सुपरटेक एमेराल्ड मामले (Supertech Emerald Court Case) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाया. कोर्ट ने नोएडा स्थित सुपरटेक एमेराल्ड के 40 मंजिला ट्विन टावर को तीन महीने में गिराने के आदेश दिए हैं. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने यह फैसला दिया. जस्टिस चंद्रचूड ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ये मामला नोएडा अथॉरिटी और डेवलपर के बीच मिलीभगत का एक उदाहरण है. इस मामले में सीधे-सीधे बिल्डिंग प्लान का उल्लंघन किया गया. नोएडा अथॉरिटी ने लोगों से प्लान शेयर भी नहीं किया. ऐसे में इलाहाबाद हाईकोर्ट का टावरों को गिराने का फैसला बिल्कुल सही था.

खरीदारों की राशि करनी होगी वापस

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में अनधिकृत निर्माण में बड़े पैमाने पर वृद्धि हुई है, जो डेवलपर्स और शहरी नियोजन अधिकारियों के बीच मिलीभगत के परिणामस्वरूप होता है. अदालत ने कहा कि नियमों के इस तरह के उल्लंघन से सख्त तरीके से निपटा जाना चाहिए.

अदालत ने सुपरटेक को दो महीने के भीतर 12 फीसदी सालाना ब्याज के साथ जुड़वा टावरों में अपार्टमेंट के खरीदारों को सभी राशि वापस करने का निर्देश दिया है और बिल्डर को रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को 2 करोड़ रुपये की लागत का भुगतान करने का भी निर्देश दिया.

2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिए थे टावरों को गिराने के आदेश

दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2014 में हाउसिंग सोसायटी में नियमों के उल्लंघन पर दोनों टावर गिराने के आदेश दिए थे. इसके साथ ही प्राधिकरण के अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई के निर्देश जारी किए थे. इसके बाद सुपरटेक की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई थी. साथ ही NBCC को जांच कर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था.

अदालत ने नोएडा प्राधिकरण से कहा था कि जिस तरह से आप बहस कर रहे हैं उससे ऐसा लगता है कि आप प्रमोटर हैं. आप घर खरीदारों के खिलाफ नहीं लड़ सकते हैं.

कोर्ट ने आगे कहा था कि एक सार्वजनिक प्राधिकरण के रूप में, उसे एक तटस्थ रुख अपनाना चाहिए, लेकिन उसके आचरण से आंख, कान और नाक से भ्रष्टाचार झलकता है.

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सुपरटेक और नोएडा प्राधिकरण द्वारा 11 अप्रैल, 2014 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय  के फैसले को चुनौती देने वाली अपील पर आया, जिसमें दो टावरों, एपेक्स और सियेन को ध्वस्त करने का फैसला किया गया था, जो सुपरटेक की एमराल्ड कोर्ट परियोजना का हिस्सा था.

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