नई दिल्ली : एनडीए की तरफ से राष्ट्रपति पद के उमीदवार की घोषणा आज कर दी गयी है. मौजूदा समय में बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद के नाम को राष्ट्रपति के पद के लिए चुना गया है लेकिन इस मौके पर सभी कि निगाहें कोविंद के ऊपर टिकी हुई हैं. काफी समय से कयास लगाए जा रहे थे कि भाजपा वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बना सकती है लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
इस मौके पर आज हम आपको कोविंद के बारे में कुछ ख़ास बाते बताने जा रहे हैं. रामनाथ कोविंद का जन्म कानपुर देहात की डेरापुर तहसील के गांव परौंख में 1945 में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा संदलपुर ब्लाक के ग्राम खानपुर परिषदीय प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय हुई। कानपुर नगर के बीएनएसडी इंटरमीडिएट परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद डीएवी कॉलेज से बी कॉम व डीएवी लॉ कालेज से विधि स्नातक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद दिल्ली में रहकर तीसरे प्रयास में आईएएस की परीक्षा पास की, लेकिन मुख्य सेवा के बजाय एलायड सेवा में चयन होने पर नौकरी ठुकरा दी।
कोविंद ने साल 1975 के जून महीने में आपातकाल के बाद सर्वोच्च न्यायालय में वकालत से कॅरियर की शुरुआत की। वर्ष 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद रामनाथ कोविंद तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई के निजी सचिव बने। इसके बाद वे भाजपा नेतृत्व के संपर्क में आए। कोविंद को पार्टी ने वर्ष 1990 में घाटमपुर लोकसभा सीट से टिकट दिया लेकिन वह चुनाव हार गए।
साल 1993 व 1999 में पार्टी ने उन्हें प्रदेश से दो बार राज्यसभा में भेजा। पार्टी के लिए दलित चेहरा बन गये कोविंद अनुसूचित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रवक्ता भी रहे। घाटमपुर से चुनाव लड़ने के बाद कोविंद लगातार क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं से संपर्क में रहे। राज्यसभा सदस्य के रूप में क्षेत्र के विकास में लगातार सक्रिय रहने का ही परिणाम है कि उनके राज्यपाल बनने की खबर सुनते ही लोग फोन पर बधाई देने लगे।
साल 2007 में पार्टी ने कोविंद को भोगनीपुर सीट से चुनाव लड़ाया, लेकिन वह यह चुनाव हार गये. भी हार गए। रामनाथ कोविंद इससे पहले प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेयी के साथ महामंत्री रह चुके हैं। अगस्त 2015 में बिहार के राज्यपाल के तौर पर भी उनके नाम की घोषणा अचानक ही हुई थी।