पूर्वोत्तर राज्य मिजोरम में विधानसभा चुनाव का वोटिंग 28 नवंबर को है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक एलायंस (नेडा) के संयोजक और मिजोरम भाजपा के चुनाव प्रभारी के साथ-साथ असम के प्रभावशाली मंत्री डॉ हिमंत विश्व शर्मा ने कहा है कि हमारा लक्ष्य मिजोरम में सरकार बनाना नहीं बल्कि मिजोरम में पार्टी को शक्तिशाली बनाना है.
हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि हमारी पार्टी पहली बार राज्य की 40 में से 39 सीटों पर लड़ रही है. भाजपा नेता ने विश्वास जताया कि मिजोरम विधानसभा चुनाव में 39 में से भाजपा के कम से कम पांच उम्मीदवार निश्चित तौर पर विजयी होंगे. उन्होंने कहा कि हालांकि हमारी उम्मीद इस से कहीं अधिक है. लेकिन अगर हम उस आंकड़े की बात करें तो उस पर सवाल उठने लगेंगे. हिमंत ने राज्य में अगली सरकार बनने में भाजपा की भूमिका अहम होने का भी दावा किया. माना जा रहा है कि भाजपा चुनाव बाद संभवत: मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के साथ मिलकर सरकार में हिस्सेदारी हो सकती है.
यह भी पढ़ें: मिजोरम विधानसभा चुनाव : कांग्रेस और भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है यह लड़ाई
गौरतलब है कि भाजपा ने दूसरी पार्टियों के नेताओं को अपने पाले में मिलाना शुरू कर दिया था. चुनाव की घोषणा के साथ मिजोरम विधानसभा के अध्यक्ष व कांग्रेस नेता हिफेई और पूर्व मंत्री व कांग्रेस के कद्दावर नेता बुद्ध धन चकमा ने भाजपा का दामन थाम लिया था. इससे यह बात सामने आती है कि भाजपा किसी भी तरह कुछ सीटें हासिल करना चाहती है, ताकि राज्य में अपनी स्थिति मजबूत और सत्ता में शामिल होने को लेकर मोलभाव कर सके.
पिछले महीने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की राज्य में हुई रैली में कहा था कि मिजोरम की जनता क्रिसमस का जश्न नए मुख्यमंत्री के साथ मनाएगी. केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी बदलाव का अगला ठिकाना मिज़ोरम को बताते हुए बीजेपी को सत्ता में लाने की अपील की. पूर्वोत्तर में यह राज्य कांग्रेस के लिए अंतिम राज्य है, जहां उनकी सरकार है. अगर मिजोरम भी हाथ से फिसल गया तो फिर कांग्रेस का पूरे पूर्वोत्तर से सफाया हो जाएगा.