पूर्व मध्य रेलवे का महत्वपूर्ण स्टेशन है दक्षिण बिहार का गया जंक्शन. यह अंतराष्ट्रीय पर्यटन स्थलों से भी जुड़ा है. गया और बोधगया के महाबोधि मंदिर आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए रेल महत्वपूर्ण माध्यम है. इसके मद्देनजर, गया रेलवे स्टेशन को वर्ल्ड क्लास स्टेशन बनाने की मांग लंबे समय से होती रही है. लेकिन वर्ल्ड क्लास स्टेशन की बात तो दूर, गया रेलवे स्टेशन की वर्तमान दशा ए-वन स्टेशन जैसी भी नहीं है, जिसका दर्जा 2015 में मिला था. निरीक्षण के लिए आने वाले उच्चाधिकारी बड़ी-बड़ी बातें कर जाते हैं, लेकिन कोई भी योजना या दावे धरातल पर नहीं उतर पाते.
गया रेलवे स्टेशन पर चारो तरफ बेतरतीब गंदगी का अम्बार है. यहां न तो टैक्सी, ऑटो रिक्शा व रिक्शा के लिए स्टैंड हैं और न ही ट्रेनों के बारे में यात्रियों को सही और ससमय जानकारी देने की कोई समुचित व्यवस्था. केवल कहने को पूछताछ कार्यालय है, जहां अप्रशिक्षित निजी कर्मचारियों को रखा गया है. प्रतिक्षालय की भी अच्छी व्यवस्था नहीं है. गया रेलवे स्टेशन पर बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक आते हैं, उनकी सुविधा के लिए यहां कोई विशेष व्यवस्था नहीं है. पितृपक्ष के समय देश-विदेश से बड़ी संख्या में गया आने वाले हिन्दू धर्मावलंबियों का प्रमुख साधन रेल ही होता है. लेकिन पिंडदान करने आने वाले लोगों को सही जानकारी देने के लिए रेलवे की ओर से यहां कोई विशेष व्यवस्था नहीं की जाती है, जिसके कारण बाहर से आए यात्री कई बार धोखाधड़ी के शिकार हो जाते हैं.
गया रेलवे स्टेशन पर अनेक महत्वपूर्ण योजनाएं अधर में लटकी पड़ी हैं. इन योजनाओं के प्रति रेलवे के अधिकारियों की उपेक्षा नजर आती है. गया रेलवे स्टेशन स्थित जीआरपी के सामने नया रिजर्वेशन काउंटर खोलने की बात 2015 में हुई थी. 6 करोड़ रुपए की लागत से अप्रैल 2015 में इसका भवन बनने का काम शुरू हुआ. पूर्व मध्य रेलवे के महाप्रबंधक ने घोषणा की थी कि 2017 तक नया रिजर्वेशन काउंटर बन कर तैयार हो जाएगा. लेकिन अब तक यह अधूरा पड़ा है. यहां जीआरपी का नया थाना बनना था. उसके लिए 10 लाख रुपए का आवंटन भी आया, लेकिन नक्शा तैयार नहीं होने के कारण काम शुरू नहीं हो पाया. थाना के अलावा डीएसपी कार्यालय तथा जवानों के रहने के लिए आवास बनाने के लिए भी 3 करोड़ का बजट निर्धारित था, लेकिन उस दिशा में भी अब तक कोई काम नहीं हो सका है.
जीआरपी के पीछे पार्सल ऑफिस के पास शव गृह बनाने की योजना 2013 में बनी थी, लेकिन उसका काम आज तक शुरू नहीं हो सका है. रेल एसपी जितेन्द्र मिश्रा ने इस संबंध में मुगलसराय रेल मंडल को पत्र भी भेजा था, लेकिन अब तक उस पर कोई सुनवाई नहीं हुई है. एफसीआई के पास मजदूर आश्रम बनाने के लिए सितम्बर 2016 में रेलवे की ओर से सर्वे हुआ था, लेकिन उसका काम भी अधर में है. बताया जाता है कि मुगलसराय मुख्यालय से आवंटन नहीं होने के कारण उसका काम रोक दिया गया. गया जंक्शन के 1 नम्बर प्लेटफॉर्म पर एक्सलेरेटर लगाने की योजना 2015 में बनी थी, उसके लिए 40 लाख रुपए का आवंटन भी हुआ था, लेकिन काम इसलिए रुक गया, क्योंकि मुगलसराय मुख्यालय से नक्शा बनकर नहीं आ सका.