डाॅ सुरेश खैरनार
महाराष्ट्र के वर्तमान राज्यपाल महोदय श्री भगत सिंह होश्यारी जी ने बाकायदा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री उद्धव ठाकरे जी को पत्र लिखकर उन्हें क्या आपने हिन्दुत्व का त्याग करके ही सेक्युलर बनने की शुरुआत कर दी है ?
शायद राज्यपाल महामहिम भगत सिंह कोश्यारी जी यह भूल गए हैं कि वह वर्तमान समय में किसी संविधान के अनुसार काम करने की शपथग्रहण करके ही उस पदपर पहुच गए हैं ! और उन्हे भले अच्छा लगें या ना लगे लेकिन वही उनकी ड्यूटी है और वह उससे उब गये हैं तो अविलंब उस पदपर से स्वंय ही हट जाना चाहिए अन्यथा उन्हें उस पद की गारिमा नष्ट-भ्रष्ट करने के जुर्म में अगर केंद्र सरकार नहीं हटाती है तो वर्तमान महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें इंपिचमेंट लाकर हटाना चाहिए! क्या सचमुच वर्तमान केंद्र सरकार हमारे संविधान का सम्मान करना चाहती है ? और चाहती हैं तो महाराष्ट्र के राज्यपाल को अविलंब वापस बुलाने का काम करना चाहिए! लेकिन वर्तमान केंद्र सरकार के चाल और चरित्र को देखकर लगता नहीं कि यह कृति वह करेंगे!
भारतीय राजनीति के 73 सालों के दौरान कई-कई दलों की सरकार आकर गई है और 2014 से और उसके पहले भी 6 साल अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार ने सत्ता में आते ही संविधान समिक्षा के लिए एक समिति का गठन कर दिया था ! लेकिन उसके रिपोर्ट का क्या हुआ वह नही मालूम है !
वर्तमान सरकार ने 2014 के मई मे पहली बार और 2019 मे दोबारा भारतीय संविधान की शपथ लेकर ही सत्ता सम्हलने का कर्म-काण्ड पूरा किया है ! हाँ कर्म-काण्ड पूरा किया है क्योंकि संघ परिवार की भारत के संविधान मे कभी भी आस्था नहीं रही है और वह उसने छुपाकर नहीं रखा है! बिल्कुल डंके की चोट पर अपने अंग्रेजी मुखपत्र ऑर्गनायझर के संपादकीय मे संविधान की घोषणा करने के तुरंत ही तिन दिन बाद 30 नवम्बर के ऑर्गनायझर के संपादकीय मे क्या लिखा है इसकी एक झलक के तौरपर यह देखकर तय कीजिए कि संघ परिवार की हमारे संविधान के प्रति सचमुच ही कितनी निष्ठा हो सकती हैं और कोशियारी की होशियारी का रहस्य भी इसी का परिणाम है But in our Constitution there is no mention of the unique Constitutional Development in ancient Bharat Manu’s laws were written long before Lycurgus of Sprta or Solon of Persia, To this day his Laws as enunciated in the Manusmrity excite the administration of the world and elicit spontaneous obedience and conformity, But to our Constitutional pundits that means nothing! यह ऑर्गनायझर के संपादकीय में प्रकाशित संपादकीय से प्रमाणित होता है कि वह 26 नवम्बर 1949 के दिन डाॅ बाबा साहब आंम्बेडकरजी के द्वारा संविधान सभा में घोषणा किया हुआ संविधान नहीं मानते हैं !
पाँच हजार साल पहले ॠषी मनू ने लिखा हुआ इतना नायाब संविधान रहते हुए इस गुदड़ी हा गुदडीही जो पुराने फटे हुए कपड़ों से जोड़ तोड़ कर बनाई जाती है उसकी उपमा देकर आगे कहा है कि देश-विदेश के विभिन्न संविधानो की नकल कर के बनाया है इसलिए गुदडीही कहा कि जिसमें हमारे महान संस्कृति का कुछ भी नहीं जिक्र नहीं है !
इस तरह के भारत के संविधान के बारेमे शुरू से ही अपने विचार प्रकट किये हुऐ संघटन की शाखाओं से निकले हुए कोशियारी, धनकर तो बहुत छोटे कलाकार है उनको नियुक्त करने वाले मास्टरमाइंड कौन है ? और इनके पूर्व चरित्र को देखकर लगता नहीं कि यह सब संविधान के प्रति सचमुच कितने वफादार है ? लगभग जितने भी राज्य गैर भाजपा शासित है उन राज्यों के बहोत से राज्यपाल कोश्यारी से भी ज्यादा हस्तक्षेप उन राज्यों में आये दिन करते हुए दिख रहें हैं ! जिसका नमूना वर्तमान समय में कोलकाता में बैठे हुए धनकर जी आये दिन ममता बनर्जी के काम में दखलंदाजी करने मे शायद वह भूल गए हैं कि वहाँ उन्हें बीजेपी के प्रतिनिधी नहीं राज्यपाल के लिए भेजा है !
