इराक के जिन हिस्सों पर आईएसआईएस ने क़ब्जा कर रखा है, वहां महिलाओं को सरेआम बेचा जाता है, बच्चों को अलफोजा के बाज़ार में केवल 10 डॉलर में बेच दिया जाता है, सिक्लाविया में जबरन निकाह क़बूल न करने पर 150 महिलाओं की हत्या कर दी जाती है, लेकिन कोई उसके ख़िलाफ़ बोलने की हिम्मत नहीं करता. मूसल के शिक्षण संस्थानों के भवनों पर आईएसआईएस का झंडा लहराया जाता है, लेकिन प्रशासन में इतनी हिम्मत नहीं कि वह एक शब्द बोल सके. शहर की गलियों में घोषणा की जाती है कि लोग अपनी बेटियों का निकाह जेहादियों से कराएं, लेकिन कोई इस फरमान के ख़िलाफ़ जु़बान नहीं खोल सकता. पश्चिमी इराक में सुन्नी क़बीले बूनमर के 238 नौजवानों को लाइन में बैठाकर गोलियां मार दी जाती हैं और पूरा समाज खामोशी धारण कर लेता है. शिक्षकों और सरकारी कर्मचारियों के वेतन का एक बड़ा हिस्सा टैक्स के नाम पर हजम कर लिया जाता है, लेकिन क्या मजाल कि कोई चूं भी कर सके. क्योंकि, जिसने भी आईएसआईएस के फरमान को नहीं माना, उसे सख्त सज़ा मिलेगी.
अभी हाल में मूसल के पश्चिम में कोह संजारा के समीप पांच लाख की आबादी वाली यज़ीदिया कौम की 150 महिलाओं को अलफोजा शहर के नज़दीक सिक्लाविया में केवल इसलिए मार दिया, क्योंकि उन्होंने जेहादियों से जबरन शादी करने से इंकार कर दिया था. इससे पूर्व मूसल शहर में 700 यज़ीदी महिलाओं को सरे बाज़ार बेच दिया गया. जिसने सबसे अधिक बोली लगाई, वही उनका हक़दार बना. एक वीडियो में इन महिलाओं को जानवरों की तरह ज़जीर में बांधकर हांकते हुए दिखाया गया था. अफ़सोस की बात तो यह है कि 10 दिसंबर को पूरी दुनिया में मानवाधिकार दिवस मनाया जा रहा था और उसी दौरान संजारा पहाड़ पर रहने वाली यज़ीदी क़बीले की महिलाओं को मूसल के बीच बाज़ार में सरेआम बेचा जा रहा था, लेकिन दुनिया की बड़ी ताक़तें इस जुल्म को रोकने में असफल रहीं. इसी का परिणाम है कि आईएसआईएस का हौसला बढ़ता जा रहा है. अगर कुर्द सेना अमेरिकी सेना के सहयोग से किसी क्षेत्र को आईएसआईएस से ख़ाली कराती है, तो कुछ दिनों बाद ही आईएसआईएस नई ताक़त के साथ आगे बढ़ता है और दोबारा उस क्षेत्र पर क़ब्जा जमा कर है. कुछ दिनों पहले सलाहुद्दीन सूबे के बेजी रिफाइनरी पर से आईएसआईएस का क़ब्जा हटाया गया था, लेकिन कुछ हफ्तों बाद ही आईएसआईएस ने पुन: उस पर क़ब्जा कर लिया.
