आज जवाहरलाल नेहरु की 57 वी पुण्यतिथि का दिन है मुझे बहुत अच्छी तरहसे याद है कि मेरी उम्र उस समय ग्यारह या बारह साल की थी ! हमारे गांव मे सिर्फ हमारे ही घर मे फिलिप्स कंपनी का काफी बडा रेडिओ था ! उस समय टीवी नहीं था ! इस कारण हमारे घर के रेडियो पर बिनाका गितमाला से लेकर क्रिकेट, हाॅकी की रनिंग काॅमेंट्री और कुछ महत्वपूर्ण आयोजन के रेडियो प्रोग्राम सुनने गली-मोहल्ले के काफी लोग हमारे ओसरी और आंगन में इकट्ठे होकर कार्यक्रम के प्रसारण सुनते थे !

आज से सत्तावन साल पहले के दिन जैसे ही हृदयाघात से नेहरूजी की मृत्यु की खबर आना शुरू हुई ! वैसे-वैसे हमारे घरके सामने गाँव के लोग इकट्ठे होकर जवाहरलाल नेहरु के अंत्येष्टि तक सुनते रहे ! मेरे पिताजी स्वतंत्रता सेनानी तथा कांग्रेस के कमिटेड कार्यकर्ता थे ! लेकिन हमारे गाँव में कम्युनिस्ट पार्टी का प्रभाव था ! और हमारे विधानसभा, साक्री से कम्युनिस्ट पार्टी के विधायक चुनकर जाते थे ! लेकिन 27 मई 1964 के दिन लगभग पुरा गाँव जवाहरलाल नेहरु के अंत्येष्टि तक हमारे घर के रेडियो सुनते रहे यही उनकी लोकप्रियता का मीटर है !

आजकल कुछ तत्व जवाहरलाल नेहरु के खिलाफ अनर्गल बकवास कर रहे हैं ! यह बात दीगर है और उसमे नंबर एक पर वर्तमान भारत के प्रधानमंत्री तो अन्य बातों कि तरह नेहरुजी के बारे मे अमर्याद बोलते रहते है ! हालाँकि उनके बड़बोलापन अब संपूर्ण विश्व के लिए बहुत ही अच्छी तरह से मालूम होने के कारण उनके किसी भी बात पर विश्वास खत्म हो चुका है !

मुल मुद्दा मेरी नजर में जवाहरलाल नेहरू यह है तो बचपन से ही पिताजी के कारण मैं जवाहरलाल, लाल बहादुर शास्त्री जी तक और महात्मा गाँधी, मौलाना आजाद, सुभाष चन्द्र बोस और कांग्रेस के उस समय के सभी नेताओं के बारे मे बहुत ही आदर-सम्मान मेरे मनमे था ! पर आठवीं कक्षा में आने के बाद राष्ट्र सेवा दल के शाखा में जाने लगा तो साने गुरूजी और ना वि करंदिकर ने अनुवाद किया हुआ जवाहरलाल नेहरू के भारताचा शोध (भारत एक खोज) यह अहमदनगर किले के बंदी काल में लिखी हुई किताब (9अगस्त से 28 मार्च 1945) तक ढाई साल से भी ज्यादा समय मुंबई की आठ अगस्त 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव पारित करने वाली समस्त कांग्रेस कार्यकारिणी (महात्मा गाँधी को आगाखान पैलेस पुणे में छोड़ कर) के सभी नेताओं को अहमदनगर किले मे बंदी बनाकर रखा था !

तो जवाहरलाल नेहरू के भारताचा शोध किताब का लेखन उस समय का है ! इतने सारे ऐतिहासिक संदर्भ दिया हुआ किताब वह भी जेल की चारदीवारी के भीतर कहाँ से इतना संदर्भ मिला होगा ? उस किले मे नेहरु जी के अलावा मौलाना आजाद, आचार्य नरेन्द्र देव,डॉ राजेंद्र प्रसाद, बैरिस्टर आसफ अली पंडित गोविन्द वल्लभ पंत, आचार्य जे बी कृपलानी, सरदार पटेल, पट्टाभि सितारामय्या, पी सी घोष, शंकरराव देव,हरे कृष्ण मेहताब एक तरह से भारत की सभी भाषाओं तथा ज्ञान, परंपरा को जानने समझने वाले लोग चलते फिरते संदर्भ ग्रंथ मौजूद थे ! और आश्चर्य की बात है कि यह किताब एप्रिल 1945 से सितंबर के बीच के समय यानी सिर्फ पांच महीने के भीतर लिखी है !

जिस पर मशहूर सिनेदिग्दर्शक श्याम बेनेगल ने भारत एक खोज यह सीरियल भी बनाया है!वह है सही भारत का परिचय! संघ गत सौ साल से भारत के इतिहास के बारे मे तोड़-मरोड़कर रोज की शाखाओं से लेकर तथाकथीत बौद्धिक के नाम पर गोबेल्स के जैसे बार-बार बताने का परिणाम नरेंद्र मोदी के जैसे स्वंयंसेवक जो की भारत की जानकारी से लेकर किसी भी बात को बिगाड़कर बोलते रहते है ! और सबसे खतरनाक बात किसी खास जाती-वर्गो के बारे मे तिरस्कार, द्वेष फैलाना जिसके परिणामस्वरूप भागलपुर, गुजरात, मेरठ और देश के सभी जगहों के दंगे की और सबसे ज्यादा खतरनाक अभि ताजे लक्षद्वीप और कश्मीर के मुद्दों को सांप्रदायिक रंग देने की देशद्रोह की बातें करने के कारण पहले के

