जवाहर लाल नेहरु जी ने कभी कहा था कि किसी लोकप्रिय व्यक्ति के तानाशाह बनने का खतरा भी बना रहता है ।
इस कथन में कई संकेत और आशंकाएं छिपी हुई हैं ।
विभिन्न कारणों से अर्जित लोकप्रियता के कारण कोई व्यक्ति यदि सत्ता के शीर्ष पर पहुंच कर तानाशाह हो जाता है तो वह किसी अन्य की अपेक्षा कहीं अधिक घातक साबित होता है ।क्योंकि जनता उसके मोह जाल में फंसी रहती है ।समय रहते उस तानाशाह की तानाशाही को महसूस भी नहीं कर पाती ।जनता अपनी दुर्दशा के कारणों के प्रति संवेदनहीन बनी रहती है ।जनता तानाशाह के भ्रामक प्रचार,बड़बोलेपन ,धार्मिक उन्माद ,संकुचित राष्ट्रवाद के मायाजाल में ही उलझी रहती है ।
लेकिन जनता की दुर्दशा और संकट जब बढ़ते ही जाते हैं तो तानाशाह की लोकप्रियता का मायाजाल भी टूटता है ।तब तक बहुत देर हो चुकी होती है ।तब इतना अधिक नुकसान हो चुका होता है कि उसकी क्षतिपूर्ति में कई दशक लग जाते हैं। किसी लोकप्रिय तानाशाह की तानाशाही को सही समय पर महसूस नहीं करने और प्रतिरोध नहीं करने के दुष्परिणामों से सबक लेना ही चाहिए ।