कांग्रेस ने हालिया चुनावों में जो जीत दर्ज की है, उसमें उसके कई ऐसे वरिष्ठ नेताओं का बड़ा हाथ है, जिन्होंने न केवल राहुल के पिता राजीव बल्कि उनकी दादी इंदिरा गांधी के साथ भी काम किया है. ये नेता पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खासे करीबी और विश्वासपात्र लोग रहे हैं. इनमें से एक नेता ऐसे भी हैं जिनकी हाल ही में मुख्यमंत्री के तौर पर ताजपोशी भी हुई है.
यहां बात हो रही है मध्यप्रदेश में 15 साल बाद कांग्रेस की वापसी में अहम रोल निभाने वाले वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कमलनाथ की, जिन्होंने गांधी परिवार की तीन पीिढ़यों के साथ काम किया.
कमलनाथ का 13 दिसंबर कनेक्शन
सबसे पहले बात करते हैं इंदिरा गांधी के समय की. यह वो दौर था जब देश ‘इंडिया इज इंदिरा और इंदिरा इज इंडिया’ के नारे सुन चुका था’, आपातकाल का वह दौर भी निकल चुका था जिसमें देश बदलती हुई राजनीति का गवाह बना था. वो इंदिरा गांधी सत्ता से बाहर हो चुकी थीं जो गांधी-नेहरु विरासत की ध्वज पताका देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में लहरा चुकी थीं. तारीख थी 13 दिसंबर 1980, केंद्र में जनता पार्टी की सरकार थी. मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में एक मंच सजा हुआ था, कांग्रेस की अध्यक्ष इंदिरा गांधी भाषण दे रही थीं. भाषण के बीच में मंच पर ही बैठे एक युवा उद्यमी की तरफ इशारा करते हुए कहती हैं, ‘ये सिर्फ कांग्रेस नेता नहीं हैं, राजीव और संजय के बाद मेरे तीसरे बेटे हैं!’
ये वो मौका था जब कमलनाथ पहली बार चुनाव लड़ रहे थे और इंदिरा गांधी उनके लिए प्रचार करने छिंदवाड़ा पहुंची थीं. कमलनाथ को तीसरा बेटा इंदिरा गांधी ने यूं ही नहीं कह दिया था. कमलनाथ उसी छिंदवाड़ा से पहली बार सांसद बने, तबसे लागातर 2018 में नौवीं बार छिंदवाड़ा से ही सांसद बनते रहे. और ताउम्र इंदिरा गांधी को वे ‘मां’ ही कहते रहे. इंदिरा के बाद संजय गांधी और राजीव गांधी के करीबी रहे. उसके बाद सोनिया गांधी के विश्वासपात्र बने रहे. कमाल की बात ये है कि जब मध्यप्रदेश में कांग्रेस का 15 साल का वनवास खत्म हुआ तो मुख्यमंत्री के तौर पर कमलनाथ के नाम का एलान भी 13 दिसंबर को ही हुआ.
जब लगा ये नारा
कमलनाथ की संजय गांधी से दोस्ती दून स्कूल में पढ़ाई के दौरान हुई थी. इसके बाद राजनीति में आने से पहले उन्होंने सेंट जेवियर कॉलेज कोलकाता से स्नातक किया. संजय गांधी ही थे जो उन्हें राजनीति में लेकर आए. स्कूल के बाद उनकी दोस्ती दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में भी खूब जमी. कभी वे गांधी परिवार की कार चलाते दिखते थे तो कहीं किसी सभा में संजय गांधी के साथ दिखते थे. आपातकाल के दौर में वे गांधी परिवार के साये के रूप में बने रहे. यही वजह थी कि कमलनाथ के लिए ये नारे भी लगे थे कि ‘इंदिरा के दो हाथ, संजय गांधी और कमलनाथ’.
जब जान-बूझकर जेल चले गए थे संजय गांधी के लिए
कमलनाथ का एक ये किस्सा भी खासा मशहूर है जब वे संजय गांधी के लिए जानबूझकर जेल चले गए थे. बात0 1979 की है जब जनता पार्टी की सरकार के दौरान संजय गांधी को एक मामले में कोर्ट ने तिहाड़ जेल भेज दिया था. इंदिरा गांधी बेटे संजय की सुरक्षा को लेकर काफी चिंतित थीं. तब कमलनाथ जानबूझकर एक जज से लड़ पड़े, ताकि वो भी जेल जा सकें और जेल में संजय गांधी का ख्याल रख सकें. जज ने उन्हें भी अवमानना के चलते सात दिन के लिए तिहाड़ भेज दिया था, जहां वे संजय गांधी के साथ रहे.
देश के टॉप 5 अमीर सांसदों में शामिल
छिंदवाड़ा के 9 बार सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे कमलनाथ की गिनती शुरु से ही अमीर सांसदों में होती रही है. वह वर्तमान में देश के पांच सबसे अमीर सांसदों में शुमार हैं. उनके पास 207 करोड़ की संपत्ति है. सितंबर 2011 में तो उन्हें भारत का सबसे अमीर कैबिनेट मंत्री घोषित किया गया थ. वर्तमान में उनकी 23 कंपनियां हैं. हालांकि ज्यादातर कंपनियों का कामकाज उनके दोनों बेटे बकुलनाथ और नकुलनाथ संभालते हैं. छिंदवाड़ा में कमलनाथ की अलीशान कोठी करीब 10 एकड़ जगह में फैली हुई है.