iimदेश के नामी संस्थानों में शुमार भारतीय प्रबंधन संस्थान बोधगया और मगध विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग में इन दिनों विवाद बढ़ गया है. सरकार तथा मगध विश्वविद्यालय और आईआईएम के बीच जगह को लेकर कोई स्पष्ट निर्देश नहीं मिलने के कारण मगध विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग के विभिन्न कोर्स में पढ़ रहे छात्रों और आईआईएम के छात्रों के बीच क्लास रूम को लेकर आये दिन विवाद होता रहता है. मगध विश्वविधालय के शिक्षा विभाग पूरी तरह से सेल्फ फाईनांस की राशि से बना है. इसके सभी क्लास रूम और कार्यालय बीएड, एमएड रेगुलर कोर्स तथा बीएड दूरस्थ शिक्षा के छात्रों की राशि से बनाया गया है.

लेकिन मगध विश्वविद्यालय परिसर में स्थापित किये गये भारतीय प्रबंधन संस्थान बोधगया के द्वारा शिक्षा विभाग के बीएड क्लास रूम को जबरन कब्जा लेने का आरोप मगध विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग के शिक्षक और छात्रों के द्वारा लगाया जा रहा है. जिसके कारण मगध विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग का अस्तित्व संकट में पड़ सकता है. क्योंकि  बीएड कोर्स के संचालन के लिए मान्यता देने वाली भारत सरकार के संस्थान एनटीसीई द्वारा किसी भी बीएड कॉलेज या विभाग के मान्यता के लिए 4500 वर्ग फुट बिल्डअप एरिया चाहिए. यदि ऐसे में आईआईएम को बीएड का कमरा दे दिया जाता है तो मगध विश्वविद्यालय में बीएड औेार एमएड के कोर्स पर संकट गहरा सकता है.

शिक्षा विभाग के शिक्षकों ने बताया कि मगध विश्वविद्यालय परिसर में  बीएड और एमएड के लिए ए पी जे अब्दुल कॉलम भवन तीन करोड 60 लाख 49 हजार राशि से प्रस्तावित है. इस भवन के अगले साल पूरा होने की संभावना है. इस भवन के बनने के बाबजूद विभाग के मान्यता के लिए फिर से निरीक्षण करवाने की जरूरत पड़ सकती है. क्योंकि प्रस्तावित भवन में दो ही क्लास रूम बन रहे हैं. जबकि विभाग को कम से कम 6 क्लास रूम की जरूरत है. मगध विश्वविलाय के शिक्षा विभाग के  शिक्षकों ने बताया कि आई आर्ई एम को कमरे सौंपने के बाद मात्र चार क्लास रूम ही बच जाता है. जिसमें  बीएड तथा एमएड के छात्रों का क्लास होना मुश्किल है.

मगध विश्वविद्यालय और आई आई एम बोधगया के बीच शुरू से ही विवाद रहा है. 2015 में जब बोधगया में  भारतीय प्रबंधन संस्थान की शाखा खोलने का निर्णय लिया गया तब इसके लिए प्राप्त मात्रा में भूमि उपलब्ध कराने के लिए बिहार सरकार को कहा गया. इस पर बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने तत्परता दिखाते हुए मगध विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति  और कुलसचिव से मंत्रणा कर आई आई एम को मगध विश्वविद्यालय परिसर में 119 एकड़ भूमि देने की घोषण करा दी. इस घोषणा के बाद मगध विश्वविद्याालय के शिक्षक, शिक्षेकत्तर कर्मियों और छात्रों ने इसका विरोध करना शुरू किया.

प्रारंभ में मगध विश्वविद्यालय के मुख्य प्रवेश द्वारा से लगे जमीन को देने की बात कही गयी. इस पर मगध विश्वविद्यालय में हंगामा हो गया. मगध विश्वविद्यालय के शिक्षक शिक्षकेत्तर कर्मियों ने मगध विश्वविद्यालय के अधिकारियों और बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के अधिकारियों के इस निर्णय पर हंगामा करने लगे. बढ़ते विवाद को देखते हुए मगध विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने परिसर में स्थित स्टेडियम में और इससे लगे भूमि और बोधगया डोभी मार्ग पर पश्चिम में स्थित खाली पड़ी जमीन को आई आई एम को देने का निर्णय लिया.

इसके बदले में मगध विश्वविद्यालय को आई आई एम की ओर से 900 करोड़ रूपये देने की बात कही गयी. आई आई एम बोधगया के स्थापित हुए 3 साल हो गये लेकिन अभी तक मगध विश्वविद्यालय को फूटी कौड़ी भी नहीं मिली है. जबकि आई आई एम के द्वारा फिलहाल मगध विश्वविद्यालय के 3 छात्रावासों को और शिक्षा विभाग के अधिकतर क्लास रूम को कब्जा कर लिया हैं, जिसके कारण मगध विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. मगध विश्वविद्यालय को यह उम्मीद था कि 900 करोड़ की राशि मिलने पर छात्रावास तथा अन्य भवनों का निर्माण कराते.

लेकिन कहा जा रहा है कि इस संबंध में मगध विश्वविद्यालय और आई आई एम बोधगया से कहीं कोई लिखित एग्रीमेंट नही है. सभी कुछ मौखिक आधार पर ही कहा जा रहा है. आई आई एम बोधगया के निदेशक सविता महाजन का कहना है कि मगध विश्वविद्यालय और बिहार सरकार की ओर से इन्हें जो व्यवस्था दी गयी है, इसी पर हमलोग आई आई एम को चला रहे है. इस संबंध में मगध विश्वविद्यालय के कर्मियों का कहना है कि बिहार सरकार पूरी तरह से आई आई एम बोधगया को मदद कर रही है. मगध विश्वविद्यालय के प्रति बिहार सरकार का रवैया बहुत अच्छा नहीं है.

इधर मगध विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति और पदाधिकारियों का भी मगध विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग के प्रति अच्छा रवेैया नही है. सेल्फ फाईनांस वाले इस विभाग में करोड़ो रूपया पड़े रहने के बाबजूद पिछले सात महीने से शिक्षकों को वेतन नहीं दिया जा रहा है. वर्तमान कुलपति के रवैये से इस विभाग को बंद करने की साजिश नजर आती है और इस विभाग में जमा करोड़ो रूपये को अपने जिम्मा लेकर इसका वारा-न्यारा करने का प्रयास किया जा रहा है.

इन्ही सब बातों को लेकर मगध विश्वविद्याालय के शिक्षाकर्मियों  में निराशा है. शिक्षा विभाग के कर्मियों का स्पष्ट कहना है कि मगध विश्वविद्यालय के अधिकारियों की उपेक्षा नीति के कारण ही आई आई एम बोधगया के कर्मियों और छात्रों के द्वारा शिक्षा विभाग के कार्यालय और भवनों पर कब्जा कर लिया गया है. मई के अंतिम सप्ताह में क्लास रूम को लेकर जब आई आई एम और मगध विश्वद्यिालय के बीएड छात्रों के बीच मारपीट की नौबत आई तो पुलिस तथा गया जिला के वरीय पुलिस पदाधिकारियों ने हस्तक्षेप किया. लेकिन बिहार सरकार के शिक्षा विभाग की ओर से किसी तरह का कोई स्पष्ट निर्देश नहीं आने के कारण विवाद आगे भी बढ़ने की संभावना है.

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