नई दिल्ली। राम रहीम पर आए फैसले के बाद हरियाणा पुलिस तैयार जरूर थी लेकिन इस बात से उसे डर था कि अगर राम रहीम अपने डेरे से निकलने से इनकार कर देंगे तो पुलिस के सामने नई चुनौती खड़ी हो जाएगी। लिहाजा बाबा को कॉन्फिडेंस में लेने के लिए सरकार बाबा को समझा रही थी कि उन्के लिए खास इंतजाम किए गए हैं। दरअसल पुलिस को जानकारी मिली थी कि बाबा भागने की कोशिश कर रहे हैं और उनकी इस प्लानिंग में हरियाणा पुलिस के कुछ लोग भी मदद कर रहे थे।
किसी भी अव्यवस्था की स्थिति न पैदा हो इसलिए पुलिस ने बाबा को विश्वास दिलाया कि उन्हें ज्यादा कुछ नहीं होगा। पुलिस ने डेरा समर्थकों को भी पंचकुला शहर आने दिया और देर रात तक उन पर कार्रवाई भी नहीं हुई ताकि राम रहीम टीवी पर देखकर निश्चिंत हो जाए कि उनके साथ ज्यादा सख्ती नहीं बरती जाएगी। जेल में राम रहीम की बेटी को भी इसिलिए आने की इजाजत दी थी ताकि बाबा डेरे से बाहर निकल सके।
जैसे ही बाबा को कोर्ट द्वारा दोषी करार दिया गया उन्हें तुरंत आर्मी के वेस्टर्न कमांड के हेड क्वार्टर की ओर भेज दिया गया ताकि पैरामिलिट्री फोर्स के घेरे में रहें और बाबा भाग न सके। दोषी करार दिए जाने के तुरंत बाद पैरामिलट्री फोर्स ने तुरंत रामरहीम को पंचकुला के सेशन कोर्ट से आर्मी के हेलीकॉप्टर पर बिठाकर रोहतक भेज दिया।
अधिकारियों का कहना कि रामरहीम के साथ हनीप्रीत को इसलिए भी भेजा गया था क्योंकि रामरहीम की गैरमौजूदगी में वही डेरे के प्रमुख की कुर्सी संभालने वाली हैं। प्रशासन नहीं चाहता था कि हनीप्रीत डेरा समर्थकों को संबोधित करे। इसी वजह से हनीप्रीत को रोहतक जेल के गेस्ट हाउस तक ले जाया गया था। गेस्ट हाउस में जैसे ही रामरहीम पहुंचे उसके तुरंत बाद जेल अधिकारियों ने सबसे पहले हनीप्रीत को वहां से हटाया और उसके बाद गुरप्रीत को रोहतक की की जेल में शिफ्ट किया।