गुजरात में शंकर सिंह वाघेला कांग्रेस के बड़े नेता थे. आमतौर पर गुजरात में ये माना जा रहा है कि शंकर सिंह वाघेला अगर कांग्रेस में होते तो कांग्रेस हर हालत में चुनाव जीतती, लेकिन अब वे कांग्रेस से बाहर हैं. शंकर सिंह वाघेला को कांग्रेस में रहकर बहुत अपमान झेलना पड़ा. उनसे सोनिया गांधी और राहुल गांधी नहीं मिले.
उनसे कहा गया कि आपकी सोनिया गांधी से मुलाकात तय हो गई है, जब वो दिल्ली पहुंचे तो उनसे कहा गया कि कोई मुलाकात तय नहीं हुई है. वे 20 जुलाई को अहमद पटेल से मिले. उन्होंने कहा कि मेरे लिए अगर कोई संदेश हो या गुजरात में कांग्रेस को कुछ नया करना हो तो मुझे बता दीजिए, अन्यथा मैं कल अहमदाबाद जाकर कोई फैसला करूंगा. अहमद पटेल ने कहा, मैं बता दूंगा. दरअसल कांग्रेस का आलाकमान गुजरात में किसी को भी मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं करना चाहता. शंकर सिंह वाघेला को तो बिल्कुल नहीं करना चाहता था.
शंकर सिंह वाघेला की राजनीति ये है कि वो भारतीय जनता पार्टी से अलग उन सारे लोगों को इकट्ठा करें, जिनके पास थोड़ा सा भी जनाधार है. वे इसमें कांग्रेस को भी अपने साथ जोड़ना चाहते हैं, लेकिन कांग्रेस उनके साथ जुड़ेगी या नहीं जुड़ेगी, इसका फैसला सिर्फ और सिर्फ अहमद पटेल को करना है.
अगर कांग्रेस नहीं जुड़ती है, तब भी गुजरात के जितने बचे हुए राजनीतिक दल हैं और जो दो भूतपूर्व मुख्यमंत्री हैं, वो शंकर सिंह वाघेला के साथ हैं. शंकर सिंह वाघेला सारे सामाजिक संगठनों और भारतीय जनता पार्टी व कांग्रेस से अलग बची हुई राजनीतिक पार्टियों के संभावित नेता के तौर पर उभर चुके हैं. शंकर सिंह वाघेला ने सार्वजनिक रूप से राजनीति से संन्यास का एलान कर दिया. अभी भी अगर उनसे सामूहिक रूप से राजनीति में दोबारा लौटने की अपील की जाए, तो उन्हें इसमें कोई हिचक नहीं होगी.