मेहंदी ने कहा कि पिछले दिनों सऊदी अरब के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया था, जिसने खुफिया एजेंसियों के सामने स्वीकार किया कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद से वह पाकिस्तान के रास्ते से भारत पहुंचा. उसने बताया कि शियाओं के अंधाधुंध कत्लेआम के कारण पाकिस्तान की दुनिया भर में निंदा हो रही है. लिहाजा, पाकिस्तान चाहता है कि भारत में भी सुन्नियों को भड़का कर उनसे शियाओं के ख़िलाफ़ हिंसा कराई जाए, ताकि भारत की भी चारों तरफ़ निंदा हो. मेहंदी ने कहा, कुछ गुंडा तत्वों को छोड़कर भारत के अधिकांश मुस्लिम हिंसा पसंद नहीं हैं. आतंकवाद विरोधी रैली के आयोजन की तैयारियों पर पिछले दिनों राज्य सरकार द्वारा पाबंदी लगाए जाने की मेहंदी ने आलोचना की. शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद ने भी कहा कि आतंकवाद विरोधी रैली पर रोक लगाने से यह साबित हो गया कि सरकार में कुछ लोग अलकायदा वाली सोच रखते हैं.
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ खास तौर पर मोहर्रम के दौरान अत्यंत संवेदनशील हो जाती है, लेकिन इस बार कुछ अधिक ही सतर्कता बरती जा रही है. वजह वे खुफिया रिपोर्टें हैं, जिनमें इस बार शिया-सुन्नियों के पुरातन विवाद को खूनी बनाने की साजिशों की आशंका जताई गई है. पिछले मोहर्रम में भी कुछ लोगों की जानें गई थीं, लेकिन इस बार किसी प्रमुख व्यक्ति को निशाने पर रखे जाने की आशंका है. इराक और सीरिया की सीमा पर बर्बर उत्पात मचा रहे आतंकी संगठन आईएसआईएस का समर्थन कर रहे कुछ अराजक तत्व आग में घी डालने और देश का माहौल विद्रूप करने की साजिशें कर रहे हैं. आईएसआईएस के सरगना अबू बक्र अल-बगदादी, पाकिस्तान के आतंकवादी सरगना हाफिज सईद, सैयद सलाउद्दीन, अजहर मसूद एवं तालिबानी सरगना मुल्ला उमर जैसे आतंकवादियों का सिर कलम करने वाले को पांच करोड़ रुपये का इनाम देने की सार्वजनिक घोषणा ने आतंकवादी संगठनों के समर्थकों को और सक्रिय कर दिया है. इस घोषणा के पोस्टर राजधानी लखनऊ समेत कई स्थानों पर लगाए गए हैं. इस्लाम के नाम पर दुनिया भर में हिंसा और अत्याचार फैलाने के ख़िलाफ़ लंबे अर्से से मुहिम चला रहे शिया हुसैनी फंड ने इन पोस्टरों और होर्डिंग्स के जरिये ऐलान किया है कि आईएसआईएस के सरगना अल- बगदादी समेत अन्य आतंकी सरगनाओं का सिर काटने वाले को पांच करोड़ रुपये का इनाम दिया जाएगा. कश्मीर में आईएसआईएस का झंडा फहराए जाने की हालिया घटना ने लखनऊ का माहौल और भी संवेदनशील बना दिया है. गौरतलब है कि देश में सबसे अधिक शिया लखनऊ में ही बसते हैं.
ऑल इंडिया शिया हुसैनी फंड, लखनऊ के जनरल सेक्रेटरी सैयद हसन मेहंदी ने इसकी तस्दीक करते हुए कहा कि इस बार मोहर्रम में शिया समुदाय की किसी प्रमुख हस्ती को निशाने पर रखे जाने की आशंका के बारे में उन्हें पहले से इत्तिला है. इस संबंध में उनका एवं अन्य शिया संगठनों का इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) और राज्य की खुफिया एजेंसी से लगातार संवाद बना हुआ है. इस मसले पर शिया संगठनों की लगातार बैठकें भी हो रही हैं और सतर्कता भी बरती जा रही है. शिया समुदाय के लोगों को किसी भी उकसावे में न पड़ने और शांतिपूर्ण तरीके से मोहर्रम मनाने की ताकीद की जा रही है. मेहंदी ने कहा कि पिछले दिनों सऊदी अरब के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया था, जिसने खुफिया एजेंसियों के सामने स्वीकार किया कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद से वह पाकिस्तान के रास्ते से भारत पहुंचा. उसने बताया कि शियाओं के अंधाधुंध कत्लेआम के कारण पाकिस्तान की दुनिया भर में निंदा हो रही है. लिहाजा, पाकिस्तान चाहता है कि भारत में भी सुन्नियों को भड़का कर उनसे शियाओं के ख़िलाफ़ हिंसा कराई जाए, ताकि भारत की भी चारों तरफ़ निंदा हो. मेहंदी ने कहा, कुछ गुंडा तत्वों को छोड़कर भारत के अधिकांश मुस्लिम हिंसा पसंद नहीं हैं. आतंकवाद विरोधी रैली के आयोजन की तैयारियों पर पिछले दिनों राज्य सरकार द्वारा पाबंदी लगाए जाने की मेहंदी ने आलोचना की. शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद ने भी कहा कि आतंकवाद विरोधी रैली पर रोक लगाने से यह साबित हो गया कि सरकार में कुछ लोग अलकायदा वाली सोच रखते हैं.
