पिछले सप्ताह के #चौथी_दुनिया अखबार में प्रकाशित सम्पादकीय कॉलम पर मैंने अपने विचार भी Santosh Bhartiya जी के सामने रक्खे थे।
जिसे उन्होंने अपने #अखबार में #प्रकाशित किया व एक प्रति आज मुझे courier की है।

#आप भी पढ़े और #गोकियों से सतर्क रहें:-


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आपका अख़बार पढ़ रही थी सभी आर्टिकल अच्छे लगे! फिर आपके कॉलम पे आई, हैडिंग पे “गोकियो” पढ़ के रुक गई| पहली बार ये लफ्ज़ सुना था तो क्यूरोसिटी हुई के जानू आखिर है क्या है ये गोकि| जैसे जैसे पढ़ती गयी एहसास होता गया के इस तरह के लोगो से तो मेरा कई मर्तबा पाला पड चूका है| और इस हद तक इतना ज्यादा मैं छली गयी हूँ के अब मुझे इन गोकियों की पहचान भी हो गयी है|

क्यूंकि मैं बोहत भावनात्मक शख्सियत हूँ मायने ये हैं के अगर कोई इंसान धोखा कर के मेरे आगे अपनी ग़लतियों की रो कर के माफ़ी मांग ले तो मैं उसे माफ़ कर देती थी| लेकिन इन गोकियों ने मेरी इमोशनल कमजोरी भी ख़तम करदी, यानी गोकि जो होते हैं न उनकी करतूते आपका विश्वास इंसानों पर से उठा देती हैं| फिर आप कभी किसी और इंसान पर आँख मूँद कर भरोसा नहीं कर पाते अगर आप एक बार भी गोकि के शिकार हुए तो|

मैं तो दो तीन बार अपनी शराफत और इंसानियत के चलते इनकी शिकार रह चुकी हूँ| पर मेरे इन्ही कडवे तजुर्बों ने मुझे सही और ग़लत इंसान की परख करना भी सिखा दिया है| अब मैं इंसानों को उनके हाव भाव और बात करने के तरीको से ही जान लेती हूँ|

तो कहना ये चाहती हूँ के गोकियो से निपटने का तरीका यही है के आप उनको अपने राजदार न बनाये, उनको क्या किसी भी शख्स को अपना राजदार न बनाये क्यूंकि क्या मालूम किसी रोज़ आपका सगा भी दगाबाजी को अमादा हो जाए और आपके बताये हुए राजो को आपके खिलाफ ही हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने लगे| न ही किसी शख्स के साथ इमोशनली इन्वोल्व होईये, भले ही आपको लगे के वो आपका गहरा मित्र बन गया है, भले ही वो आपको ये एहसास कराये के वो आपकी बोहत परवाह करता है लेकिन फिर भी कभी भी किसी भी बाहरी शख्स को अपनी ज़िन्दगी को बेहद करीब से झाँकने मत दिज्ये, क्यूंकि क्या पता वो शख्स इसी फ़िराक में हो और अप्नायियत का महज़ दिखावा कर रहा हो|

इन गोकियों से पाला पड़ने के बाद मैंने एक निष्कर्ष ये निकाला है के इंसान से ज्यादा खतरनाक कोई प्राणी धरती पर नहीं| क्यूंकि इंसानी खसलत को आप अपने पूरे जनम में भी सही से आंकलित नहीं कर सकते| कोई इंसान ऊपर से क्या दिखा रहा है और अन्दर ही अन्दर उसके क्या चल रहा है ये आप तब तक नहीं जान सकते जब तक वो इंसान खुद अपना अंदरूनी चेहरा आपके सामने नहीं लाता|

इसलिए इंसानों से सावधान रहें, कुछ बाते कुछ एहसास खुद के साथ ही शेयर करें, यदि आप खुदा या भगवान् को मानते हों तो उनके साथ शेयर करले लेकिन अपनी ज़िन्दगी की पूरी किताब कभी भी किसी बहरी शख्स के सामने न खोल के रख दें| क्यूंकि अक्सर वही इंसान गोकिये होते हैं जो हमारी जिंदगी में पूरी तरह से इन्वोल्व होना चाहते हैं| क्यूँ हमारे अन्दर घुस कर हमें काटने का हमे अन्दर से बर्बाद करने का रास्ता हम ही उन्हें मुहैय्या कराते हैं| अगर हम सतर्क रहे और मौका उपलभध न कराये तो कोई भी गोकिया हमारी ज़िन्दगी बर्बाद नहीं कर सकता|

इसलिए सचेत रहना और भावना में न बहना ही एक मात्र उपाय है गोकियो से बचने का.

 

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