शराबबंदी के फैसले को लेकर कभी बेहद सख्त दिख रहे नीतीश कुमार अब इस मुद्दे पर बैकफुट पर नजर आ रहे हैं. बिहार में शराबबंदी को लेकर कानून में कई अहम बदलावों को नीतीश कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. इन बदलावों के बाद अब यह कानून पहले जैसा सख्त नहीं रह जाएगा. Aपहले के कानून के मुताबिक पहली बार शराब पीते हुए पकड़े जाने पर गैरजमानती धाराएं लगती थीं और 5 साल की सजा का प्रावधान था. लेकिन अब इसे जमानती बना दिया गया है. अब 50,000 रुपए की फाइन या तीन महीने की जेल का प्रावधान किया गया है. अब धाराएं जमानती और असंज्ञेय होंगी, यानी जेल जाने से बचा जा सकेगा.

पहले शराब या शराब की खाली बोतलों की बरामदगी पर भी घर, वाहन और जमीन को सीज करने का प्रावधान था. लेकिन अब शराब बरामदगी के बाद घर, वाहन और जमीन को जब्त नहीं किया जाएगा. हालांकि अगर तस्करी में इनका इस्तेमाल हो रहा है तो इन्हें जब्त किया जाएगा. पहले घर में शराबखोरी पकड़े जाने पर 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई होती थी. लेकिन अब इसमें भी ढील दी गई है. अब केवल उस शख्स के खिलाफ कार्रवाई होगी, जिसने शराब का सेवन किया होगा. पहले डीएम के पास किसी समूह, समुदाय या खास इलाके या गांव में शराबबंदी कानून के उल्लंघन पर सामूहिक जुर्माना लगाने का अधिकार था, लेकिन अब इस प्रावधान को समाप्त करने की अनुशंसा की गई है.

नीतीश कुमार के इस कदम से एक तरफ जहां विपक्ष को हमलावर होने का मौका मिल रहा है, वहीं इन आरोपों पर भी मुहर लगती दिख रही है कि कानून को दुरुपयोग हो रहा था. बिहार विधानसभा के मॉनसून सत्र (20 जुलाई) में इस संशोधन बिल को पेश किया जाएगा. विपक्ष के नेताओं का आरोप था कि शराबबंदी की आड़ में दलितों और पिछड़ों को गिरफ्तार कर उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है. गौरतलब है कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से अबतक 1.5 लाख लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.

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