वर्तमान भारत के प्रधानमंत्री पदपर बैठने वाले महाशय गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में इसी संविधान की शपथ लेकर ही सत्ता सम्हलने का काम अक्तूबर 2001 से शुरू किये थे और 27 फ़रवरी 2002 के बाद हुए गोधरा कांड के पस्चात सभी घटना क्रमोके बारेमे मै दर्जनों बार लीखा हूँ कि अब उसे दोहराने की आवश्यकता महसूस नहीं करता हूँ !
वैसे ही आज भारत की न्याय और सुव्यवस्था बराबर बनी रहे इसलिए जिस व्यक्ति को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है और उसके विभाग को गृह मंत्रालय बोला जाता है ! और मै अगर गलत नहीं हूँ तो राज्यपाल नियुक्ति की जिम्मेदारी भी उसी मंत्रालय के अंदर आती है और यह महाशय गुजरात के उप गृहमंत्री पदपर रहते हुए हत्याओं के अपराधी होने के कारण साल-भर से भी अधिक समय जेल में रहकर आये हैं !
राणा आयुब के शोध पत्रकारिता की वजह से ! और पिछले साल राणा आयुब के गुजरात फाईल्स नाम की किताब का हिंदी संस्करण के प्रकाशन समारोह में राणा ने इन्हें गुंडे की उपमा देकर आगे कहा है कि हमारे देश के उपर किस तरह के लोग राज कर रहे हैं ?
और मै राणा आयुब के द्वारा किया गया नौ महीने का ऑडियो-वीडियो सामग्री लेकर इन्वेस्टिगेटीग पत्रकारिता के कार्यप्रणाली को सलाम करता हूँ कि वर्तमान समय में हमारे देश के मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो रहे हैं उस परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो राणा आयुब के द्वारा कुछ तो लाज बचाने का काम हुआ है !
और वैसे ही निरंजन टकले ने हमारे नागपुर शहर में ही उस समय के सी बी आई कोर्ट के न्यायाधीश जो गुजरात में अमित शाह और उसके इशरोपर कीये गये हत्याओं के स्पेशल कोर्ट के न्यायाधीश लोया के मौत को लेकर 2014 के दिसंबर महीने की पहली तारीख को तथाकथित कार्डियाक अटेक की मौत का पर्दाफाश किया है ! और अब वह सिर्फ कारवांन मैगजीन के पन्नों पर ही नहीं है तो किताब कि शक्ल में भी आ चुका है !
हमारे देश के किसी भी संवेदनशील नागरिक को फिर वह संघ परिवार के लोगों को भी मेरा अनुरोध है कि वह भी आपने राष्ट्र सेवा के नाम पर कौन से नेताओ को चुनाव में इतनी मेहनत करके चुनकर सत्ता में बैठाया है ?
नागपुर संघ मुख्यालय से खास तौरपर नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री पद पर आसीन होने के पश्चात संजय जोशी नाम के प्रचारक को विशेष रूप से नरेंद्र मोदी जी को मदद करने के लिए भेजा था और उनके साथ नरेंद्र मोदी जी ने क्या कीया है ?
और आज संजय जोशी नाम के प्रचारक कहा है ? और क्या कर रहे है? हा एक दिन अचानक नागपुर के कुछ चौराहे पर उनके फोटो के साथ कुछ होर्डिंग जरूर देखें थे लेकिन वह भी जल्द से जल्द हटाए गए !
इतना ही जान लीजिए तो आप लोगों को पता चल जाएगा कि किस कॅलिबर के लोगों को आज आप लोगों ने देश की बागडोर संभालने के लिए दिया है ? और आदित्यनाथ, कल्याण सिंह, अमित शाह और सबसे बड़ा नाम वर्तमान प्रधानमंत्री के लिए क्या आप लोग सचमुच ही आदर करते हो?
हालाँकि मेरा उपर के दोनों तिनो पैराग्राफ़ लिखने का उद्देश्य 1974 के जेपी आंदोलन मे हम लोग एक साथ थे और उनमें से कुछ लोगों से दोस्ती भी हुई थी और मेरा अपना मनुष्य के साने गुरुजी के सच्चा धर्म वही है जो दुनिया को प्रेम करने की सिख देने वाली कविता होश आया तबसे ही मै इसे अपने जिवन का मुख्य सूत्र मानता हूँ ! और महात्मा गाँधी जी के ह्रदय परिवर्तन की बात पर अभिन्न विश्वास होने के कारण आज छ साल से भी अधिक समय मे प्रथम बार इस तरह की बात लीखि है !
क्योंकि इतिहास गवाह है कि इस तरह के लोगों के कारण विश्व का कितना नुकसान हुआ है ? और बराबर आज उस काले अध्याय को 100 साल पूरे हो रहे हैं ! हालांकि आप लोगों के संस्थापकों ने वही आदर्श क्यो लिया ?
