आप देश के चार सर्वोच्च पदों में से एक पर विराजमान हो ! ( 1 राष्ट्रपति 2 उपराष्ट्रपति 3 प्रधानमंत्री तथा 4 लोकसभाध्यक्ष ) आपने राज्यसभा के सभापति के पद पर कार्यरत रहते हुए, बुधवार दिनांक 31 जुलै 2024 के दिन समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद श्री. रामजीलाल सुमन ने एनटीए के अध्यक्ष की नियुक्ति और उनके आरएसएस से जुड़े होने को लेकर सवाल उठाए थे ! और इसपर आप ने सभापति की कुर्सी पर बैठकर कहा कि “इस टिप्पणी को रेकॉर्ड में नहीं आने देंगे ! और किसी को भी आरएसएस का नाम लेन की इजाजत नहीं देंगे, आरएसएस देश की सेवा करता है ! इससे जुड़े लोग निस्वार्थ भाव से काम करते हैं !” इसके बाद आगे जाकर आपने कहा कि “संघ की साख बेदाग है ! और इसकी आलोचना करना संविधान के खिलाफ है ! और कोई ऐसा कर रहा है तो यह संविधान को रोंदने जैसा है !”

https://www.milligazette.com/dailyupdate/2006/20060618_rss_nagpur_facts.htm 

सभापति महोदय मुझे नहीं मालूम कि आपके और आरएसएस के कितने करीब से संबंध रहे हैं ? लेकिन मैं अपने खुद के जीवन के अनुभवों के आधार पर आपको संघ के संबंध में मेरा आकलन से परिचित कराने के लिए यह पोस्ट लिखने की कोशिश कर रहा हूँ ! हायस्कूल की पढाई करने के समय, आठवीं कक्षा में ( 1965-66 ) के दौरान संघ की शाखा में रोज श्याम को जाता था ! और उस शाखा में खेल से लेकर बौद्धिक तथा कथा – कहानी सुनाने के समय भी स्वयंसेवकों को बार – बार कहा जाता था “कि हिंदुओं का हिंदुस्तान ! ” ( क्या इससे हमारे संविधान का उल्लंघन नहीं हो रहा है ? ) सभी स्वयंसेवकों को मैदान में एक बडा गोल करते हुए बैठाया जाता था ! और एकेक स्वयंसेवक को उस गोल के चक्कर लगाते हुए, हिंदुओं का हिंदुस्तान यह एक ही सांस में बोलते हुए चलना है ! जिसने भी बीच में सांस लेने की गलती की, वह आऊट हुआ ऐसा बोलकर उसे अलग बैठाया जाता था ! और फिर उस गोल को और अधिक बडा करते हुए, बचें हुए स्वयंसेवक ने चक्कर लगाते हुए, एक ही सांस में हिंदुओं का हिंदुस्तान बोलते हुए, चक्कर लगाना होता था ! और जिसकी भी सांस बीच में नहीं टिकती थी उसे आउट घोषित किया जाता था ! इस तरह एकेक करते हुए अंत में जो भी अपनी एक ही सांस में हिंदुओं का हिंदुस्तान बोलते हुए बचेगा, उसे विजयी घोषित किया जाता था ! वैसे ही बटवारे के समय हिंदुओं के साथ हुए अत्याचार खुब मिर्च-मसाले लगाकर सुनाऐ जाते थे ! मुख्यतः महिलाओं के साथ किए गए, अत्याचार का विवरण सुनकर, मैं खुद इतना आगबबूला हो जाता था, कि शाखा से घर लौटने के रास्ते में जानबूझकर रास्ता टेढा रहने के बावजूद भी! मुस्लिम बस्ती से होते हुए, खुब अनाप-शनाप बोलते हुए, अपने घर वापस आता था ! और उस मोहल्ले में रहने वाले, तांगा चलाने वाले या रजाई-गद्दे तैयार करने वाले, तथा बैंड-बाजे या ढोल-ताशा बजाने वाले, और एकाध दो घर बकरे को काटकर उसके मांस को बेचने वाले खाटिक व्यवसाय करने वाले फटेहाल लोग, अपने घरों के चबुतरे पर बैठ कर, टुकुर – टुकुर आंखों से सिर्फ मुझे देखते रहते थे ! लेकिन किसी ने भी कभी भी मुझे नहीं टोका ! और न ही कोई आपत्ति जताई ! लेकिन उस समय मुझे लगता था, कि मेरे जैसे बहादुर, हिम्मतवाले हिंदूस्वयंसेवक को घबराकर कोई भी मुस्लिम व्यक्ति मुझे कुछ भी नहीं रोक- टोक कर रहा है ! वास्तविक स्थिति यह थी, कि मैं एक मराठा जमिंदार परिवार में पैदा हुआ लडका! जिसके खेतों में काम करने के लिए आने वाले इनमे से काफी लोग होते थे , तथा बकरे का मांस काटने के बाद हमारे घर पर ही ताजा मांस पहुचाने वाले खाटिक, तथा हमारे घर के जरूरत के रजाई-गद्दे बनाकर पहुचाने वाले पिंजारी, या घर में हो रहे शादी – ब्याह या अन्य अवसरों पर बैंड-बाजे बजाने वाले ! हमारा संयुक्त और काफी बडा परिवार था ! इस कारण इन लोगों का हमारे घर से कई प्रकार की जरूरतों के लिए इस बस्ती में रहने वाले, लगभग सभी लोगों का संबंध था! इस कारण मेरे शाखा से लौटते हुए दिए गए गाली-गलौज को अनदेखा करना स्वाभाविक था! लेकिन उस समय ( 12-13 साल की उम्र का रहा होगा ! ) लेकिन मुझे लगता था कि

