cyber-copyसावधान! अगर आपके मोबाईल फोन पर कॉल आए और कोई आपसे आपके एटीएम कार्ड का नंबर और पिन पूछे तो सावधान रहें, नहीं तो पिन नंबर बताते ही आपके खाते से राशि गायब हो जाएगी और आपको यह भी पता नहीं लग पाएगा कि आपके खाते से किसने राशि गायब कर दी. इसके अलावा जिस नंबर से आपके पास कॉल आई थी वह भी बंद मिलेगा. यह सब ठगी का काम झारखंड के एक छोटे और पिछड़े जिले से हो रहा है. पूरे देश में साइबर क्राइम का संचालन जामताड़ा से ही होता है और अब तो अन्य राज्यों के लोग भी यहां साइबर क्राइम की ट्रेनिंग लेने आ रहे हैं. झारखंड का एक छोटा एवं सबसे पिछड़ा जिला जामताड़ा कभी अपने पिछड़ेपन और गरीबी को लेकर यह कभी सुर्खियों में रहता था, पर अब यह जिला साइबर ठगी के कारण सुर्खियों में है. इस जिले के लगभग एक सौ गांवों में साइबर अपराधियों का जाल बिछा हुआ है. और इस सिंडिकेट में एक हजार से भी अधिक साइबर ठग शामिल हैं जिसमें अधिकांश युवा और लड़कियां है.

इस जिले के साइबर ठगों ने अभी तक देश के विभिन्न राज्यों से अरबों रुपये की ठगी की है, और यही कारण है कि देश के 22 राज्यों की पुलिस इस गांव से हो रहे साइबर क्राइम से तबाह है. जिले का करमाटांड थाना क्षेत्र इस गिरोह का मुख्य अड्डा है, और देश भर की पुलिस की रडार पर यह गांव रहता है. इन साइबर ठगों ने केंद्रीय मंत्री सहित कई जाने-माने लोगों को भी चूना लगाया है, देश के विभिन्न राज्यों की पुलिस यहां छापामारी कर तकरीबन 145 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार कर अपने राज्य ले गई है, पर यह अपराध रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है. इजी मनी के कारण युवा इस ओर आकर्षित हो रहे हैं. इस वजह से अपराध एवं अपराधियों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो रही है. लचर क़ानून व्यवस्था का लाभ उठाकर अपराधी लोगों को रोजाना लाखों का चूना लगा रहे हैं.

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राज्य के अपर पुलिस महानिदेशक एसएन प्रधान का मानना है कि राज्य में साइबर क्राइम ब़ढ़ा है और इसे देखते हुए पुलिस मुख्यालय में इसके लिए एक विशेष सेल का गठन किया गया है. इसमें एक्सपर्ट्स को लगाया गया है, और साइबर से जुड़े अपराधों की जांच की जा रही है. जामताड़ा, गिरिडीह, धनबाद में भी साइबर अपराधी सक्रिय हैं, इन गिरोहों की पहचान कर छापामारी अभियान भी चलाया जा रहा है. अभी तक डेढ़ सौ से भी अधिक अपराधियों को  गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है. स्थानीय विधायक डॉ. इरफान अंसारी का मानना है कि साइबर क़ानून काफी लचीला है और इसका फायदा आरोपी उठा रहे हैं, क़ानून के लचीले होने की वजह से साइबर अपराधियों का मनोबल भी बढ़ा है और वे पुलिस की आंखों में धूल झोंककर लगातार घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. उन्होनें कहा कि अपराधी किस टेक्नोलॉजी का उपयोग कर रहे हैं, इसका पता लगाकर इस पर रोक लगानी चाहिए, साथ ही इसके लिए कड़े प्रावधान किए  जाने चाहिए, ताकि साइबर अपराधी छूट नहीं पाएं.

कभी इस गांव में घोर गरीबी थी और लोगों को एक जून का खाना भी नसीब नहीं होता था. पर अब करमाटांड थाना क्षेत्र के कालाझरिया, हिलुवा, मियांटांड, शीतलपुर, मोहनपुर, सिकरपुसनी जैसे सैकड़ों गांव ऐसे हैं जहां आज झोपड़पट्टी की जगह आलीशान मकानों ने ले ली है, महंगी मोटर बाइकें एवं कारें इस गांव में देखने को मिल जाती हैं. साइबर ठगों ने एक आलीशान मंदिर भी बनवा लिया है जहां शिकार मिलते ही बकरे को बलि दी जाती है और युवा महंगी शराब का सेवन कर जश्‍न मनातें हैं, इस थाना क्षेत्र के युवा सुबह उठते ही मंदिर में मन्नत मांग कर अपने दिन की शुरुआत करते हैं और दिनभर शिकार की तलाश में मंहगे फोन एवं लैपटॉप का इस्तेमाल कर घटना को अंजाम देते हैं.

