नई दिल्ली : लखनऊ की सड़कों पर 1953 में युवा अटल बिहारी वाजपेयी नारा लगाते रहे, कटती गौएं करें पुकार, बन्द करो यह अत्याचार. अटलजी सत्ता के सोपान पर आरोहित होते रहे. उधर गायें भी कटती रहीं. गोरक्षा पर राष्ट्रीय कदम नहीं उठा सके. सत्ता के केन्द्र लोकभवन में प्रवेश करते ही योगी ने गोकशी कानून पर सख्ती की. बूचड़खानों पर ताला डलवा दिया.
मायावती राज में कानून बना था कि सचिवालय में पान और गुटखा प्रतिबंधित हो. मनभावन कदम था. संगमरमर से निर्मित फर्श और चमकती दीवारें चन्द महीनों बाद इतनी विकृत हो गईं कि मानो पीक नहीं पेंट हो और कलाकृतियां चित्रित हो रही थीं. अब वे चित्रकारी घिसकर, रगड़कर मिटाई जा रही है. कुछ ज्यादा पढ़े-लिखे लोगों को यह कार्य छोटा लगेगा. वहीं आरोप कि प्रधानमंत्री अब वैश्विक समस्याओं पर ध्यान न देकर स्वच्छ भारत पर केंद्रित हैं. झाडू थामे हैं.
अगर मोदी शासन की तर्ज पर योगी ने भी स्वच्छ प्रदेश का संकल्प लिया है तो यह सीख महात्मा गांधी से ही मिली है. योगी के गुटखामुक्त सचिवालय की योजना को इसी नजरिए से देखना चाहिए.
योगी ने सरकारी नौकरों को साढ़े नौ बजे कार्यस्थल पर आने का आदेश दिया है. योगी ने सुशासन की शुरुआत पुलिस थानों से की है. प्रधानमंत्री कहते रहे कि सभी थाने सपा कार्यालय हो गए हैं. जिला प्रशासन ही पूर्णतया यादवमय हो गया था. गोरक्षक योगी अब इन यदुवंशियों को हटा रहे हैं.
सरकारी वाहनों पर से हूटर हटवाया है. इससे भी कम से कम ध्वनि प्रदूषण दूर हो. मगर इससे राजमद भी टूटेगा. तीन तलाक से मुक्ति दिलाने के आश्वासन पर त्रस्त मुस्लिम महिलाओं का बहुमत पाने वाले योगी अब मनचलों से बेटियों को निजात दिलाने के लिए क्रियाशील हो गए हैं. हिरासत में रोमियों की संख्या बढ़ रही है.
योगी उत्तर प्रदेश में भी शराबंदी के इच्छुक हैं. योगी पर अभी राजनीतिक कठिनाई आशंकित है. करीब छह मंत्री हैं, जिन्हें विधानमंडल का सदस्य बनना है. किस क्षेत्र से भेजेंगे? स्वयं भी चुनाव लड़ेंगे. फिर दो लोकसभाई उपचुनाव होंगे. अपना गोरखपुर से तथा केशव मौर्य का फूलपुर से. दोनों सीटों पर प्रधानमंत्री की साख दांव पर लगी होगी.
फिलहाल किसानों का कर्जा माफ हो गया है. लेकिन, अभी भी गोरखपुर से सटे हुए नेपाल की नदियों से पूर्वांचल में आनेवाले बाढ़ से त्रस्त क्षेत्र का परित्राण करना नए मुख्यमंत्री की तात्कालिक चुनौती है.