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नई दिल्ली: आज हमारे देश के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की दूसरी बरसी है. इस मौके पर देश के प्रधानमंत्री आज रामेश्वरम में मौजूद रहेंगे और अब्दुल कलाम स्मारक का उद्घाटन करेंगे. कलाम ने भारत जो आधुनिक भारत बनाने में अपना योगदान दिया था जिसकी वजह से पूरा देश आज भी उन्हें याद करता है.

एपीजे अब्दुल कलाम स्मारक का डिजाइन और इसका निर्माण पी करुमबू में (रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन) डीआरडीओ ने किया है. इस दौरान मोदी यहां ध्वजारोहण और कलाम की प्रतिमा का अनावरण कर उन्हें श्रद्धांजलि देंगे. इस दौरान प्रधानमंत्री कलाम के परिजनों से भी मुलाकात करेंगे.

इसके बाद मोदी एक प्रदर्शनी बस ‘कलाम संदेश वाहिनी’ को भी रवाना करेंगे. यह बस देश के अनेक राज्यों से होते हुए 15 अक्तूबर को राष्ट्रपति भवन पहुंचेगी. कलाम की जयंती 15 अक्तूबर को है. इसके बाद मोदी एक जनसभा के लिए पंडपम जाएंगे.
जानिए कलाम के जीवन से जुड़ी अनकही बाते

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम (APJ Abdul Kalam) का भारत के अंतरिक्ष और रक्षा विभाग के लिए किए गए योगदान को, किसी भी विश्लेषण द्वारा समझाया नहीं जा सकता। इनके इस अतुलनीय योगदान के कारण ही इन्हें मिसाइल मैन (Missile Man of India) के नाम से भी जाना जाता है। विज्ञान की दुनिया में चमत्कारिक प्रदर्शन के कारण ही डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के लिए राष्ट्रपति भवन के द्वार स्वत: ही खुल गए थे।

अब्दुल कलाम पायलट बनना चाहते थे लेकिन देहरादून एयरफोर्स अकादमी में कुछ नंबर कम मिलने की वजह से उनका चयन नहीं हो सका और वह मिसाइल मैन बन गये।

आईआईटी वाराणसी के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित कलाम साहब ने उनके लिए अन्य लोगों की अपेक्षा बड़ी कुर्सी पर बैठने से इनकार कर दिया था।

कलाम साहब का नमन नारायण नाम के छात्र ने जब उन्हें स्केच बनाकर भेजा तो कलाम साहब ने खुद हाथ से लिखा ग्रीटिंग कार्ड उस बच्चे को भेजकर सरप्राइज दिया था।

अब्दुल कलाम ने राष्ट्रपति बनने के बाद अपनी सारी जमांपूजी एक एनजीओ को दान कर दी थी।

1998 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कलाम साहब को मंत्रीमंडल में शामिल होने के लिए कहा था लेकिन विशेष प्रोजेक्ट्स में व्यस्त होने की वजह से कलाम साहब ने मंत्री बनने से इनकार कर दिया था।

कलाम साहब बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे, ऐसे में अपनी पढ़ाई को जारी रखने के लिए और परिवार को मदद देने के लिए वो पेपर बेचते थे।

कलाम साहब एकमात्र देश के ऐसे राष्ट्रपति थे जो विवाहित नहीं थे।

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