इन घटनाओं के माध्यम से यहां यह बताना है कि दुनिया में सुपर पॉवर कहलाने वाली अमेरिकी सरकार और संयुक्त राष्ट्र इस आतंकवादी संगठन के सामने बेबस हैं. अमेरिका का विदेश मंत्रालय कहता है कि आईएसआईएस को ख़त्म करने में लंबा समय लग सकता है. लेकिन, हालात का जायजा लेने से ऐसा महसूस होता है कि इस अंतराल में आईएसआईएस अधिक मज़बूत होगा, क्योंकि उसने अभी से ही अधिकृत इराक की नई नस्ल को अपनी तर्ज़ पर प्रशिक्षण देने का माहौल बनाना शुरू कर दिया है. इसके लिए उसने एक ओर आम लोगों से अपनी बेटियों का निकाह जेहादियों से करने की अपील की है, वहीं दूसरी ओर वह स्कूलों एवं मदरसों में अपनी मर्ज़ी का पाठयक्रम चलाने पर ज़ोर डाल रहा है. इराक में तालीमी सेशन शुरू हो चुका है. नया तालीमी सेशन शुरू होते ही आईएसआईएस ने शैक्षणिक संस्थानों को कुछ निर्देश भेजे और साथ ही यह धमकी भी दी कि अगर इन निर्देशों का पालन नहीं हुआ, तो उक्त संस्थाएं बंद कर दी जाएंगी या फिर वहां के कर्मचारियों की नौकरियां ख़त्म कर दी जाएंगी. आईएसआईएस की ओर से जारी निर्देशों से अनुमान लगाया जा सकता है कि अब वह शैक्षणिक संस्थानों पर भी अपना नियंत्रण बनाकर वहां के बच्चों को अपने अनुसार प्रशिक्षित करना चाहता है. यह भी कहा गया है कि लड़के-लड़कियों के स्कूल अलग-अलग होने चाहिए. इसके अलावा लड़कियों के लिए आवश्यक होगा कि वे काले नक़ाब से अपने चेहरे को ढंककर रखें. जो लड़कियां काले नक़ाब में नहीं आएंगी, उन्हें सज़ा दी जाएगी. आईएसआईएस ने कला-संस्कृति के सभी क्षेत्रों के अलावा राजनीति एवं विज्ञान का क्षेत्र भी बंद कर देने का निर्देश दिया है. एक विशेष निर्देश यह दिया गया है कि सभी शैक्षणिक संस्थानों की इमारतों पर आईएसआईएस का झंडा लगाया जाए और उल्लंघन करने वालों को उसका विरोधी समझा जाएगा. आईएसआईएस की ओर से जारी निर्देशों ने इराक के शैक्षणिक संस्थानों को मुश्किल में डाल दिया है. वे यह नहीं समझ पा रहे हैं कि क्या करें, क्या न करें. एक ओर कुआं है, तो दूसरी ओर खाई. अगर वे आईएसआईएस की बात मानकर उसका झंडा अपनी इमारतों पर लगाते हैं, तो बगदाद सरकार नाराज़ होगी, क्योंकि शिक्षकों के वेतन वहीं से दिए जाते हैं. और, अगर वे सरकार की नाराज़गी से बचते हैं, तो आईएसआईएस नाराज़.
मूसल क्षेत्र पर आईएसआईएस का क़ब्ज़ा है. अब ज़ाहिर है, जनता उसके फरमानों पर अमल करती है, लेकिन ज़मीनी सच्चाई यह है कि जनता आईएसआईएस को बिल्कुल पसंद नहीं करती, क्योंकि जबसे आईएसआईएस हावी हुआ है, तबसे लोगों की ज़िंदगी मुश्किल से मुश्किल बन गई है. बिजली नहीं है. अगर कभी बिजली आती है, तो बस थोड़ी देर के लिए. आईएसआईएस के क़ब्जे से पहले जिस जगह पर पीने के लिए साफ़ पानी का ज़ख़ीरा हुआ करता था, अब वहां पर गंदा पानी जमा रहता है. लोग उसी पानी को कपड़े से छानकर पीते हैं. खाना बनाने के लिए उनके पास ईंधन नहीं है. ईंधन इतना महंगा है कि आम आदमी ख़रीद नहीं सकता. परिणामस्वरूप लोग कूड़ा-कचरा जमा करके आग जलाते हैं