प्रधानमंत्रीजी ने मनकी बात में भारत जोडो की बात कि है ! और बुधवार 12 अगस्त को कानपुर शहर में इलेक्ट्रिक रिक्षा चालक को रिक्षा से उतार कर जय श्रीराम बोलो करके मारते हुए माॅब को देखा ! दिल्ली के एक पत्रकार को भी लगभग इसी तरह भीड उसे जय श्रीराम बोलो करके जोर जबरदस्ती कर रहे थे ! दोनों घटनाओं मे फर्क कानपुर में चार पाँच साल की बच्ची रिक्षा चालक की रोते-बिलखते अपने पिता को मारो मत बोल रही थी ! और दिल्ली के पत्रकार के हाथ में माइक था ! और शायद दुसरी तरफ कोई अन्य साथी कैमेरा लेकर खडा होगा ! इस कारण उसे मारने का काम नही किया ! लेकिन जोर-जबरदस्ती से जय श्रीराम बोलो का आग्रह कर रहे थे ! और वह पत्रकार होने के कारण उन्होंने उसके साथ मारापीट नही की होगी क्योंकि वह पूरा मामला कैमरे में कैद होने की संभावना देखकर उसके साथ मारापीटी नही की ! और वह भी हिम्मतवाला दिखा ! क्योंकि वह बोल रहा था, कि मुझे जय श्रीराम बोलो की जबरदस्ती करोगे तो मै नहीं बोलूंगा !
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और कानपुर का रिक्षा चालक को तथाकथित राम भक्त लगातार मारे जाने की वजह से वह जोर जोर से जय श्रीराम का नारा दे रहा था ! थोड़ी देर बाद पुलिस ने आकर उसे माॅबसे छुडाया लेकिन सुना यही है कि उसे पुलिस ने भी अपने ठाने मे ले जाकर पीटा है ! लेकिन पुलिस ने माॅबलिंचिग करने वाले लोगों के ऊपर क्या कार्रवाई की यह सवाल मेरे जेहन में बार-बार आ रहे हैं ! और संपूर्ण भारत मे पुलिस को कमअधिक प्रमाण मे मैने इसी तरह के आचरण करते हुए देखा है और जे एफ रिबोरो से लेकर पूर्व गृहमंत्री इंद्रजित गुप्ता जी से भी पुलिस के ट्रेनिंग मे ऐसा क्या तत्व है कि वह दलित, आदिवासी, महिला और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के खिलाफ नार्मल समय से लेकर दंगों जैसी तनावपूर्ण स्थिति में भी वुलगढी (हाथरस) मुजफ्फरपुर, मलियाना (मेरठ)भागलपुर (बिहार),और गुजरात तथा महाराष्ट्र में मुंबई, धुलिया, जलगाव, मालेगाँव, भिवंडी, खैरलांजि और दो साल हो रहे भिमा कोरेगाव के एक ही पैटर्न पर पुलिस को कमअधिक प्रमाण मे पक्षपात की भावना से काम करते हुए देखा है !
मैंने कल रात को एक घंटे से भी ज्यादा समय मेरे कानपुर के मित्रो से, इस रिक्षा चालक को लेकर जानकारी ली तो ! पता चला कि ,उसके और किसी का किसी और बात को लेकर झगड़ा था ! उस झगडे वाले ने अपने विधायक महोदय को बताया ! तो विधायकजी ने माॅबलिंचिग करने के लिए कुछ लोगों को भेजा ! अगर यह बात सही है ! तो ऐसे लोक प्रतिनिधि को विधायक पदपर रहने का कोई अधिकार नहीं है ! क्योंकि कानून बनाने वाली विधायिकाका सदस्य इस तरह की संविधान के विरुद्ध, हरकत करता हो तो बहुत ही संगीन बात है ! पुलिस ने माॅबलिंचिग करने वाले लोगों के ऊपर क्या कार्रवाई की ? क्योंकि जब रिक्षा चालक को पुलिस अपनी गाड़ी में लेजा रहे थे, तब भी गाडी के आसपास लोग खडे थे ! और उनके उपर पुलिस ने कुछ एक्शन लेते हुए वीडीओ में नहीं दिखाई देता है !
