न निकाह रजिस्ट्रेशन, न हुए फतवे जारी, सबने जताया विरोध
काजी, मुफ्ती, ईमाम, मुअज्जिन की मौजूदगी वाले इदारे में मंगलवार को जो हुआ, उसने शहर को गुस्से ने भर दिया है। मसजिद कमेटी के कर्मचारी गुंडागर्दी भरी हरकतों से नाराज़ हैं और इसके विरोध में उन्होंने बुधवार को काम बंद का ऐलान कर दिया। प्रशासन और पुलिस पूरी तरह हालात पर नजर बनाए हुए हैं और उसने दोषियों को जल्दी गिरफ्तार करने का आश्वासन दिया है।
बुधवार सुबह पुलिस के आला अधिकारियों ने मसजिद कमेटी पहुंचकर शहर काजी सैयद मुश्ताक अली से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने आश्वस्त किया कि शहर में गुंडागर्दी करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। मंगलवार को हुई घटना के दोषियों को जल्दी गिरफ्तार कर लिया जाएगा। गौरतलब है कि पिछले साल बरखास्त की गई इस कमेटी को लेकर पिछली कमेटी और सरकार द्वारा नियुक्त किए गए प्रभारी के बीच कई बार विवाद के हालात बन चुके हैं। इसी बीच मंगलवार को भी कमेटी दफ्तर में विवाद हुआ था।
क्या हुआ था मंगलवार को
राजधानी भोपाल स्थित मसाजीद कमेटी के दफ्तर में मंगलवार दोपहर जमकर हंगामा हुआ। विवाद अदालत के एक आदेश की गलत व्याख्या किए जाने को लेकर है। इस कमेटी के अपदस्थ लोगों ने जबलपुर हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की है, जिसमें उन्होंने कमेटी पर दोबारा अधिकार दिए जाने की मांग की है। जबकि सरकार बदल के दौर में भाजपा सरकार ने इस कमेटी को भंग करके यहां की व्यवस्था प्रभारी सचिव के हवाले कर दी है।
मसाजीद कमेटी में हंगामा दोपहर करीब तीन बजे हुआ। कमेटी के पूर्व सेक्रेटरी एसएम सलमान अपने दो दर्जन से ज्यादा साथियों के साथ पहुंचे थे। उन्होंने प्रभारी सचिव यासिर अराफात के केबिन में घुसकर जमकर नारेबाजी, तोड़फोड़ की। इस बीच सलमान और यासिर के बीच हाथापाई भी हुई। जिसमें यासिर अराफात घायल हो गए। सूचना पर पहुंची पुलिस ने दोनों पक्षों को थाना शाहजहांनाबाद पहुंचाया, जहां यासिर अराफात की शिकायत पर एसएम सलमान, एडवोकेट शाहनवाज़ खान, नसीम भोपाली, ओसाफ बबलू समेत कई लोगों के खिलाफ जानलेवा हमला, सरकारी कार्यवाही में दखल आदि धाराओं में मामला दर्ज किया है।
क्यों बनी स्थिति
जानकारी के मुताबिक पूर्व कमेटी ओहदेदारों ने अदालत में याचिका लगाते हुए कहा था कि उनका कार्यकाल खत्म होने से पहले उनसे बल पूर्वक चार्ज ले लिया गया है। मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने इसकी अगली तारीख २२ फ़रवरी तय की है। साथ ही इस तारीख तक कमेटी को आज की तारीख में यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। इस आदेश को पूर्व कमेटी ने अपने पक्ष में मानते हुए कमेटी बरकरार रखने और दोबारा चार्ज लेने की मांग रख डाली। इस मामले को लेकर कुछ दिनों पहले भी हंगामा हुआ था।
ये हैं हालात
सरकार बदल के दौर में उस समय वजूद में सभी निगम मंडल को एक आदेश से शून्य करार दे दिया था। इस आदेश की जद में मसाजिड कमेटी भी आती है। लेकिन कमेटी ओहदेदारों ने खुद को इस आदेश से अलग माना। उनका तर्क था कि उनकी नियुक्ति दो साल के लिए की गई थी, जिस लिहाज से उनका कार्यकाल १२ मार्च २०२१ तक है। इसको लेकर ओहदेदारों ने अदालत में याचिका भी दाखिल की है।
खान अशु