ऑल इंडिया शिया हुसैनी फंड, लखनऊ के जनरल सेक्रेटरी सैयद हसन मेहंदी ने इसकी तस्दीक करते हुए कहा कि इस बार मोहर्रम में शिया समुदाय की किसी प्रमुख हस्ती को निशाने पर रखे जाने की आशंका के बारे में उन्हें पहले से इत्तिला है. इस संबंध में उनका एवं अन्य शिया संगठनों का इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) और राज्य की खुफिया एजेंसी से लगातार संवाद बना हुआ है.
सैयद हसन मेहंदी ने कहा, आतंकियों ने इराक, पाकिस्तान, अफगानिस्तान एवं भारत में आतंकवाद फैला रखा है. औरतों-बच्चों का कत्लेआम किया जा रहा है. पाकिस्तान, इराक एवं अफगानिस्तान में धर्मस्थल और इमामबाड़े ध्वस्त किए जा रहे हैं. अल-बगदादी एवं मुल्ला उमर दुनिया को अमन और भाईचारे का पैगाम देने वाले देश के ख़िलाफ़ वीडियो जारी कर धमकी दे रहे हैं. यह बर्दाश्त के बाहर है. इस्लाम के नाम पर जो संगठन दुनिया को दहशत फैलाने की धमकी दे रहे हैं, उनके ख़िलाफ़ आवाज़ उठनी ही चाहिए. हम आवाज़ उठाएं, तो हमारे ही देश में हमें ही हटाने की साजिशें हों, यह कैसे बर्दाश्त किया जा सकता है! उल्लेखनीय है कि इसी मसले पर पिछले दिनों लखनऊ के अकबरी गेट स्थित इमामबाड़ा तकी साहब में शिया मौलाना सैफ अब्बास की अध्यक्षता में एक बैठक हुई, जिसमें पाकिस्तान को आतंकवादी राष्ट्र घोषित करने की मांग की गई. बैठक में साढ़े सात सौ शिया मौलाना शामिल हुए.
मेहंदी ने कहा कि शियाओं का कत्लेआम रोकने के लिए शिया हुसैनी फंड के आह्वान पर लखनऊ समेत देश भर के शियाओं ने स्वैच्छिक शहादत के लिए बाकायदा आवेदन भरे और इराक जाने की इच्छा जाहिर की. आवेदन करने वालों में केवल शिया ही नहीं, बल्कि 151 हिंदू भी शामिल हैं. इनमें सुन्नी समुदाय के भी पांच युवकों के आवेदन शामिल हैं. आवेदनों को मंजूरी के लिए विदेश मंत्रालय भेजा गया. इस पर देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने पत्र भेजकर आतंकवाद के ख़िलाफ़ शिया हुसैनी फंड द्वारा चलाए जा रहे अभियान की हिमायत की. मेहंदी ने बताया, लब्बैक या हुसैन (ऐ हुसैन, हम हाजिर हैं तेरे सामने) पढ़ते हुए युवकों ने स्वैच्छिक शहादत के आवेदन भरे. आवेदन में कसम है, जिसमें लिखा है कि मैं इराक, बहरीन, पाकिस्तान एवं सीरिया अपनी मर्जी से जाकर आतंकियों के ख़िलाफ़ लड़ना चाहता हूं. यदि मैं इस हक़ और बातिल (झूठ के ख़िलाफ़) की जंग में शहीद हो जाता हूं, तो अपनी शहादत का खुद ज़िम्मेदार होऊंगा, न कि मेरा परिवार या मेरा देश. अगर हमें सरकार की मंजूरी नहीं मिलती है, तब भी अल्लाह हमारी शहादत की नीयत को कुबूल करेगा. प्रदेश की खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट है कि लखनऊ जोन के ज़िलों में ऐसे आवेदन फॉर्म भरे जा रहे हैं. इलाहाबाद, कौशांबी, फतेहपुर, प्रतापगढ़, हमीरपुर, बांदा समेत कई अन्य ज़िलों में भी शहादत के लिए फॉर्म भरे जा रहे हैं. खुफिया एजेंसी भी यह मानती है कि इससे आंतरिक सुरक्षा को फिलहाल कोई ख़तरा नहीं है. पुलिस की टीमें दोनों वर्गों की गतिविधियां पर नज़र रखते हुए शांति व्यवस्था बनाए रखने के बंदोबस्त में लगी हैं.