और उल्टा रिक्षा चालक को अगर पुलिस ने अपने थाने में लेजाकर पीटा होगा तो कानून बनाने वाला ,माॅबलिंचिग करने के लिए लोग भेजता है ! और कानून की रक्षा करने वाले पुलिस उल्टा पीडितके साथ मारापीटी करने का काम करते है ! और माॅबलिंचिग करने वाले लोगों के ऊपर कुछ भी कारवाही नहीं करते हैं ! तो आज उत्तर प्रदेश के लोक प्रतिनिधि से लेकर पुलिस मिलकर आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए ध्रुवीकरण की राजनीति के लिए वातावरण निर्मिती के लिए यह सब काम कर रहे हैं ऐसा माना जाएगा ! भारत माता की जय, जय श्रीराम बोलो यह जोर-जबरदस्ती से कहलवाना कौनसे भारत और श्रीराम के लिए आदर का लक्षण है ? एक छोटे बच्चे को भी मार-मारकर आप कोई भी बात बताओ तो उसके उपर क्या परिणाम होता है यह सभी बाल-बच्चों के अभिभावकों को मालुम है ! उल्टा जोर जबरदस्ती से इस तरह के फुहड हरकतों से प्रतिक्रिया मे किसी भी आदमी-औरत को गुस्सा आकर वह नहीं बोलेगा मै भी नही !
गत सात साल से भारत के संविधान को परे रखकर ही तथाकथित गोरक्षा के नाम पर सौ से अधिक लोगों की माॅबलिंचिग मे मौत हुई है इसलिए जिम्मेदार लोगों के ऊपर क्या कार्रवाई हुई यह अभितक मुझे मालूम नहीं है ! इसलिए कल के दिन की दोनों घटनाओं देखकर मै रातभर सो नहीं सका ! और आखिर आज सुबह से ही यह बर्बरता की शुरुआत कब और कहासे शुरू हुई यह ढूंढ ने कि कोशिश कर रहा हूँ ! हालाँकि भारत मे हजारों सालों से दलितों और महिलाओं के साथ यह व्यवहार जारी है और आजादी के बाद भारत का संविधान 26 नवंबर 1949 को घोषित होने के और 26 जनवरी 1950 के दिन से लागू करने की घोषणा करने के बाद भी दलितों की बस्तियों को आग लगाकर चारो तरफ से घेरकर मारने की प्रैक्टिस बदस्तूर जारी है और हाल ही में उत्तर प्रदेश के और तथाकथित प्रगतिशील महाराष्ट्र (फुले-आंबेडकर के) में खर्डा, खैरलांजि और दो साल के भिमा कोरेगाव की घटनाओ मे सवर्णों के माॅबसे जो हरकतें हुई है वह समस्त मानवता की ऐसी की तैसी करने वाली घटनाए हैं !
आज भी आंतरजातिय और आंतरधर्मिय शादी करने वाले जोडो के उपर हमले करने की घटनाए बदस्तूर जारी है ! और कुछ सत्ताधारी पार्टी की प्रदेश की सरकारोंमे आंतरधर्मिय शादी के खिलाफ बिल लाने की बात कौनसी मानवीयता का परिचायक है ? डॉ बाबा साहब अंबेडकर ने जाति-धर्मनिरपेक्ष भारत के लिए सिर्फ कानून बनाना पर्याप्त नहीं है ! जबतक कि आंतरजातिय और आंतरधर्मिय शादीया नहीं होती तबतक सच्चे अर्थों में भारत जाति-धर्मनिरपेक्ष नहीं होगा ! यह लिखा है और बोला है लेकिन उन्हें सिर्फ मुर्तियोमे और करोड़ों रुपये खर्च कर के स्मारकों के अंदर कैद कर के रखा जा रहा है और उन्होंने बनाये हुए संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही है ! भारत माता की जय या जय श्रीराम जोर-जबरदस्ती से कहलवाना कौनसे संविधान मे आता है ?