विभाजन से लेकर आज की बाटो और राज्य करने की सनक जिसे पच्चीस दिन पहले बंगाल की जनता ने नकारा है ! और अगले साल उत्तर प्रदेश की जनता भी नकारेगी और 2024 मे होने वाले लोकसभा चुनाव में भी सांप्रदायिक राजनीति करने वाले के लिए सबक सिखायेंगे यह विश्वास है ! मुझे मेरे नजर में जवाहरलाल नेहरू के भारताचा शोध किताब के अलावा डॉ राम मनोहर लोहिया के भी आचार्य केलकर इंदुमती केलकर द्वारा अनुवादित किताबें पढने के बाद जवाहरलाल नेहरू के बारे मे कुछ असमंजस की स्थिति में जाने लगा था !

लेकिन मुझे पढने की भुक होने के कारण मैंने हर तरह की किताबें बिल्कुल गाँधी हत्या और मै से लेकर गोलवलकर के सभी खंड, समग्र सावरकर से लेकर लोहिया, जेपी, नानासाहब गोरे, मधु लिमये, साने गुरूजी, नरहर कुरूंदकर, आचार्य जावडेकर (आधुनिक भारत) डॉ बाबा साहब अंबेडकर और रामचंद्र गुहा, अशिश नंदी, नयनतारा सहगल, एस गोपाल के नेहरूज इत्यादि काफी बडी लिस्ट होने की संभावना है इसलिये लेखकों के संदर्भ रोककर इतना ही लिखना चाहता हूँ कि अगर इतना विभिन्नताएं और विवादित साहित्य पढने के कारण मुझमें एक स्वतंत्र निर्णय और सही क्या है और गलत क्या है इसका निर्णय लेने की क्षमता का विकास हुआ है !

और इसमें मेरे वरिष्ठ मित्र वसंत पळशिकर, यदुनाथ थत्ते, नानासाहब गोरे, किशन पटनायक, अशिश नंदी, धिरू भाई सेठ, रजनी कोठारी, कुलदिप नायर, गौरकिशोर घोष, अम्लान दत्त, शिवनारायण राय, बैरिस्टर तारकुंडे, एस एम जोशी, मधु दंडवते, पुष्पा भावे, दत्ता सावळे, सुधीर बेडेकर, प्रफुल्ल बिडवाई, असगर अलि इंजीनियर, हमीद दलवाई, जितेन्द्र शाह, राम पुनियानी, कुमार केतकर, अशोक शहाणे और मेरे हम उम्र के देश भर के कई-कई मित्रों की मेरे वैचारिक और अध्यात्मिक दर्शन के लिए अनमोल योगदान के कारण मैं जवाहरलाल नेहरु से लेकर और किसी भी तरह के लोग या इझम पर संतुलित विचार कर सकता हूँ !

तो इसका काफी बडा श्रेय मेरे जीवन मे आये विभिन्न विचारधाराओं के मित्रोंको जाता है ! मैंने जाति धर्मनिरपेक्षता की विचारधारा के साथ मित्रता मे भी अन्य मित्रों को अपनाया और उनका बडप्पन की उन्होंने भी मुझे स्वीकारा ! और किसी भी तरह के द्वेष या तिरस्कार जैसे बिमारियों से मुक्त होने का लाभ मिलने के कारण, आज भारत के निर्माण के लिए जवाहरलाल नेहरू के योगदान को मानता हूँ ! और दुसरी सबसे अहम बात जवाहरलाल नेहरू के और महात्मा गाँधी के विकास की अवधारणा की ऐतिहासिक बहस डी जी तेंदुलकर ने छठवे व्हालुम में दोनों का पत्राचार विस्तार से दिया है ! और उसके बावजूद यंत्र, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विचारों से गांधीजी से विपरीत सोच रखने वाले जवाहरलाल नेहरू को भारत का नेतृत्व देने की पहल महात्मा गाँधी के जैसे राष्ट्रपिता ने की है !

और उसका एकमात्र कारण भारत विभाजन के बीज हिंदू हो या मुसलमान दोनों को सशक्त ढंग से अगर कोई निपट सकता है , तो सिर्फ जवाहरलाल नेहरू ! क्योंकी जवाहरलाल नेहरु के सेक्युलर होने के बारे मे कुछ भी संशय नहीं था !और 1947 में बचे हुए भारत की बागडोर संभालने के लिए जवाहरलाल नेहरू के पक्षमे गाँधीजी रहे ! और वह भी अपनी विकास, अहिंसा और मेरे सपनों का भारत की कल्पनाओको दावपर लगाकर !महात्मा गाँधी ने भारत के प्रधानमंत्री के लिए जवाहरलाल नेहरू का चुनाव किया है ! और उस समय कि स्थिति को देखते हुए यहीं निर्णय सही था ! अन्यथा भारत की एकता और अखंडता कायम करने की प्रक्रिया खंड-खंड में तब्दील हो गई होती! आज भारत के प्रथम प्रधानमंत्री और आधुनिक भारत की नींव रखने वाले जवाहरलाल नेहरू को सत्तावनवी पुण्यतिथि के अवसर पर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए यह मुक्त चिंतनको विराम देता हूँ !

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