https://www.citizen-news.org/2011/02/unbiased-and-independent-inquiry.html?m=1

वह सबके सब मुझे डरा रहे हैं !
उपराष्ट्रपति महोदय आप ही बताइए कि एक 12-13 साल की उम्र का किशोर संघ की शाखा में मुसलमानों के खिलाफ जो भी सही गलत बताया जाता था ! वह सुनकर इतना उत्तेजित हो जाता था, कि तुरंत ही शाखा से घर लौटने के रास्ते को थोड़ा टेढा रहते हुए भी संघ के शाखा में भड़काने के बाद, जानबूझकर उस मोहल्ले में घुसकर, अपनी भड़ास निकालता था ! यह संघ का अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ चल रहा विषवमन को अगले वर्ष के दशहरे के दिन सौ वर्ष पुरे हो रहे है ! और आप उच्चसदन के सभापति की कुर्सी पर बैठ कर सर्टिफिकेट दे रहे हैं, कि “संघ की साख बेदाग है ! और इसकी आलोचना करना संविधान के खिलाफ है ! और कोई ऐसा कर रहा है, तो यह संविधान को रोंदने जैसा है ! और किसी को भी वह राज्यसभा में संघ का नाम लेने की इजाजत नहीं देंगे !” क्या मेरे जैसे 12 – 13 वर्ष उम्र के बच्चों को इस तरह कीसी समुदाय के खिलाफ भड़काने की हरकत हमारे संविधान के अंतर्गत आता है ? या उसका उल्लंघन करने का अपराधिक गुनाह है ?


1970-72 के दौरान महाराष्ट्र के जलगांव और भिवंडी के दंगों की जांच करने वाले जस्टिस मादान साहबने अपने जांच रिपोर्ट में लिखा है, कि “इन दंगों में प्रत्यक्ष रूप से कौन सहभागी था ? वह बात दिगर है ! लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के बाद से ही, संघ अपनी शाखाओं में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ शाखा के खेल से लेकर, गित तथा कथा – कहानी या बौद्धिकों में भी स्वयंसेवकों के जेहन में जो नफरत भरते रहा है ! यह दंगे में परिवर्तित होता है !”


सभापति महोदय यही बात गुजरात के दंगों से लेकर भागलपुर, मेरठ – मुजफ्फरनगर तथा देश के किसी भी हिस्से में हुए दंगों में दिखाई देता है ! और आप देश के सर्वोच्च सदन के सभापति की कुर्सी पर बैठकर यह सर्टिफिकेट दे रहे हैं ! यही हमारे देश के संविधान के विपरीत है ! क्योंकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को महात्मा गांधी की हत्या के बाद से लेकर अभी तक जितने भी अलग- अलग सांप्रदायिक हिंसा के बाद इस संगठन को बैन करने की कृति करनी पड़ी है ! वह किस लिए ? क्या संघ ने अपने उपर लगा बैन को लेकर कभी किसी कोर्ट से अपने आपको बेदाग होने का उदाहरण मौजूद हैं ? जिसको आप खुद ही बेदाग होने का सर्टिफिकेट दे रहे हो ?

https://www.oneindia.com/2006/05/07/nanded-blast-indication-of-communal-conspiracy-by-rss-pucl-1147008817.html

https://www.milligazette.com/dailyupdate/2006/20060530_nanded.htm

मैंने खुद 6 अप्रैल 2006 को महाराष्ट्र के नांदेड के पाटबंधारे नगर के ‘नृसिंहनिवास’ नाम के घर में हुए बमविस्फोट की जांच-पड़ताल की है ! यह मकान राज राजकोंडावार परिवार का है ! जो पूरी तरह से संघ का परिवार है ! और उनके घर के सामने ही रोज संघ की शाखा चलती थी ! और इस ‘नृसिंहनिवास’ में बमबनाने के समय आधी रात के बाद भयंकर विस्फोट हुआ, जिसमें राज कोंडावार के तरुण लडके नरेश राजकोंडावार तथा हिमांशु पानसे नाम के दो स्वयंसेवक चिथड़े – चिथड़े होकर मारे गए ! और राहुल देशपांडे नामके स्वयंसेवक बुरी तरह से जख्मी हो गया था ! यह सब कुछ मैंने अपने दो सहकारी मित्रों की मदद से, खुद नागपुर से नांदेड़ जाकर जांच-पड़ताल करने के बाद देखा है !

