शैलेन्द्र शैली
आतंकवाद के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करते समय यह ध्यान रखना आई जरूरी है कि बेगुनाह जनता किसी भी हालत में प्रताड़ित और आतंकित नहीं हो । बेगुनाह लोग मारे नहीं जाएं । सेना और सुरक्षा बलों का दायित्व है कि जनता का विश्वास अर्जित कर जनता को समुचित सुरक्षा और संरक्षण दें ।
विगत दिनों शोपियां में हुई तथाकथित मुठभेड़ में आतंकवादियों के नाम पर मारे गए तीन बेगुनाह मजदूरों की त्रासद वारदात ने पर्दे के पीछे छिपी कई तरह की आशंकाओं को उजागर किया है । कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों की जनता के कुछ प्रतिनिधि प्रायः पुलिस और सेना पर उन्हें प्रताड़ित करने का आरोप लगाते रहे हैं ।इन आरोपों को अनदेखा नहीं करना चाहिए ।
कश्मीर की मुस्लिम जनता और पूर्वोत्तर राज्यों के आदिवासी तथा विभिन्न जन जाति समूह प्रायः कई तरह के आतंक और असुरक्षा से ग्रस्त रहते हैं ।यह स्थिति सारे देश के लिए चिंताजनक होना चाहिए ।यह आरोप निराधार नहीं है कि पुलिस और सेना में पदस्थ कुछ लोग सांप्रदायिक उन्माद प्रवृत्ति से ग्रस्त हैं ।वे बदले की भावना से कार्य करते हैं ।इन चिंताजनक स्थितियों में हर स्तर पर जन शिक्षण कर जनता का विश्वास अर्जित करना चाहिए ।
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