बागमती की दहाड़ से हलकान रहे सीतामढ़ी जिले के रून्नीसैदपुर विधानसभा क्षेत्र के लोगों को साल 2005 के विधानसभा चुनाव से पूर्व महसूस होने लगा था कि अब उनके यहां विकास का आगमन होने वाला है. साल के तकरीबन चार माह तक बाढ़ व बरसात का प्रकोप झेलने वाले लोग अच्छे दिनों का सपना देखने लगे थे. चुनावी शोर के बीच मुख्यमंत्री पद के तत्कालीन दावेदार रहे नीतीश कुमार ने चुनावी सभाओं में घोषणा की थी कि अगर सूबे में सत्ता परिवर्तन हुआ, तो सबसे पहले सीतामढ़ी-मुजफ्फरपुर राष्ट्रीय उच्च पथ संख्या- 77 का कायाकल्प कर लोगों को हो रही परेशानियों से मुक्ति दिलाया जाएगा. यह भी कहा गया था कि बागमती की बेलगाम धारा को नियंत्रित कर आमजनों को राहत दिलाया जाएगा. लोगों ने इन वादों पर भरोसा जताया और जदयू की टिकट पर चुनाव लड़ रही एनडीए प्रत्याशी गुड्डी देवी तकरीबन साढ़े 15 हजार मतो से विजयी हुईं.
नीतीश कुमार की सरकार ने चुनावी घोषणाओं को अमलीजामा पहनाते हुए एनएच-77 के कटौझा में बागमती नदी पर करोडों की लागत से रामवृक्ष बेनीपुरी सेतू का निर्माण कराकर स्थानीय लोगों की एक गंभीर समस्या का समाधान किया. वहीं बागमती के तटबंध निर्माण के अधूरे कार्य को भी पूरा कराया गया. यही कारण भी था कि 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में लोगों ने फिर से नीतीश कुमार पर भरोसा जताया और जदयू प्रत्याशी गुड्डी देवी इसबार साढ़े 10 हजार मतो से विजयी होकर विधानसभा पहुंचीं.
इस दौरान क्षेत्र में व्यापक स्तर पर बदलाव देखने को मिला. आम लोगों में सरकार के प्रति विश्वास भी बढ़ा. लेेकिन गठबंधन की राजनीति के कारण बिहार की एनडीए सरकार दूसरे कार्यकाल का आधा सफर ही पूरा कर सकी. 2015 के विधानसभा चुनाव में पासा बिल्कुल पलट गया. पूराने दोस्त इसबार चुनावी समर में आमने-सामने थे. उम्मीदवारी में भी फेरबदल हुआ. लगातार 10 सालों तक जदयू की झोली में रहने वाला रून्नीसैदपुर सीट राजद के खाते में चला गया.
10 साल की विधायकी छीनने के डर से गुड्डी देवी ने जदयू का साथ छोड़ दिया. लेकिन तब से अब के बीच बिहार के सियासी घड़ी की सुई 360 डिग्री पर घूम गई है. अब देखने वाली बात यह होगी कि जदयू में पुराने साथियों की वापसी का लाभ जिले में पार्टी को किस हद तक मिलेगा. हाल के महीनों में कई चेहरे इधर से इधर हुए हैं. दिसंबर के पहले सप्ताह में ही शिवहर के पूर्व सांसद मो. अनवारूल हक के पुत्र मो. आजम हुसैन अनवर ने जदयू की सदस्यता ग्रहण की. अन्य दलों से जदयू में आने वाले कार्यकर्ता व नेताओं से पार्टी को कितना फायदा होगा, यह तो बाद की बात है, अभी तो अपने ही घर से बेघर नेताओं की वापसी को लेकर चर्चाओं का बाजार गरमाने लगा है.
सीतामढ़ी जिले के राजनीतिक गलियारे में लोग रून्नीसैदपुर की पूर्व विधायक की जदयू में वापसी को बेहतर मानते हैं. 5 दिसंबर 2017 को जब गुड्डी देवी फिर से जदयू का दामन थाम रही थीं, तब बिहार प्रदेश जदयू कार्यालय परिसर में रून्नीसैदपुर के अलावा जिले के तकरीबन सभी विधानसभा क्षेत्रों से भारी संख्या में लोग पहुंचे थे. प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने गुडडी देवी को पुन: पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई. इस दौरान हाथी, घोड़ा व उंट आदि पूरे ताम-झाम के साथ पहुंचे हजारों कार्यकर्ताओं ने प्रदेश नेतृत्व के समक्ष गुड्डी देवी का मान बढ़ाया.
उक्त कार्यक्रम के दौरान कुछ ऐसे लोग भी मौजूद रहे, जो बीते चुनाव में किसी अन्य दल के प्रत्याशी के सारथी की भूमिका में देखे गए थे. इसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति लोगों के बढ़े विश्वास के रूप में भी देखा जा रहा है. सदस्यता ग्रहण समारोह के दौरान जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ट नारायण सिंह, विधायक डॉ रंजूगीता, सुनीता सिंह चौहान, विधान पार्षद राजकिशोर कुशवाहा, हसनपुर विधायक राज कुमार राय, बैकुंठपुर के पूर्व विधायक मंजीत सिंह व राजेश चौधरी आदि शामिल रहे.
कुल मिलाकर देखें, तो जदयू नेताओं की वापसी से पार्टी कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का प्रवाह हो रहा है. सामाजिक सरोकार से जुड़े अभियान दहेज प्रथा के समापन, बाल विवाह पर रोक व पूर्व से लागू शराब बंदी को मुकाम तक पहुंचाने के लिए कार्यकर्ता जिस अंदाज में मुखर दिखने लगे हैं, उससे भी पता चलता है कि जमीन पर जदयू की स्थिति अच्छी है. आगामी 21 जनवरी 2018 को मुख्यमंत्री की अगुवाई में आयोजित होने वाले मानव श्रृंखला को लेकर भी कार्यकर्ताओं ने तैयारियां शुरू कर दी है.