नई दिल्ली (ब्यूरो, चौथी दुनिया)। उत्तर प्रदेश का ताज योगी के सिर पर सजा कर मोदी और शाह ने सबको चौंका दिया। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा था कि योगी को आखिरी वक्त में सीएम की कुर्सी पर बिठाया गया। लेकिन वास्तिविकता ये है कि शाह और मोदी की नजर में योगी आदित्यनाथ शुरू से ही पहली पसंद थे। इकनॉमिक टाइम्स में छपी खबर में बताया गया कि क्यों योगी और शाह बीजेपी की पहली और आखिरी पसंद थे।
अखबार में छपी खबर के मुताबिक एक बीजेपी नेता ने बताया कि बीजेपी की नजर में राजनाथ सिंह और योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री के तौर पर दो ही विकल्प थे। राजनाथ सिंह ने इस मामले पर अपनी तरफ से इनकार कर दिया था और पार्टी को ये भी नसीहत दी थी कि चुनाव में बिना किसी नाम के ही चुनाव लड़ना होगा। जीतने के बाद योगी आदित्यनाथ के सिर पर ताज सजना, ये बात लगभग पहले से ही तय थी।
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पार्टी ने सीएम पद के लिए दो सर्वे कराए थे। एक सर्वे जनता के बीच कराया गया था और दूसरा सर्वे पार्टी के भीतर कराया गया था। बाहरी सर्वे में योगी आदित्यनाथ, राजनाथ सिंह से सिर्फ एक ही अंक पीछे रह गए थे। जबकि पार्टी के भीतर कराए गए सर्वे में राजनाथ और योगी बराबरी पर आए थे। ऐसे में राजनाथ सिंह का सीएम की रेस से खुद पीछे हटना, योगी को और आगे ले गया।
इन बातों के अलग शाह और मोदी योगी से कुछ और मामलों में भी काफी प्रभावित थे। शाह और मोदी दोनों को योगी की साधाहरण जीवन शैली काफी प्रभावित की। कहा जाता है कि चुनाव के दौरान अमित शाह योगी के साथ उनके मठ में रुके थे। वहां उन्होने योगी की अनुशासित जीवन शैली और अपने लोगों के प्रति चिंता को करीब से देखा। और आखिर में अमित शाह ने योगी के साथ जब गोरखपुर में रोड शो किया तो सारी तस्वीर बिल्कुल साफ हो गई।
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ऐसा नहीं था गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ के सामने चुनौती नहीं थी। लेकिन वो अपनी चुनौतियों को अपने ही अंदाज में निपटा रहे थे। शाह और मोदी ने उनकी इस काबिलियत को देखा। इसका परिणाम ये हुआ कि जब 7वें चरण में कई बागियों से बात की गई तो योगी के खिलाफ इनपुट्स मिले। लेकिन शाह और मोदी ने योगी से इस बाबत कोई सवाल जवाब नहीं किया। आखिर में नतीजों ने बागियों को गलत साबित कर दिया। जिसके बाद बीजेपी आलाकमान ने मिलकर तय किया कि यूपी की जिम्मेदारी योगी आदित्यनाथ को दी जानी चाहिए।