और उस पर किसी प्रकार खाना बनाते हैं. घरों में कूड़ा-कचरा जलाने की वजह से ज़हरीला धुआं बनता है, जिससे बच्चों और बूढ़ों का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है. होटलों में खाना बहुत महंगा होता है. दरअसल, होटलों को ईंधन बहुत ज़्यादा क़ीमत पर उपलब्ध होता है, क्योंकि क्षेत्र में ट्रांसपोर्ट से आईएसआईएस टैक्स के नाम पर बड़ी रक़म वसूल करता है. जबरन टैक्स वसूल करने का यह सिलसिला यहीं तक नहीं है. जिन क्षेत्रों में आईएसआईएस का क़ब्जा है, वहां भी सरकारी विभागों के वेतन बगदाद से अदा किए जाते हैं. मूसल के एक हायर सेकेंडरी स्कूल के शिक्षक सैयद मोहम्मद के अनुसार, जब वेतन बंटता है, तो उस समय आईएसआईएस का एक आदमी वहां पर मौजूद रहता है और पहचान करके टैक्स वसूल करता है. अगर कोई शिक्षक किसी कारणवश वेतन लेने नहीं आ सका, तो आईएसआईएस के लोग उसका वेतन ले लेते हैं और जेहादी उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करते हैं. किसी भी शिक्षक को बाद में वेतन लेने का अधिकार नहीं है. आईएसआईएस अधिकृत क्षेत्रों की सामाजिक ज़िंदगी में भी अपने आदेश जारी करता रहता है. फलूजा में नहर फरात एक पर्यटन स्थल है, जहां महिलाएं एवं पुरुष बड़े शौक से तैराकी करते थे, लेकिन जबसे आईएसआईएस का क़ब्जा हुआ है, उसने वहां महिलाओं को नहाने से मना कर दिया है. नतीजा यह हुआ कि जिस फरात पर सुबह से शाम तक चहल-पहल रहती थी, पर्यटकों की भीड़ रहती थी, अब वहां चारों ओर सन्नाटा पसरा है.
इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि आईएसआईएस दुनिया के क़ानून नहीं मानता. उसका अपना क़ानून है, जिसे वह अपनी ताक़त के बल पर मनवाता है. एक बड़ा सवाल यह है कि आख़िर उसे ताक़त कहां से मिलती है? हथियार कहां से मिलते हैं और उसके तेल के ख़रीददार कौन हैं? दरअसल, आईएसआईएस अधिकृत क्षेत्रों से बड़ी मात्रा में तेल निकाल कर बेचता है. एक अनुमान के अनुसार, वह प्रतिदिन लगभग तीन मिलियन डॉलर का तेल बेचता है. वह विश्व बाज़ार के मुक़ाबले बहुत सस्ती क़ीमत पर तेल बेचता है, इसलिए उसे पिछले दरवाजे से बहुत ख़रीददार मिल जाते हैं, जिनमें तुर्की का नाम विशेष रूप से लिया जाता है. चोर दरवाज़े से बेचे गए तेल के अलावा उसके पास आमदनी का एक और स्रोत है, फिरौती में बड़ी रक़म वसूल करना. वह व्यवसायियों के रिश्तेदारों को अगवा करता है और फिर बदले में मोटी रक़म ऐंठता है. कहा जाता है कि क्षेत्र में शियाओं का प्रभाव रोकने के लिए उसे सउदी अरब, क़तर, अमीरात के अलावा कुछ अन्य देशों से ख़ुफिया सहायता भी मिलती है. अगर चोर दरवाजे से ख़रीद-फरोख्त की बात सच है, तो फिर उसी दरवाज़े से उसे हथियार भी उपलब्ध कराए जा सकते हैं. मूसल पर क़ब्ज़े के दौरान उसे हथियारों का एक बड़ा जख़ीरा हाथ लगा था, जिसे वह अब तक इस्तेमाल कर रहा है. अगर आईएसआईएस के जुल्म का सिलसिला नहीं रोका गया, तो उसका वायरस इराक एवं सीरिया से निकल कर अन्य देशों को भी अपनी चपेट में ले सकता है.