अपनी कुछ विसंगतियों के बावजूद लोकतंत्र मानव जाति द्वारा अर्जित अब तक की श्रेष्ठतम व्यवस्था है ।कोई भी सामंती व्यवस्था और किसी भी राजा ,बादशाह का शासन लोकतंत्र से बेहतर नहीं हो सकता । लोकतन्त्र का विकल्प और अधिक बेहतर लोकतंत्र है ।इस हेतु जातिवाद ,सम्प्रदायिक ,प्रतिगामी , फासीवादी प्रवृत्तियों और ताकतों का प्रतिरोध बेहद जरूरी है ।किसी लोकतांत्रिक देश में सामंती व्यवस्था और किसी राजा ,बादशाह का महिमा मंडन उचित नहीं है ।
यह प्रवृत्ति लोकतांत्रिक चेतना के विकास में बाधक है । हम सामाजिक न्याय ,मानव अधिकारों और अभिव्यक्ति की आज़ादी सिर्फ लोकतांत्रिक व्यवस्था में ही अर्जित कर सकते हैं ।इसलिए बेहतर दुनिया ,सामाजिक न्याय ,विश्व शांति ,मानव अधिकारों और अभिव्यक्ति की आज़ादी सुनिश्चित करने के लिए लोकतांत्रिक मूल्यों के विकास में योगदान देना चाहिए । लोकतांत्रिक चेतना के विकास हेतु जन शिक्षण बेहद जरूरी है।
शैलेन्द्र शैली
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