घर की सुरक्षा के मुद्दे पर जब प्रायः बात होती है तो प्रतिकूल मौसम में भी घर क्षतिग्रस्त न हो ,सिर्फ इस हेतु ही तैयारियां की जाती हैं ।घर की छत ,दीवारें ,दरवाजे ,खिड़कियां , निकासी की व्यवस्था सुरक्षित रहे तो लोगों को निश्चिंतता रहती है ।
लेकिन घर की सुरक्षा की लेकर सिर्फ भौतिक स्वरूप पर ही बात करना पर्याप्त नहीं है ।घर की वैचारिक सुरक्षा को भी विचार विमर्श का मुद्दा बनना चाहिए ।घर की वैचारिक सुरक्षा के लिए घर में तर्क संगत विचार ,मानवीय ,प्रगतिशील मूल्यों ,सद्भावना ,सहिष्णुता ,विश्व शांति से प्रेरित वातावरण होना ही चाहिए ।
फासीवाद के शिकंजे में भारत फंस गया है ।सहिष्णुता ,सदभाव ,मानव अधिकारों ,सामाजिक न्याय को सत्ता के संरक्षण में ध्वस्त किया जा रहा है । नफ़रत की राजनीति को सारे देश पर थोपा जा रहा है ।तब ऐसे संकट के समय में मानवीय मूल्यों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध लोगों का दायित्व है कि अपने घर को नफ़रत की राजनीति ,सांप्रदायिकता ,कट्टरता ,तर्क विहीन प्रतिगामी प्रवृत्तियों के जहर से बचाएं ।
अन्यथा कुछ भी नहीं बचेगा ।फासीवाद के शिकंजे से सारी दुनिया को बचाने के लिए घर की वैचारिक सुरक्षा और मजबूती भी बेहद जरूरी है ।