हाल के दिनों में बिगड़ती जा रही जम्मू-कश्मीर की आंतरिक स्थिति यहां की गठबंधन सरकार के लिए परेशानी का सबब बनती जा रही है. कश्मीर की स्थिति से निपटने की रणनीति पर गठबंधन सरकार के दोनों घटकों भाजपा और पीडीपी में मतभेद है. घाटी में पत्थरबाजों और हिंसक भीड़ से निपटने के तरीकों को लेकर दोनों पार्टियों के अलग-अलग मत है.

भाजपा जहां सैन्य बलों के दबाव के द्वारा कश्मीर को सुलझाना चाहती है, वहीं पीडीपी इसके खिलाफ है. इसके कारण दोनों पार्टियों के बीच मतभेद स्पष्ट नजर आ रहा है. श्रीनगर लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में कम वोटिंग ने दोनों दलों के बीच की दूरियों को सार्वजनिक कर दिया है. इसे लेकर दोनों पार्टियों की तरफ से एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है.

पीडीपी का कहना है कि घाटी के हालात पर बीजेपी की राजनीति टकराव को बढ़ाने वाली है, इधर भाजपा कह रही है कि पीडीपी तुष्टीकरण की राजनीति को बढ़ावा दे रही है. भाजपा का कहना है कि वो मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से लगातार कहती रही है कि वे पत्थरबाजों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें, लेकिन मुख्यमंत्री कठोर फैसला नहीं ले पा रही हैं.

दोनों दलों के बीच का मतभेद जब खुलकर सामने आ गया जब भाजपा के मंत्री चंद्र प्रकाश गंगा ने पत्थरबाजों से सिर्फ गोली के जरिए निपटने की बात कह दी. हालांकि पार्टी ने उनके बयान से किनारा कर लिया और मंत्री भी बाद में अपने बयान से पलट गए. सत्ताधारी पीडीपी के लिए तब और मुश्किल खड़ी हो गई, जब भाजपा महासचिव राम माधव ने सैनिकों द्वारा एक पत्थरबाज को सेना के वाहन पर बांधकर ले जाने के फैसले को सही बताया.

दोनों पार्टियों के बीच के बढ़ते दरार के मुद्दे पर बातचीत के लिए राज्य के वित्त मंत्री हसीब द्रबू ने शुक्रवार को राम माधव से मुलाकात की. इधर, कश्मीर के बिगड़ते हालात और सत्ताधारी गठबंधन के घटक दलों के बीच बढ़ती दूरी को देखते हुए राज्य की विपक्षी पार्टियां नैशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस राज्य में गवर्नर रूल लगाए जाने की मांग कर रही हैं.

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