हिंदी का बाज़ार आज तेजी से बड़ा और व्यापक होता जा रहा है. हम हिंदी भाषियों से कहीं ज्यादा इसे देश और दुनिया की तमाम कंपनियां समझ रही हैं. चाहे आज ट्विटर हो, वाट्सएप हो या फेसबुक, यूट्यूब आदि सब आज हिन्दी का ही सबसे ज़्यादा प्रयोग कर रहे है, लेकिन हिंदी भाषी तमाम लोग आज अपने बच्चों को हिंदी का संस्कार देने में शर्म महसूस करते है जो कि एक विडंबना है. इतना ही नहीं, हिंदी के नाम पर करोड़ों कमाने वाले बॉलीवुड के ज्यादातर सेलिब्रिटी भी आम बोलचाल में हिंदी की बजाय अंग्रेज़ी का ही प्रयोग करके खुद को रईस और बुद्धिजीवी होने का दिखावा करते हैं. देखा जाए तो कभी कामकाज के सिलसिले में भारत आए विदेशी भारतीय संस्कृति से प्रभावित होकर यहीं बस जाने तक के लिए तैयार हो जाते हैं और बेहिचक हिंदी सीखते और बोलते हैं. क्या उन्हें ऐसा करते देखकर भी हमें अपनी हिंदी पर शर्म आती है? दुनिया के ज्यादातर देश अपनी भाषा पर गर्व करते हैं इसलिए हमें भी एसा करते हुए अपनी भाषा पर गर्व करना चाहिए.
सांस्कृतिक और पारंपरिक महत्व को समेटे हिन्दी अब विश्व में लगातार फैलाती जा रही है. विश्व में हिंदी भाषी करीब 70 करोड़ लोग हैं. यह तीसरी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है. हिंदी जानने, समझने और बोलने वालों की बढ़ती संख्या के चलते अब विश्व भर की वेबसाइट हिंदी को ज़्यादा तवज्जो दे रही हैं. ईमेल, ईकॉमर्स, ईबुक, इंटरनेट, एसएमएस एवं वेब जगत में आज हिन्दी का बोलबाला है. माइक्रोसॉफ्ट, गूगल जैसी कंपनियां हिंदी के प्रयोग को देखते हुए इसे बढ़ावा दे रही हैं. वैसे तो हिंदी को दुनिया में गौरव दिलाने का श्रेय कई लोगों को जाता हैं, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का योगदान इसमें खास हैं क्योंकि अटल बिहारी ही वो शख्स थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में पहली बार हिंदी में भाषण दिया था.
वहीं दूसरी तरफ देखा जाए तो बॉलीवुड में भी हिन्दी का अहम योगदान रहा हैं और आज हमारी बॉलीवुड की फिल्में देश में ही ना रीलीज़ होकर विदेशों में भी रीलीज़ की जा रही है और सुपर हिट भी साबित हो रही हैं. इसी कड़ी में शामिल है- 3 इडियट्स, दंगल, पीके आदि जो ना सिर्फ विदेशों में रिलीज़ हुई बल्कि इन फिल्मों ने कोरोड़ों की कमाई भी करी.
इसलिए क्यों ना अपनी हिन्दी भाषा से प्यार किया जाए और मिलकर कहा जाए: “देश-दुनिया तक हिन्दी पहुंचाओ, पूरी दुनिया में पहचान बनाओ”.