का खुलासा हुआ और नवजात को बरामद किया गया. इस मामलेे में सीडब्लूूसी ने जब पुलिस से शिकायत की तो पुलिस ने सबसे पहलेे अनिमा इंदवार को गिरफ्तार किया. संस्था की सिटस्र कोनसीलिया एवं सिस्टर मेरिडियन को हिरासत में लेकर पूछताछ की. पुलिस की सख्ती के बाद सिस्टर कोनसीलिया ने अपराध स्वीकार करते हुए कहा कि उसने अभी तक चार बच्चे को बेचा है. पुलिस ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी की विभिन्न संस्थाओं की जब जांच की तो वहां के रजिस्टर गायब मिले.

सूद पर लगाते थे पैसे

बच्चों की बिक्री से मिलेे पैसों को अनिमा एवं अन्य सिस्टर सूद पर लोेगों को देती थी. सिस्टर कोनसिलिया ने पुलिस को बताया कि उसने अनिमा को सूद पर पैसे लगाने के लिए पैसे दिये थे. बच्चों की बिक्री से मिलने वालेे पैसों को सभी सिस्टर आपस में बांट लेती थी. वैसे इस संस्था की प्रमुख सिस्टर मैरी ने अपनी संलिप्तता से साफ इंकार करते हुए कहा कि उन्हें इन सब बातों की जानकारी नहीं थी. पर यह हो ही नहीं सकता. आखिर पुलिस ने जब संस्था में छापेमारी की तो सिस्टर भागने क्यों लगी. पुलिस के वरीय अधिकारियों ने मामला समझाकर सिस्टरों से पूछताछ शुरू की तो 280 नवजातों का कोई अता-पता नहीं था.

जाहिर है कि बच्चों को भारी कीमत पर उन दम्पत्तियों को बेचा जाता था, जिनके बच्चे नहीं हो रहे थे. कोख का सौदा कर इन संस्थाओं ने करोड़ों की सम्पत्ति झारखंड में अर्जित की. रांची के पॉश इलाके में जमीन खरीद कर करोड़ों का मकान बनाया. रांची में अरबों रुपयों की सम्पत्ति है. साथ ही झारखंड के विभिन्न जिलों में मिशनरीज संस्थाओं ने अरबों रुपयों की जमीन खरीदी, जिसकी जांच की मांग की जा रही है. मिशनरीज ऑफ चैरिटी का ही दस साल का टर्नओवर नौ अरब से ज्यादा है. इससे यह जाहिर होता है कि संस्था सेवा कार्य में लगी हुई थी या व्यापार में. अगर मिशनरीज के कार्यकलाापों की जांच सीबीआई से करायी जाय तो बड़े-बड़े खुलाासे हो सकते हैं.

पेज नंबर 800 का सच! 

पुलिस ने जब निर्मल हृदय में छापामारी की तो वहां बीच के पन्ने गायब मिलेे, पर अंतिम पेज पर पेज नंबर 800 अंकित था. इससे यह साफ जाहिर होता है कि इस संस्था में 800 गर्भवती महिलाएं रहती थी. एक तेरह वर्ष की गर्भवती बच्ची भी रह रही थी. उसके बच्चे को भी संस्थान ने बेच डाला था. इस आश्रम से बच्चों की बिक्री का खेल बहुत पहलेे से ही चल रहा था. बच्चे बेचने का पहला मामला 2014-15 में ही सामने आया था. पर इस खेल की जांच को  ब्यूरोक्रेट्‌स और सफेदपोशों ने गिरोह बनाकर दबा दिया था.

इसके बाद तो व्यापक पैमाने से बच्चों के सौदेबाजी का खेल शुरू हो गया. तीन वर्षों की फाईल के अनुसार 280 बच्चों की कोई जानकारी सीडब्लूसी को नहीं दी गयी. वैसे निर्मल हृदय की जब्त रजिस्टर में बच्चों को जन्म देनेवाली मां की तस्वीर, पिता, पता सहित पूरी जानकारी है. रजिस्टर में पहलेे बच्चे की एंट्री 4 मार्च, 2016 की दर्ज है, वहीं आखिरी बच्चे की एंट्री 26 जून, 2018 है. कुछ बच्चों की एंट्री का सीरियल नम्बर-800 के पार है. ऐसे में आशंका व्यक्त की जा रही है कि रजिस्टर में कई तरह से छेड़छाड़ की गयी है.