ब्रिटानिका के पन्ने पलट कर देखते हुए पता चला कि माॅबलिंचिग करने की शुरुआत अमेरिका में (1736-96) चार्ल्स लिंच के नाम पर मशहूर हुई है ! यह स्वघोषीत कोर्ट के कुछ लोगों द्वारा की जाने वाली कृती को जर्मनी में भी मध्यकाल में हालफिक्स गिब्बर लाॅ के नाम से स्पेन में सान्ता हेरमानडेड कान्स्टुबुलेरी मध्ययुगीन बर्बरता, रशियामे,पोलैंड में भी यहूदियों के खिलाफ ! और इस समय में दुनिया भर के कई देशों में यह प्रैक्टिस जिसे लिंचिग प्रस्थापित कानूनों की अनदेखी करते हुए ! या जहां कोई भी कानून का राज नही वहां पर इस तरह के झुंड के झुंड मिलकर हमले करने की बात ! युनाइटेड स्टेट में 1882,1951 मे 4,730 लोगों की माॅबलिंचिग मे मौत हुई है जिसमें 1,293 गोरे रंग के और 3,437 काले लोगों की मौत हुई है ! 1950 और 60 में जीन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस बर्बरता के विरुद्ध आवाज उठाने की कोशिश की उन्हें भी मार दिया है ! जर्मनी में हिटलर के एस एस (स्टाॅर्म स्टुपर्स) ने यहूदियों के खिलाफ ,इसी तरह के अत्याचार करते हुए लाखों यहूदियों को मौत के घाट उतार दिया है !
और गत सात साल से भारत के मुख्यतः हिंदी प्रदेशों में राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में कुल मिला कर सव्वासौ लोगों की अधिकारिक जानकारी के अनुसार मौत हुई है ! जिसमे मोहम्मद अखलाक, जुनैद,जाहिद अहमद, मझलुम अन्सारी, इम्तियाज खान, मुस्तैन अब्बास, फेलू खान, मुक्ति इलिसा जैसे लोगों की माॅबलिंचिग मे मौत हुई है !
अनधिकृत आकड़े ज्यादा हो सकते हैं ! और जुलाई के महिने में भारत के प्रधानमंत्री मन की बात में भारत जोडो की बात करते हैं ! मैंने राष्ट्र सेवा दल के कार्यकर्ता के नाते प्रधानमंत्रीजी की बात का स्वागत करते हुए एक लेख भी लिखा है कि भारत के एकता-अखंडता के लिए यही बात कैसे आवश्यक है और हमारे तरफ से इस तरह की भारत जोडो के लिए 1985-86 मे ही बाबा आमटे जी के नेतृत्व में कश्मीर से कन्याकुमारी और एझ्वाल से ओखा तक शेकडो युवाओं को लेकर सायकिल यात्रा का आयोजन किया गया है और आप और आपके पार्टी द्वारा आयोध्या को लेकर भारत को छिन्न-भिन्न करने के आंदोलन किया है और आज आप इस तरह के सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति करते हुए ही सत्ता तक पहुँच कर अगर देर से ही सही अगर भारत के जुड़ने की बात कर रहे हो तो फिर राजधानी दिल्ली से लेकर उत्तर प्रदेश के औद्योगिक शहर कानपुर में कल की घटना से कौन-सा भारत जूडेगा ?
इस तरह की नफरत की खेती गत सौ साल से भी ज्यादा समय हो रहा है संघ परिवार लगातार किये जा रहा है ! और संघ के प्रमुख हिंदू और मुसलमानों का डी एन ए एक है ! तो फिर यह खूनी खेल खेलने वाले लोगों को कौन रोकेगा ? अगर आप उत्तर प्रदेश के चुनाव के लिए वातावरण निर्मिती के लिए यह शुरुआत करना ही आप लोगों का उद्देश्य है तो फिर मै भगवान श्रीराम के भरोसे भारत को छोड़ देता हूँ ! सत्ता के लिए आप लोगों को यही रास्ता सही लगता है तो भारत जोडो और डीएनए की बातें करने का पाखंड नहीं करना चाहिए !