डाॅ धर्मवीर मूंजे 1931 के मार्च 19 को बेनिटो मुसोलिनी के पलाझ्झो वेनेझिया फासिस्ट सरकार का मुख्यालय में दोपहर के 3 बजे जाकर मिले है और यह सब कुछ उन्होंने अपने 20 मार्च की डायरी में खुद लिखा है ! की फेब्रुवारी और मार्च के समय राउंड टेबल कान्फ्रेस से जो जनवरी में लंडन में हुई थी और उसके बाद मै योरप की यात्रा में जर्मनी और इटली के लिए निकल कर मार्च 15 से 24 ,1931 के दिन मै खुद 19 मार्च को रोम में मिलिटरी कालेज, सेंट्रल मिलिटरी स्कूल ऑफ फिज़िकल एजुकेशन, द फासिस्ट अकादमी ऑफ फिज़िकल एजुकेशन और सबसे बड़ी बात (Balilla and Avanguardist Organizations, these two Organizations, which he describes in more than two pages of his Diary, were the keys tone of the Fascist system of introduction-rather than Education-of the youths. Their structure is strikingly similar to that of RSS. They recruited Boys from the age of six to 18:the youths had to attend Weekly meetings, where they practiced physical exercises, received paramilitary training and performed drills and parades !)
इस तरह एक सप्ताह से भी अधिक समय इटली के इन फासिस्ट सरकार द्वारा चलाये जा रहे ट्रेनिंग सेंटर और अलग अलग तरह की अकादमीयो का निरिक्षण करने का एक मात्र उद्देश्य छ साल पहले नागपुर में 1925 के दशहरे के दिन शुरू किये संघटन को बेनिटो मुसोलिनी के तर्ज पर चलाने की प्रेरणा लेकर ही डाक्टर साहब अंत में बेनिटो मुसोलिनी के पलाझ्झो वेनेझिया मुख्यालय में 19 मार्च 1931 को दोपहर के 3 बजे की मुलाकात मे उनके शब्दों में (As soon as I was announced at the door, he got up and walked up to receive me. I shook hands with him saying that I am Dr. Moonje, He knew everything about me and appeared to be closely following the events of the Indian struggle for freedom. He seemed to have great respect for Gandhi.He sat down in front of me and another chair in front of his table and conversing with me quite half an hour, He asked me about Gandhi and his movement and pointedly asked me a question if Round Table conference will bring about peace between India and England: I said that if the British would honestly desire to give us equal status with other dominions of the Empire, we shall have no objection to remain peacefully and loyally within the Empire; otherwise the struggle will be renewed and continued. Britain will gain and be able to maintain her premier position amongst the European Nation
Then he asked me if I have visited the University. I said I am interested in military training of Boys and have been visiting the military schools of England, France and Germany.I have now come to Italy for the same purpose and I am very grateful to say that the Foreign Office and the war Office have made good arrangements for my visiting these school’s. I just saw this morning and afternoon the Balilla and the Fascist Organizations and I was much impressed .Italy needs them for her development, and prosperity. I do not see anything objectionable, though I have been frequently reading in the newspapers not very friendly criticism about them and about you Excellency also!
Signor Mussolini: What is your opinion about them ?
Dr. Moonje:Your Excellency I am much impressed. Every aspiring and growing nation needs such Organizations, India needs them most for her military regeneration.
During the British nomination of the last 150 years Indians have been waved away from the military profession but India now desires to prepare herself for undertaking the responsibility for her own defense and I am working for it. I have already started an organization of my own, conceived independently with similar objectives. I shall have no hesitation to raise my voice from the public platform both in India and England when occasions may arise in praise of your Balilla and Fascist Organizations. I wish them good luck and every success.
Signor Mussolini-who appeared very pleased-said:Thanks but yours is an uphill task. However I wish you every success in return.
Saying this he got up and up to take his leave !)
यह थे डाॅ धर्मवीर मूंजे के मार्च 1931 के डायरि के पन्नों से ली गई जानकारी जो दिल्ली के जवाहरलाल नेहरु म्यूजियम में रखे हुए हैं ! माइक्रो फिल्म में है !
तो इस तरह के संस्थापक एवं प्रथम संघ प्रमुख के गुरु के विचार से चलाए जा रहे हैं संघटन से निकल कर भारतीय जनता पार्टी 1980 को दिया नया नाम और 1950 से 1977 के मई तक भारतीय जन संघ जो की संघ परिवार की राजनीतिक इकाई के रूप में काम कर रही है !
और उसके डी एन ए मे ही भारत के संविधान को नकारा गया है वह पार्टी के प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री पद पर आसीन होने वाले किसी भी व्यक्ति से क्या उम्मीद कर सकते हैं ? फीर वह महामहिम महाराष्ट्र के राज्यपाल क्यो ना हो !
डाॅ सुरेश खैरनार 14 अक्तूबर 2020