बहरहाल, इस मुद्दे पर अलग-अलग समुदाय की प्रमुख हस्तियों के अलग-अलग विचार हैं. साधु परिषद के संयोजक एवं महामंडलेश्वर स्वामी योगी यतीनदानंद गिरी का कहना है कि संसार में जब भी कोई अच्छा काम होता है, तो शैतान उसके ख़िलाफ़ खड़ा हो जाता है. इराक में वही शैतान शिया समुदाय के ख़िलाफ़ खड़ा हो गया है. ब्राह्मण समाज के स्वामी सारंग ने कहा कि हिंदू और शिया दोनों मिलकर आतंकवाद के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाएंगे. अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज के पंडित राजेंद्र नाथ त्रिपाठी और सिख समाज के गुरमीत सिंह भी आतंकवाद के ख़िलाफ़ चल रही मुहिम को अपना समर्थन जताते हैं. ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस मुशावरात के अध्यक्ष डॉ. जफर इस्लाम खान शिया नौज़वानों के स्वैच्छिक शहादत के प्रस्ताव को गलत बताते हैं. उनका कहना है कि इससे वहां पर स्थिति और भी खराब हो जाएगी. किसी अन्य देश की हिंसा में अपने देश के नौजवानों को झोंकना गलत है. जहां तक इराक के पवित्र स्थानों का मसला है, तो उनकी रक्षा करना वहां की सरकार और जनता का काम है. इसलिए हमें भावावेश में नहीं आना चाहिए.
शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद का कहना है कि शियाओं के ख़िलाफ़ अभियान बहुत दिनों से चल रहा है. अलकायदा, तालिबान एवं आईएसआईएस जैसे संगठन इस्लाम को बदनाम कर रहे हैं. इस हरकत में सऊदी अरब और पाकिस्तान जैसे देश खुलेआम सक्रिय हैं. इसमें भारत के मुस्लिम नेताओं की भूमिका भी ठीक नहीं रही. शियाओं के कत्लेआम के ख़िलाफ़ किसी ने भी सार्वजनिक निंदा नहीं की. वहीं ग़रीब नवाज फाउंडेशन के चेयरमैन अंसार रजा का कहना था कि शियाओं के कत्लेआम की भारत में सब लोगों ने निंदा की. उन्होंने कहा, आईएसआईएस और अलकायदा जैसे आतंकी संगठन जो जुल्म ढा रहे हैं, उसे न जनता माफ़ करेगी और न अल्लाह माफ़ करेगा. सऊदी अरब से नापाक तत्वों को मदद मिल रही है, इसमें कोई दो मत नहीं है और पाकिस्तान तो आतंकवादी राष्ट्र है ही.
दूसरी तरफ़ खुफिया रिपोर्टों और राजधानी लखनऊ की संवेदनशील स्थिति के बारे में प्रदेश की क़ानून व्यवस्था के ज़िम्मेदार अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक मुकुल गोयल का कहना है कि आईएसआईएस का लखनऊ में कोई आधिकारिक (स्पेसिफिक) कनेक्शन नहीं मिला है. आईएसआईएस सरगना अल-बगदादी के समर्थन में पत्र लिखने या उसकी फोटो फेसबुक या व्हाटस-ऐप पर अपलोड किए जाने के मसले में लखनऊ के आईजी सुभाष चंद्रा और क़ानून व्यवस्था के आईजी अमरेंद्र सिंह सेंगर को ऐसी गतिविधियों पर निगाह रखने के निर्देश दे दिए गए हैं. एंटी टेररिस्ट स्न्वॉयड भी इराक की घटनाओं को लेकर प्रदेश में सतर्क है. लखनऊ पुलिस को भी मोहर्रम के मद्देनज़र उच्च सतर्कता बरतने का निर्देश दिया गया है.
