अब धर्म परिवर्तन कर इस्लाम कबूल करने वाली महिला भी अपने पिता की संपत्ति पर अपने हिस्से का दावा कर सकती है. बॉम्बे हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह बात कही.  इससे पहले ट्रायल कोर्ट ने बहन की अपील पर मुंबई के एक निवासी को माटुंगा में उनके पिता के फ्लैट को बेचने से रोक दिया था. जस्टिस मृदुला भाटकर ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है.

सुनवाई के दौरान युवक ने यह दावा किया था कि उसकी बहन ने 1954 में इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया था. इसके बाद उसकी पैतृक संपत्ति पर दावा खत्म हो जाता है. कोर्ट ने कहा कि यह किसी व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह किस धर्म को मानता है.

शादी के बाद या खुद धर्म बदला जा सकता है. यह जरूरी नहीं है कि माता-पिता से मिला धर्म ही अपनाया जाए. कोर्ट ने कहा कि विरासत का अधिकार जन्म के साथ ही मिलता है. किसी धर्म विशेष को छोड़ने को पिछले संबंधों के खत्म होने से नहीं जोड़ा जा सकता है.

कोर्ट ने अदालत ने हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 26 का भी जिक्र किया. गौरतलब है कि इस्लाम धर्म अपनाने वाली महिला ने पैतृक संपत्ति में हिस्सा मांगते हुए 2010 में कोर्ट में अपील की थी.

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