यह आज से 25 साल पहले बंगलोर के पीपल ट्री नामकी संस्था द्वारा आयोजीत अंतरराष्ट्रीय शांती को लेकर एक सप्ताह की गोष्ठी व्हाईट फिल्ड,इक्यमुनीकल सेंटर बंगलोर मे हुई बहुत ही सार्थक वर्कशॉप की तस्वीर है ! जिसमे वरिष्ठ समाजशास्री धिरुभाई सेठ,डॉ असगरअलि एंजिनियर,प्रो.जुझर बंदुकवाला बरोडा के सयाजी महाराजा विश्वविद्यापीठ मे अपने देश की सेवा के लिए विदेश की कमाऊ नुक्लियर फिजिक्स की नोकरी छोड़कर आए हैं!

और दाऊदी बौहरा धर्म गुरु सैयदना के साथ लोहा मोल लेने वाले रेफोर्मीस्ट बौहरा है! लेकिन 2002 दंगेमे उनका बडौदा शहर का पुश्तैनी मकान गाडी दंगाई योने जलाकर राख कर दी है!
और वो जब युनिव्हर्सीटी के क़्वार्टर में रहने गए तो अन्य पड़ौसी अलग अलग बहाने बनाकर अपने क़्वार्टर खाली करके चले गए तब जुझर भाई ने टाईम्स ऑफ इंडिया के संवाद दाता को बोला कि अब मेरा भारत मे रहने का विश्वास खत्म हो गया है! और मै वापस अमेरिका जाता हूँ! यह भारत के मुसलमानों का प्रतिनिधिक मीटर है!
फिर हम मुम्बई में ऑल इंडिया सेकुलर फोरम की स्थापना बैठक में मिले तो जुझर भाई को मैने गुजारिश की कि मेहरबानी करके भारत मत छोडीये अन्यथा संघ परिवार की जीत होगी आप तो पहले भी अमेरीकामे काफी समय रहे है!लेकिन अन्य मुसलमान कहा जाएंगे?

इस मुल्क मे पैदा होने वाला हर आदमी औरत भले वह किसि भी जाती धर्म का हो?यहा का नागरिक हैं !और यह देश संघ परिवार की प्रायवेट प्रॉपर्टी नहीं है कि वह किसी से भी कुछ कहे! और यह सब कुछ हम अपने हवाले से कह रहे थे ! कि इसके लिए भले हमारी जान क्यो न चली जाए !तो जुझर भाई मुझे गले लगाकर फफक फफकर रो पड़े ! और मै भी !
,शास्री रामचंद्रन,आशिष नंदी और भी कई लोग शामिल रहे हैं और मुख्य रूप से सोवियत संघ के विघटन के बाद चेकोस्लवकीया के भी तिन टुकडे हो गये और तिनोमे अपने अपने धर्म को लेकर युद्घ छिड़ गया था तथा बोस्निया,सर्बिया हर्जोगोविनीया और एक दूसरे के जान के दुश्मन बन गये थे!वहां से एक युवती आई थी !
,आयरलैंडभी काफी समय से इंग्लंडसे अलग होने की मांग कर रहा है और वहा भी आयरिश आर्मी और इंगलैंड में सतत कुछ ना कुछ युद्घ सदृश स्तिथी बनी हुई थी! अब कुछ दिन पहले ही रेफरंडम के बाद कुछ शांती बनी हुई है ! आइरिश रिपब्लिक आर्मी के एक युवक आये थे !


झपस्तीता अंदोलन के मेक्सीको और भी दुसरे लातिन अमेरिका के देशोमे अमेरिकन साम्राज्यवाद के खिलाफ लगातार 60 के दशक के पहले से भी अधिक समय से मुख्यतः आदिवासी और स्थानीय मुल निवासियोका जबरदस्त अंदोलन चल रहा था ! और उसी कारण क्यूबा और चिली के विख्यात क्रांतियाँ जिन्हे फिदेल कास्त्रो और चे ग्वेरा ने कर के दिखा दिया है!और अन्य लातिनी अमेरिकन देश भी अपने अपने तरीके से लड रहे हैं ! तो इस आंदोलन के एक नेता ख्रिचन फादर अपने पूरे परिवार के साथ आए थे !