सरकार क्या कर रही है

इधर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पूरे मामले की जांच का आदेश दिया है. राज्य के पुलिस महानिदेशक डीके पाण्डेय ने गृह सचिव को पत्र लिखकर मिशनरीज ऑफ चैरिटी एवं उससे जुड़ी अन्य संस्थाओं के फंड की सूक्ष्म जांच केन्द्र सरकार से कराने को कहा है. इसके साथ ही यह भी कहा है कि केन्द्र से अनुरोध किया जाए कि जांच पूरी होने तक मिशनरीज ऑफ चैरिटी सहित इससे जुड़े अन्य संस्थाओं के एकाउन्ट को फ्रीज कर दिया जाय. पुलिस महानिदेशक ने यह भी कहा है कि मिशनरीज ऑफ चैरिटी द्वारा प्राप्त राशि का उपयोग अन्य कार्यों में भी किया जा रहा है.

वैसे मुख्यमंत्री रघुवर दास ने तो पूरे मामलेे की जांच करने के आदेश तो दे दिये हैं, लेेकिन इसका ठोस नतीजा तभी निकलेेगा जब सरकारी मशीनरी जांच पूरी ईमानदारी से कर इससे जुड़े ताकतवर सफेदपोशों पर भी शिकंजा कसे. वैसे निर्मल हृदय का 25 मई 2018 को निबंधन समाप्त हो गया था.  संस्था ने दोबारा निबंधन के लिए आवेदन भी नहीं दिया था. पिछलेे डेढ़ माह से संस्था बिना निबंधन कराए ही काम कर रही थी. पुलिस को इससे संबंधित भी दस्तावेज मिले है, जिसकी जांच चल रही है. संस्था की सिस्टर से भी पुलिस इस मामले में जानकारी एकत्रित कर रही है कि बिना निबंधन अब तक क्या-क्या काम हुआ है.

चर्च सीबीआई जांच के लिए तैयार : बिशप थियोडोर

मिशनरीज ऑफ चैरिटी में बच्चा बेचने के मामले में कैथोलिक बिशप कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) के महासचिव ऑक्जलरी बिशप थियोडोर मस्कराहनेस ने अपना पक्ष रखा. बिशप मस्कराहनेस ने कहा कि चर्च मिशनरीज ऑफ चैरिटी मामलेे में सीबीआई जांच कराने के लिए तैयार है. कोचांग सामूहिक दुष्कर्म की घटना की भी सीबबीआई जांच होनी चाहिए. ताकि सच्चाई सामने आ सके. उन्होंने कहा कि बच्चों को बेचने के मामले में मदर टेरेसा की संस्था शामिल नहीं है. अनिमा इंदवार के कार्य की हम निंदा करते हैं. परन्तु मिशनरी ऑफ चैरिटी की सिस्टर निर्दोष हैं और उन्होंने पुलिसिया दबाव में गलती स्वीकार की है. आठ दिनों तक गिरफ्तार सिस्टर से मिलने नहीं दिया गया. जब मुलााकात हुई तो बड़े अपराधी की तरह सिस्टर से दूरी रखी गई.

सिस्टर ज्यादा सुन नहीं सकती है. फिर भी सिस्टर ने हमारे अधिवक्ता को बताया कि दबाव में आकर उन्होंने अपनी गलती स्वीकारी है. बिशप ने कहा कि मिशनरी ऑफ चैरिटी के विदेशी फंड की जांच की गई है. गृह मंत्रालय हर तीन माह में जांच करता है, इसलिए फंडिंग की जांच से कोई एतराज नहीं है. मिशनरी ऑफ चैरिटी के साथ अन्य संस्थाओं के भी विदेशी फंड की जांच होनी चाहिए. उन्होंने बताया कि 1959 से मिशनरी ऑफ चैरिटी कार्य कर रही है. चैरिटी के सभी हाउस की जांच बाल कल्याण समिति कर चुकी है, उसमें कोई गड़बड़ी नहीं मिली और उत्कृष्टता का भी प्रमाण-पत्र दिया गया. ऐसे में 280 बच्चों को बेचे जाने की बात गलत है.

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