चुनावी बिगुल बज चुका है, लेकिन सच मानिए, पूरे प्रदेश की जनता विभिन्न मुद्दों जैसे बिजली, पानी, कानून, रोजगार, शिक्षा व स्वास्थ्य को लेकर त्राहि-त्राहि कर रही है. प्रदेश में स्वास्थ्य का मुद्दा अत्यंत गंभीर है. इन दिनों समूचा प्रदेश डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया, टायफाइड जैसी बीमारियों से आक्रांत है. सरकारी और गैर सरकारी अस्पताल मरीजों से भरे पड़े हैं. मरीजों को बेड तक नसीब नहीं हो पा रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के तराई इलाके में बसे जनपद लखीमपुर खीरी की स्वास्थ्य सेवाएं तो पूरी तरह चरमरा गई हैं. डेंगू जैसे जानलेवा बुखार से हड़कंप मचा हुआ है, लेकिन जिला अस्पताल में संक्रामक बीमारियों से बचाने का कोई इन्तजाम नहीं है. जिला अस्पताल में अव्यवस्था का साम्राज्य है. पीड़ितों की सुनने वाला कोई नहीं है. पूरे अस्पताल परिसर में गंदगी भरी पड़ी है. मरीजों के तीमारदारों के लिए बने रैन बसेरों की भी हालत नारकीय है. अस्पताल में खून इत्यादि की जांच के नाम पर जमकर वसूली की जा रही है. ईसीजी, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड की जर्जर मशीनें खुद ही अपने उपचार की बाट जोह रही हैं. जिला अस्पताल के पड़ोस में स्थित महिला अस्पताल की हालत भी ऐसी ही है.
जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. जावेद अहमद कहते हैं कि जिला चिकित्सालय में डेंगू व चिकनगुनिया से पीड़ित कोई भी मरीज पंजीकृत नहीं हुआ और न ही कोई मौत हुई है. जबकि सच यह है कि जनपद खीरी में डेंगू व तेज बुखार से दर्जनों लोगों की मौत हुई है. मरने वालों में रोशन नगर के 24 वर्षीय अरुण शुक्ला, ओयल निवासी 34 वर्षीय सुधांशु सिंह, ग्राम मझगंई के लोकनपुरवा निवासी राजेश राणा के 3 वर्षीय पुत्र हरिओम, रोशन नगर के ही 45 वर्षीय वशीउल्ला, मौलवीगंज के 50 वर्षीय सगीर खां, तीन वर्षीय श्रुति और मोहल्ला ईदगाह निवासी अब्दुल वहीद खां वगैरह के नाम शामिल हैं.
दूसरी तरफ डेंगू बुखार से पीड़ित मरीजों की संख्या में भी प्रतिदिन इजाफा हो रहा है. गांव पकरिया के वीरेन्द्र वर्मा, मशिरुद्दीन अंसारी, श्रीकेशन जायसवाल, देवेन्द्र, अंकिता गुप्ता, सचिन गुप्ता, भरिगवां के विनीत यादव और द्वारिका डेंगू के घोषित मरीज हैं. फिर भी सीएमओ झूठ बोल रहे हैं. डेंगू को सिरे से नकार रहे सीएमओ इस आधिकारिक तथ्य से भाग रहे हैं कि डेढ़ दर्जन से अधिक मरीज डेंगू की जांच में पॉजिटिव पाए गए हैं.