श्रीलंका जहाँ उस समय तमिल एलम को लेकर बहुत धमासांन युद्घ सदृश्य परिस्थिती जारी थी ! और लिट्टे के लडाकूओने श्रीलंका के भी कई राजनेताओकी हत्याओं को अंजाम दिया और भारतीय प्रधान-मंत्री पदपर के उस समय के श्री राजीव गांधी जी की पेरामदुर मे आत्मघाती हमले में मृत्यू हो गई है ! श्रीलंका के भी एक बुजुर्ग साथी आये थे !
और इसी आपाधापी में प्रथम बार शाहबानोके तलाक की केस के बाद मुस्लीम फिरकापरस्त ताकतों ने जो नारा दिया था कि सवाल कानून का नही आस्था का है और यही कारण है कि लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ मंदिर से अयोध्या के बाबरी मस्जिद के विरुद्ध अभियान छेड़ दिया था और पूरा देश अफ़रातफ़र हो रहा था क्योकी उस बैठक में आये हम सब लोगों को देवे गौडा जो उस समय कर्णाटक के मुख्यमंत्री थे! उन्होने रात को खाना खाने के लिए विशेष रूप से हम सभी प्रतिनिधियोको आमंत्रित किया था! और उसके एक महीने में वह प्रधान-मंत्री पदपर पहुच गए थे !
और 24 अक्तूबर याने आजका दिन 31साल पहले के भागलपुर में प्रथम बार दंगा हुआ जिसमे 3000 लोग मारे गए और 300 से ज्यादा गांव युद्घ के जैसा बर्बाद कर दीये!

और फिर देश के अन्य हिस्सों में भी और सबसे भयंकर 6 दिसम्बर 1992 के दिन बाबरी मस्जिद के विध्वंस करने के बाद तो देशके कितने जगहोपर दंगे हुए थे और उनमे कमसे कम 10,000 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा और अरोबो रुपये की संपत्ती का नुकसान हुआ था और वह सब लाल कृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा के कारण जो पूरे देश में माहौल बनाने की कोशिश की है यह सब ऊसी के परिणाम के रूप में इतना विध्वंस हुआ सो अलग और लखनऊ सी बी आई स्पेशल कोर्ट के न्यायाधीश अडवाणी जी से लेकर सभी अपराधियोको बरी करता है ! यह भारत की आजादी के बाद सबसे भयानक दौर से गुजर रहे हैं ऐसा मेरे मन में आने लगा है क्योंकि मंदिर बनाने की इजाजत का निर्णय तो शत प्रतिशत मेजोरिटीयन अपिज्मेंट का क्लासिकल उदाहरण है!

क्या यही भारत की न्याय व्यवस्था है ? और इस तरह दंगोकी राजनीती करके भारत की सत्ता में आने के बाद स्वंतत्रता के आन्दोलन से जो मूल्यो को विकसित होना था उसकी जगह एक फासिस्ट सरकार आकर बस गई है !और यही आलम जारी रहा तो भारत जैसे विभिन्न जाती धर्म के देश के अमीबा जैसे टुकडे हो जायेंगे !
क्योकी एन आर सी जैसे धार्मिक भेदभाव करने वाले कानुन बनानेका यही परिणाम तय है ! और वह भी देश भक्ति के नाम पर ! यह तो देशद्रोहियोंका काम कर रहे हैं लेकिन दूसरोको दलित,आदिवासियो और दबे कुचले लोगों के सवालोके लिए लढने वाले लोगों को देश द्रोही करार देना तो सूडो नैशनल काम कर रहे हैं !

और हमारे महान भारत मे रामकी आडमे भागलपुर मेरठ,कश्मिर और संपूर्ण ऊत्तर पूर्व मे भी कोई अलग स्थिति नही थी ! और उसी स्थिति के रथपर सवार होकर वर्तमान बिजेपी की सरकार फिर वह केंद्र की हो या विभिन्न राज्यों मे! आज कायम करने की कोशिश जारी है! कल बिहार में प्रधान-मंत्री जिस गैरजिम्मेदारी के साथ भाषण दिये हैं वह लगता है कि डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी जी मे स्पर्धा जारी है कि सबसे घटिया बोलनेका रिकॉर्ड कौन बनाता है ?

डॉ सुरेश खैरनार 24अक्तूबर 2020,नागपुर

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