नई दिल्ली। इसरो को गुरुवार को बड़ा झटका लगा। भारत के 8वें नैविगेशन सैटलाइट IRNSS-1H की लॉन्चिंग विफल हो गई। 1,425 किलोग्राम वजन के सैटलाइट को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड से PSLV-XL के जरिए छोड़ा गया था। इसरो के चेयरमैन एएस किरन कुमार ने मिशन के फेल होने की ऐलान किया। उन्होंने बताया कि सैटलाइट हीट शील्ड से अलग नहीं हो पाया।
किरन कुमार ने बताया कि आंतरिक रूप से सैटलाइट अलग हो गया था, लेकिन यहां हीट शील्ड में बंद होता है। चौथे लेवल में सैटलाइट को हीट शील्ड से अलग होना था। ऐसा होते ही सैटेलाइट ऑर्बिट में चला जाता। पहले तीन चरण में कोई प्रॉब्लम नहीं आई थी।
पहली बार ऐसा हुआ था जब सैटलाइट के टेस्टिंग और असेंबलिंग में प्राइवेट सेक्टर भी शामिल किया गया था। इससे पहले प्राइवेट सेक्टर की भूमिका सिर्फ कल-पुर्जों की सप्लाई तक सीमित थी। IRNSS-1H सैटलाइट को बनाने में बेंगलुरु बेस्ड अल्फा डिजाइन टेक्नॉलजिज की अगुआई में प्राइवेट कंपनियों का 25 प्रतिशत योगदान था।
Satellite got separated internally but it is enclosed within heat shield, fourth stage: ISRO Chief AS Kiran Kumar on failed IRNSS-1H mission pic.twitter.com/j0CUdkFlP0
— ANI (@ANI) August 31, 2017
ISRO को 2013 में लॉन्च हुए अपने पहले नैविगेशनल सैटलाइट IRNSS-1A की 3 परमाणु घड़ियों के काम बंद कर देने के बाद IRNSS-1H को लॉन्च करने की जरूरत महसूस हुई। परमाणु घड़ियों को सही-सही लोकेशनल डेटा उपलब्ध कराने के लिए लगाया गया था और इन्हें यूरोपियन एयरोस्पेस निर्माता ऑस्ट्रियम से खरीदा गया था।