भोपाल। चंद बरसों की सरकारी खिदमत, गिनी जा सकने जैसे तनख्वाह, पारिवारिक जिम्मेदारियां, बच्चों की उच्च शिक्षा और उनके लिए रोजगार के बेहतर साधन भी…! आमदनी और खर्च में तालमेल बैठता नजर नहीं आ रहा है। शक की सुई भ्रष्टाचार से की गई गई काली कमाई की तरफ घूम गई। दो साल पहले की गई शिकायत पर लोकायुक्त अब हरकत में आया है। मप्र वक्फ बोर्ड के पूर्व प्रशासक निसार अहमद को चिट्ठी भेजकर सवालों की झड़ी लगा दी है। जवाब देने के लिए एक हफ्ते की मोहलत दी गई है।

मप्र वक्फ बोर्ड में पहले प्रभारी सीईओ और बाद में प्रशासक के पद पर काबिज रहे निसार अहमद को लोकायुक्त कार्यालय, भोपाल ने पत्र जारी किया है। पत्र में सवालों की लंबी फेहरिस्त जारी करते हुए सात दिन के भीतर जवाब तलब किया गया है। इन सवालों की धुरी निसार अहमद द्वारा अपने सेवाकाल में की गई कमाई के आसपास ही घूम रही है। एक सामान्य सरकारी नौकरी से मिलने वाली तनख्वाह और उसके आधार पर खड़ी की गई अकूत संपत्ति को भ्रष्टाचार की संभावनाओं को देखते हुए ये जांच शुरू की गई है।

ये किए हैं सवाल
– पूरे सेवाकाल में वेतन के रूप में हुई आय की जानकारी
– पूरे सेवाकाल में किन किन पदों पर पदस्थ रहे
– निसार अहमद और परिवार के सभी सदस्यों के पैन नंबर
– वर्ष २०१४-१५ में मिलेनियम अपार्टमेंट, एयरपोर्ट रोड सहित अन्य स्थानों पर की गई खरीदी से सम्बन्धित दस्तावेज
– कटरा हिल्स पर खरीदे गए मकान के सभी जरूरी दस्तावेज
– बेटे और बेटी की शिक्षा पर खर्च हुई राशि का ब्यौरा और उनसे सम्बन्धित दस्तावेज
– बैरसिया रोड पर वी मार्ट के पास खरीदी गई संपत्ति और उस पर किए अस्पताल निर्माण से सम्बन्धित दस्तावेज
– इन्द्र विहार कालोनी में खरीदे गए प्लॉट से सम्बन्धित जानकारी और दस्तावेज
– लोकायुक्त ने निसार अहमद की पत्नी, पुत्रों और पुत्री के नाम पर खरीदी गई सभी संपत्तियों की जानकारी मांगते हुए उनके द्वारा किए गए निवेश की जानकारी भी मांगी है। साथ ही पूरे सेवाकाल में उनकी वैतनिक आय का ब्यौरा भी मांगा है

कैसे दिए अतिरिक्त लाभ, जवाब दें
मप्र वक्फ बोर्ड के प्रशासक रहते हुए निसार अहमद ने कई ऐसे फैसले भी किए हैं, जिनका अधिकार उन्हें नहीं था। इन्हीं में शामिल एक मामले में उन्होंने एक बर्खास्त कर्मचारी को बहाल भी कर दिया और उसको लाखों रुपए का भुगतान भी कर दिया।

नियमविरुद्घ भर्तियों पर भी सवाल
लोकायुक्त ने एक अन्य जांच में निसार अहमद को नियमों से इतर नियुक्तियां करने का गुनहगार भी माना है। निसार ने अल्पसंख्यक आयोग में सचिव रहते हुए नियंविरुद्ध नियुक्तियां की थीं। लोकायुक्त इन सभी नियुक्तियों, पदोन्नति आदि के नियम और इसके लिए अपनाई गई प्रक्रिया की जानकारी लोकायुक्त को उपलब्ध कराने के लिए निसार को निर्देशित किया है।

इनका कहना
निसार अहमद मेरे कार्यकाल से पूर्व आयोग में सचिव पदस्थ रहे हैं। लोकायुक्त द्वारा की जा रही जांच की जानकारी मुझे मिली थी लेकिन रिटायर होने के बाद उनके खिलाफ हो रही जांच के लिए निसार व्यक्तिगत तौर पर उत्तरदाई हैं।
नियाज़ मोहम्मद खान
पूर्व अध्यक्ष,
अल्पसंख्यक आयोग

निसार अहमद के खिलाफ हुई भ्रष्टाचार की शिकायतों पर लोकायुक्त द्वारा जांच की जा रही है। वे मेरे कार्यकाल में बोर्ड में पदस्थ रहे हैं। मुझसे लोकायुक्त द्वारा जांच में कोई सहयोग मांगा जाएगा, तो मैं तत्पर रहूंगा।
शौकत मोहम्मद खान
पूर्व अध्यक्ष
मप्र वक्फ बोर्ड

 

ख़ान आशु की रिपोर्ट

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