राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन की कार्यकारिणी में पास हुआ प्रकृति केंद्रित विकास का प्रस्ताव
नई दिल्ली।
सोमवार को राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन की कार्यकारिणी की बैठक संपन्न हुआ। बैठक में राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संरक्षक के.एन गोविंदाचार्य ने प्रकृति केंद्रित विकास का मॉडल पेश करते हुए कहा कि भारत को भारत के नजरिए से देखना चाहिए। अंग्रेजों की बनायी शिक्षा पद्धति आज भी चल रही है। जबकि प्राचीन शिक्षा पद्धति और गुरूकुल जैसे मॉडल के बूते भारत को कभी विश्व गुरू का दर्जा प्राप्त था।
कार्यकारिणी का उद्घाटन करते हुए गोविंदार्चाय ने कहा कि आजादी के बाद भारत को रूस बनाने का प्रयत्न हुआ। जब असफलता साफ दिखायी दी तो अमेरिका बनाने का प्रयास किया गया। जबकि जरूरत है देश की तासीर, तेवर और जरूरत के हिसाब से विकास नीति और योजना बनाने की। उन्होंने ईमान की जिंदगी और इज्जत की रोटी हर व्यक्ति को मिले, इसके लिए सरकार को जवाबदेह होने की ओर इशारा करते हुए कहा कि अंतिम व्यक्ति का हित सबकी प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने प्रकृति केंद्रित विकास पर चर्चा करते हुए कहा कि मनुष्य ने प्रकृति के दोहन और शोषण को अपना अधिकार मान लिया है। अनियंत्रित शोषण ने मानव अस्तित्व के सामने कई गंभीर चुनौतियां पैदा कर दी है। जलवायु परिवर्तन का भीषण संकट पैदा हो गया है। भारतीय संस्कृति और परंपरा के अनुरूप काम करने से प्रकृति की सुरक्षा होगी। नदी, पर्वत, पेड़-पौधे और कीट-पतंग सभी के अधिकारों की सुरक्षा होगी।
आंदोलन के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बसवाराज पाटिल (बिरापुर) ने कहा कि भारत ही विश्व की प्राचीन सभ्यता और संस्कृति है। भारत ने विश्व के मानवता को कल्याण का मार्ग दिखाया है। आज जरूरत है अपनी प्राचीन परंपरा को सहेजते हुए विकास को ओर बढ़ने की। राष्ट्रीय कार्यकारी संयोजक सुरेंद्र सिंह विष्ट ने व्यवस्था परिवर्तन पर चर्चा करते हुए कहा कि रचनात्मक आंदोलन के जरिए व्यवस्था परिवर्तन की ओर बढ़ना चाहिए। कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका में बहुत सी खामियां हैं जिन्हें रचनात्मक आंदोलन के जरिए रास्ते पर लाने की जरूरत है। शिक्षा के जरिए समाज को बदला जा सकता है। इसके लिए सभी बौद्धिक लोगों को एकजुट होकर प्रयास करने की जरूरत है। आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक पवन श्रीवास्तव ने राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संविधान व प्राथमिक प्रारूप को पेश किया। इस मौके पर सैकड़ों लोग मौजूद रहे। दिल्ली प्रदेश संयोजक जीवकांत झा, अरविंद तिवारी (मंटू), विवेक त्यागी ने मंगलवार को होने वाले नदी संवाद कार्यक्रम की रूपरेख से अवगत कराया। गौरतलब है कि के.एन गोविंदाचार्य ने अपने अध्ययन प्रवास के दौरान गंगा जी,नर्मदा जी एवं यमुना जी नदियों की परिक्रमा की है। परिक्रमा के दौरान उन्होंने नदियों की दशा और दुर्दशा को लेकर जो कुछ अनुभव किया है उसे देश के सामने रखेंगे। इस कार्यक्रम में देशभर से जल पर काम करने वाले बुद्धिजीवि मौजूद रहेंगे।