क्या बीजेपी ने हिंदु – मुसलमानों की बस्तियों को फिलिस्तीन के गाझा पट्टी, वेस्ट बॅंक और जेरूसलेम सिटी के तर्ज पर पहले बुलडोजर और अब दिवारों में बाटने की कृती को भारत के भीतर ही बस्तियों को बाटना और वह भी कानून व्यवस्था के नाम पर ! पहले ही संघ के अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ बदनामी की मुहिम से आज यह नौबत आ पड़ी है ! और उससे निजात पाने के लिए यह नायाब तरीका !
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भारत के आजादी के पचहत्तर साल में कई दंगे हुए हैं ! लेकिन उसके बाद बुलडोजर वह भी सिर्फ अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के मकानों के उपर खरगोन में चलाने के बाद अब यह दो समुदायों के बीच दिवारों को बनाने की योजना ! संघ के उग्र हिंदुत्व को और मजबूत करने की कृती को स्थानीय प्रशासन अमली जामा पहनाने जा रहा है !
खरगोन में अप्रैल की दस तारीख को दंगा हुआ ! तो उस दंगे के बाद मुस्लिम समुदाय के घरों पर बुलडोजर चलाने की शुरुआत खरगोन के प्रशासन की है ! जिसका अनुकरण इलाहाबाद में हालही में किया गया ! और वही खरगोन के प्रशासन ने अब दोनों समुदाय के घरों के बीच में दिवारों को बनाना सिर्फ कांक्रीट की दिवार बनाने की बात नहीं है ! दो समुदायों के बीच पहले से ही मौजूद मानसिक दिवारों को और मजबूत करने की कृती को अंजाम देना है ! इस तरह की हरकतों से आपसी विश्वास कभी भी नहीं बनेगा ! जब तक दो विभिन्न लोग आपस में मिलकर अपने सुख – दुख की बात नही करते तबतक आपसी समझ और भाईचारा कैसे तैयार होगा ?
एक बात संघ के लोगों को बताना चाहुंगा कि आप लोग लाख अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ बदनामी की मुहिम चलाए ! और शारीरिक – मानसिक दिवारों को खड़ा करे ! लेकिन हजारों सालों से रह रहे अल्पसंख्यक समुदाय के लोग इसी देश में रहने वाले हैं ! और कही भी जानेवाले नही है ! कोई अन्य देश उन्हें अपने यहां आने देनेवाले नही है ! यह वास्तव है ! (आज पचास साल से अधिक समय से बंगला देश में दस – पंद्रह लाख से अधिक बिहारी मुसलमान अटके हुए हैं ! जिन्हें पाकिस्तान नही स्विकार कर रहा है और न ही बंगला देश !) उसी तरह मैंने फिलिस्तीनी शरणार्थी शिविरों में रह रहे बैरुत, दमास्कस के घेट्टौजो को देखा हूँ ! कश्मीर के पंडितों से भी बदतर स्थिति में देखकर मुझे वहां पर कुछ भी खाने या पीने की इच्छा नहीं हुई ! वहीं हाल ढाका के जिनेवा कैम्प में रह रहे बिहारी मुसलमानों को देखते हुए हुआ था ! ओपन ड्रेनेज, भयंकर कचरा और उस कारण मख्खियो का आलम ! और वह आज भी बेवतन की जींदगी जीने के लिए मजबूर है !
वहीं बात 1946-47 के समय पाकिस्तान में गए भारतीय मुसलमानों को मुहाजीर बोला जाता है ! और आज भी पाकिस्तान उन्हें शक की निगाह से देखता है ! कौनसे इस्लामी धर्म के देशों की बात कर रहे हैं ? भारत में दुनिया के दूसरे नंबर की आबादी मुसलमानों की में रहती है ! और आगे भी रहेंगे !
लेकिन खरगोन के प्रशासन की यह कृति भारत के भीतर विभाजन की रेखा खिंचने है ! जो भारत की बहुआयामी संस्कृति को नष्ट करने और हमारे देश की एकता और अखंडता को खतरा पैदा करने की कृती की मै भर्त्सना करता हूँ !
डॉ सुरेश खैरनार 19 जून 2022, कोलकाता