और यह बम भविष्य में आने वाली ईद के मौके पर औरंगाबाद (अब नया नाम संभाजीनगर) तथा परभणी जैसे शहरों की मस्जिदों में फेकने के योजनाओं के बारे में जानकारी भी प्राप्त हुई है! इस हादसे के बाद दो महीने के भीतर नागपुर के संघ मुख्यालयको ( पुराना महल की बिल्डिंग !) एक जून 2006 को रात में तीन बजे के दौरान उडाने की कोशिश करने के लिए, पाकिस्तान से आए हुए चार फिदायीन पुलिस की मुठभेड में मारे जाने की खबर 2 जून को अखबारों में देखने के बाद, मुझे लगा कि यह कौन-सा आतंकवादी संगठन है ? जो भारत के सबसे बड़े हिंदुओं के संघठन के मुख्यालय को उडाने के लिए, उस बिल्डिंग से कुछ मिटर की दुरी पर पुलिस मुठभेड में मारे गए !

जब साबरमती एक्सप्रेस के एक कोच की आग में 59 लोग जलकर मर जाने के बाद गुजरात में दो हजार से अधिक लोगों में ज्यादातर मुस्लिम समुदाय के लोगों को मार दिया जाता है ! और उनके परिवार की बहुबेटीयो के साथ बलात्कार किया गया ! यह घटना चार साल पहले ( 2002 ) गुजरात राज्य में हुई थी ! और आरएसएस के मुख्यालय पर चार फिदायीन वह भी पाकिस्तान से ! भारत के मध्य में स्थित नागपुर में आकर हमला करने की कोशिश करते हुए, चारों के चारों को मुठभेड में मार गिराया जाता है! तथा उनके शवों को आधी रात के अंधेरे में दफनाया जाता है ! यह देखकर मैंने अपने संयोजन में जस्टिस कोळसे पाटील की अध्यक्षता में जांच पड़ताल की है !

https://www.sabrang.com/cc/archive/2006/june06/investigation2.html

जिसके रिपोर्ट की लिंक मै इसी लेख के अंत में एक क्लिप की शक्ल में जोड कर दे रहा हूँ !
मेरा साफ – साफ मानना है कि, नागपुर संघ मुख्यालय के तथाकथित फिदायीन हमले की योजना सिर्फ नांदेड़ के संघ परिवार के घर में बमबनाने की करतूतों से ध्यान भटकाने के लिए कि गई, सुनियोजित फर्जी मुठभेड की घटना थी! संघ को यह सब क्यों करना पडा ? और एक आप है कि इस संघ के देश की सेवा करने से लेकर उसके निस्वार्थ भाव से काम करने के सर्टिफिकेट दे रहे हैं ? और इस संघटन के बारे में सभागृह में नाम नहीं लेने देंगे ? क्यों नहीं लेने देंगे ? पूर्व में इतनी सारी आतंकवाद की घटनाओं से संघ को बरी करने के लिए ?

https://kafila.online/2006/12/08/malegaon-bomb-blasts-need-for-a-fresh-probe/

इसी तरह मालेगांव बमविस्फोट (2006 सितंबर) में प्रमुख आरोपी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के साथ संघ के विभिन्न पदाधिकारियों के इंदौर, भोपाल, उज्जैन, पचमढ़ी के बैठकों में शामिल होने के भोपाल के प्रमुख अखबारों में प्रकाशित मुखपृष्ठ के उपर आई हुई फोटो तथा रिपोर्ट है ! और सबसे महत्वपूर्ण बात, इस केस में महाराष्ट्र एटीएस के तरफसे कोर्ट में पेश किया गया रेकॉर्ड में इन बैठकों के इतिवृत के ऑडियो- विडियो में से ट्रांसक्रिप्ट करके कोर्ट में पेश किया है ! और आप भारत के सर्वोच्च सदन के सभापति अपने कुर्सी से संघ देशसेवा करता है !

और इससे जुड़े हुए लोग निस्वार्थ भाव से काम करने के सर्टिफिकेट दे रहे हैं ? आपको इस संगठन के बारे में कितनी जानकारी है ! मुझे मालूम नहीं है ! यह मै आपको शुरू से ही लिख रहा हूँ ! इसलिए मैंने अपने खुद के अनुभवों के आधार पर यह सब लिखा है ! और मेरी बातें झुठ लगती है, तो मेरा आपसे नम्र निवेदन है, कि इस संघठन के सौ साल के काम की जांच-पड़ताल करने के लिए, एक उच्चस्तरीय समिती का गठन करते हुए, जिसमें हमारे देश के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड की अध्यक्षता में जांच करने का कष्ट करेंगे ! तो संघ के बारे में जितने भी संशय और गांधीजी की हत्या से लेकर अब तक के विभिन्न आतंकवाद की घटनाओं में संघ भी संलिप्त रहने के आरोप है ! वह सभी एकसाथ पता चल जाएगा ! और अगले साल संघ के शताब्दी समारोह के लिए संघ की देशभक्ति और संविधान के प्रति संघ की निष्ठा के भी मामले में जो भी विवाद फैले हुए हैं ! वह सभी साफ हो जाएंगे !

Adv from Sponsors