उत्तरा प्रदेश की प्रभारी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी के राजनीति में आने के बाद ये कहा जा रहा था की पार्टी में नई जान आ जाएगी। प्रियंका को कांग्रेस का ट्रंप कार्ड माना जा रहा था। लेकिन मोदी और शाह की आंधी में प्रियंका गांधी फैक्टर बुरी तरह से फ्लॉप साबित हो गया। कांग्रेस ने सोनिया गांधी की रायबरेली और राहुल गांधी की वायनाड छोड़कर वो सभी सीटें गंवा दीं जहां प्रियंका ने प्रचार किया था। यहां तक की कांग्रेस के लिए इस बुरे दौर के सबसे अच्छे राज्यों में शुमार रहे पंजाब में भी प्रियंका ने जिन दो सीटों बठिंडा और गुरदासपुर में प्रचार किया था वहां पार्टी हार गई। पंजाब में कांग्रेस ने 13 में से 8 सीटें जीती है।
Winning & losing is a part of life. My best wishes to Congress leaders & workers.There was plenty of hard work that went into elections. No doubt, it’s disheartening but let’s keep the fight on.I congratulate PM Mr. Narendra Modi,BJP & NDA. pic.twitter.com/S2ZG1IYkG7
— Robert Vadra (@irobertvadra) May 24, 2019
प्रियंका कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ उन चंद नेताओं में शुमार थीं जिन्होंने एक से ज्यादा राज्यों में प्रचार किया था। लेकिन नतीजों ने प्रियंका फैक्टर की हवा निकाल दी। उत्तर प्रदेश के अलावा 12 सीटों पर प्रियंका प्रचार के लिए पहुंची थीं, उनमें से 11 पर कांग्रेस हार गई। इनमें असम की सिलचर, हरियाणा की अंबाला, हिसार और रोहतक, नॉर्थ ईस्ट दिल्ली और साउथ दिल्ली, मध्य प्रदेश की रतलाम और इंदौर, हिमाचल प्रदेश की मंडी सीटें भी शामिल हैं।
पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी बनीं प्रियंका गांधी को अपने क्षेत्र में नई सीटें जीतना तो दूर पारिवारिक गढ़ अमेठी में अपने ही भाई की जीत भी नसीब नहीं हो पाई। इस झटके के चलते प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 पर फोकस करवाने की रणनीति को भी झटका लगा है। उत्तर प्रदेश में प्रियंका ने धौराहरा, कुशीनगर, बाराबंकी, उन्नाव, कानपुर, फतेहपुर, झांसी, प्रतापगढ़, जौनपुर, सुल्तानपुर, डुमरियागंज, बस्ती, संत कबीर नगर, भदोही जैसी सीटों पर भी प्रचार किया था।