भारत में आईएसआईएस की आहट
दुनिया भर में कुख्यात संगठन आईएसआईएस की भारत पर इन दिनों विशेष नज़र है. पिछले दिनों आईएसआईएस के सहयोगी संगठन अलकायदा के मुखिया अल जवाहिरी ने भी भारत में अपनी गतिविधियां बहाल करने की बात कही थी. आईएसआईएस इस्लाम की ख़िलाफ़त जैसे नारे के जरिये अपनी ओर सभी को आकर्षित करता है. हाल में प्रसिद्ध इस्लामिक विद्वान, जमीअतुल उलेमा हिंद के महासचिव एवं मजलिस तहफ्फुज सहाबा के अध्यक्ष अब्दुल अलमी फारुकी ने अपने फेसबुक एकाउंट पर आईएसआईएस का झंडा अपलोड किया. उसके एक दिन बाद ही उसे हटा लिया गया. इस झंडे के अंदर भारत समेत पूरे विश्व के नक्शे को दिखाया गया है. फेसबुक पर इस तरह के प्रचार के बारे में जब मौलाना फारुकी से पूछा गया, तो उन्होंने साफ़ तौर पर इंकार कर दिया.
कुछ दिनों पहले फेसबुक पर एक अन्य मुस्लिम विद्वान अब्दुल अलीम इस्लाही का एक लेख (आईएसआईएस: काबिले ग़ौर पहलू) शीर्षक के तहत छपा था, जिसका खुलासा यह है कि आईएसआईएस इराक एवं सीरिया में जो कुछ कर रहा है, वह मुसलमानों की मंशा के अनुसार है. लोगों को चाहिए कि वे अल-बगदादी का अतीत भूलकर, इस वक्त वह एक अच्छा काम कर रहा है, उसे स्वीकार करें, क्योंकि इस्लामी ख़िलाफ़त की तमन्नाओं को मौलाना अबुल कलाम आज़ाद एवं मौलाना मौदूदी की जोरदार लेखनी और भाषण से बढ़कर आईएसआईएस के इस्लामी ख़िलाफ़त के ऐलान से बल मिला है. इसी तरह कुछ महीने पूर्व तमिलनाडु में 26 नौजवानों ने काले रंग की टी-शर्ट, जिस पर आईएसआईएस लिखा था, पहन कर फोटो खिंचवाया. उक्त टी-शर्ट सप्लाई करने वाले चेन्नई की एक मस्जिद के इमाम थे. आईएसआईएस की ओर से भारतीय नौजवानों को गुमराह करने का सिलसिला किसी एक राज्य तक सीमित नहीं है. एनआईए की एक रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक एवं आंध ्रप्रदेश में नौजवानों के गुमराह होकर जेहादी ग्रुप में शामिल होने के ख़तरे पाए जाते हैं. अब तो यह ख़तरा जम्मू-कश्मीर तक पहुंच चुका है. बीते छह अक्टूबर को ईद-उल-अजहा की नमाज अदा करने के बाद श्रीनगर ईदगाह पर इस्लामी झंडे के बीच दो नौजवानों ने काले रंग का झंडा अपने हाथों में ले रखा था. यह झंडा आईएसआईएस के झंडे के डिजाइन पर बनाया गया था. जम्मू-कश्मीर में आईएसआईएस के डिजाइन का झंडा लहराने की घटना इससे पहले 27 जून को भी सामने आई थी.
उक्त घटनाएं बताती हैं कि आईएसआईएस अपना प्रभाव बढ़ाने में लगा हुआ है. संभव है कि वह इसके लिए इराक एवं सीरिया की तरह भारत में भी शियाओं और सुन्नियों के बीच मतभेद बढ़ाकर अपने लिए वातावरण बनाए और शायद मोहर्रम से लेकर चेहल्लुम तक का समय इसके लिए चुना जाए. देश के प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान मौलाना अब्दुल रशीद फिरंगी महली का कहना है कि आईएसआईएस निश्चय ही एक बड़ा जेहादी संगठन है और भारत में इसकी दिलचस्पी हो सकती है, लेकिन मैं नहीं समझता कि वह शिया-सुन्नी मतभेद बढ़ाने के लिए कोई कार्यवाही कर रहा है. कुछ नौजवानों के जेहादी ग्रुप में शामिल होने के समाचार मिल रहे हैं. इसका पता लगाना चाहिए और जो कसूरवार हैं, उन्हें सजा मिलनी चाहिए. प्रसिद्ध शिया विद्वान मौलाना कल्बे जव्वाद का कहना है कि ऐसा बिल्कुल संभव है और इसमें वे मौलवी, जो आईएसआईएस के प्रति नरम पहलू रखते हैं, फेसबुक और अख़बारों के जरिये उनके समर्थन में बयान देते रहते हैं, ऐसे लोग उनका निशाना बन सकते हैं.