साइबर ठगों ने शिकार करने का अनोखे तरीके अपना रखे हैं,गांव के जंगलों मे खासकर बांस की  घनी झाड़ियों में चहल-कदमी करते हुए वे लोगों को फोन कर उनके का बैंक एटीएम नंबर और पासवर्ड पूछते हैं और लोगों को झांसा देकर पिन नंबर हासिल करने में सफल हो जाते हैं. पिन नंबर मालूम होते ही वे संबंधित बैंक खाते से रुपये उड़ा लेते हैं. बैंक से राशि निकालने के साथ ही उन लोगों का सिम कार्ड बंद हो जाता है और धोखाधड़ी का शिकार व्यक्ति जब उस नंबर पर कॉल करता है तो वह बंद मिलता है. दरअसल सारे सिम फर्जी पते और फर्जी पहचान पत्र के आधार पर लिए जाते हैं. इस कारण पुलिस भी अपराधी का पता नहीं लगा पाती है. लोगों का मानना है कि बांस की झाड़ियों एवं जगंलों का उपयोग अपराधी इसलिए करते है ताकि उन्हें सिगनल मिलने में कोई कठिनाई न हो. बांस की झाड़ियों को अर्थिंग के लिए काफी अच्छा माना जाता है.

पुलिस भी इन गांवों से चल रहे इस गोरखधंधे से अनभिज्ञ नहीं है लेकिन अधिकतर मामलों में छापामारी करने आई पुलिस टीम वास्तविक अपराधियों तक नहीं पहुंच पाती है, अगर आरोपियों के बारे में पुलिस को पता भी चलता है तो पूरे गांव वाले इकट्ठे हो जाते हैं और गिरफ्तारी का विरोध करने लगते हैं. पुलिस को किसी भी अपराधी को पकड़ने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है. साइबर अपराधी गिरोह के सदस्य कई स्तर पर ठगी को अंजाम देते हैं. एक स्तर पर झांसा देकर एटीमएम नंबर एवं पिन की जानकारी ली जाती है तो दूसरे स्तर पर साइबर अपराध से जुड़े ठग बैंक खाते से पैसे ट्रांसफर करते हैं. वहीं तीसरे स्तर पर सदस्य पैसे की निकासी एवं ऑनलाइन खरीददारी करते हैं. इस गांव के साइबर क्राइम से जुड़े युवा एवं लड़कियां ज्यादा पढ़ी-लिखी भी नहीं हैं, पर फर्राटेदार इंग्लिश एंव शुद्ध हिंदी बोलते हैं, ताकि सामने वाला प्रभावित होकर उसके चंगुल में फंस जाए. एक व्यक्ति बैंक अधिकारी बनकर लोगों से बात करता है तो दूसरा अपराधी मोबाईल, लैपटॉप एवं टैब के जरिए काम को आगे बढ़ाता है. लोगों से एटीएम एवं पिन की जानकारी मिलते ही तुरंत उनके खाते से पैसे उड़ा लेते हैं, उसके बाद उपयोग में लाए गए सिमकार्ड को बंद कर देते हैं. साइबर अपराध में शामिल युवा किस सॉफ्टवेयर का उपयोग कर रहे हैं पुलिस अब तक इसका पता नहीं लगा सकी है. धीरे-धीरे साइबर अपराधियों का जाल समीपवर्ती जिलों में भी फैलता जा रहा है.

पुलिस सूत्रों के मुताबिक इस क्षेत्र के दो युवाओं ने दिल्ली में ट्रेनिंग ली थी, इसके बाद इस क्षेत्र के युवाओं को जाल में फंसाकर उन्हें साइबर क्राइम की ट्रेनिंग दी गई. इन युवाओं को अचानक संपन्न होता देख आस-पास के युवा भी इन ठगों के जाल में फंसकर ठग बन गए. अब तो इस सिंडिकेट में एक हजार से भी ज्यादा लड़के- लड़कियां हैं. ट्रेनिंग पाए लड़के-लड़कियां अपने परिवार के साथ-साथ अपने सगे-संबंधियों को भी ट्रेनिंग देकर आर्थिक रूप से सम्पन्न बनाते जा रहे हैं. अब तो झारखंड के बाहर के भी युवा खासकर दक्षिण भारत के लोग साइबर क्राइम की ट्रेनिंग लेने जामताड़ा आते हैं और इसी गिरोह के सदस्य के रूप में काम करते हैं. भले ही बाहरी राज्यों से लोग अपराध को अंजाम देते हैं, पर उनका कमीशन भी जामताड़ा पहुंच जाता है.

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करमाटांड के एक स्थानीय बंगाली परिवार के निमाई दा का कहना है कि कभी यह क्षेत्र ईश्‍वर चंद्र विद्यासागर जैसे प्रसिद्ध शिक्षाविद के कर्मस्थल के रूप में जाना जाता था और लोग गर्व से इस जगह का नाम लेते थे कि वे इस क्षेत्र के निवासी हैं, पर अब अपने को इस क्षेत्र का बताने में सिर शर्म से झुक जाता है. यह क्षेत्र अब साइबर अपराध का अड्डा बन गया है. यहां के युवा लगातार इस दलदल में फंसते जा रहे हैं. सबसे शर्मनाक बात यह है क्षेत्र में शायद ही कोई दिन ऐसा होता हो जब विभिन्न राज्यों की पुलिस यहां आकर छापामारी न करती हो. अब तो इस क्षेत्र में जन्म लेने वाले बच्चों को उनके  माता-पिता ही साइबर क्राइम का पाठ पढ़ाने लगे हैं और गांव के युवा आकर्षक कमाई के लालच में अपराध के जाल में फंसते जा रहे हैं.

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