डाॅ सुरेश खैरनार
प्रिय हरिवंश जी,
सस्नेहाभिवादन ईक लिए मजबूर हुआ हूँ ! वह भी आपने राष्ट्रपति महोदय को चिट्ठी लिखी है और उसमें आपने जेपी के जन्मस्थान के उल्लेख किया है कि आप भी वही के है और बहुत सीधे-साधे है ! हमारे संबंध जब आप कलकत्ता में रविवार पत्रिका के हरिवंश कभी-कभी मेरे घर कुमार गंधर्व की रेकार्ड सुनने आते-जाते थे मुख्यतः कबीर वाणी और कुछ तो आपने रेकार्ड भी की ये है और उस समय कई-कई बार आपने सिताब-दियारेका उल्लेख किया है और मुझे भी एकाध बार आपके साथ चलने का आग्रह किया था पर उस समय मै फूलटाइम हाऊस हजबंड के काम मे व्यस्त होने के कारण नहीं आ सका ! क्योकि हमारे दो छोटे बच्चे थे और मेरी पत्नी केंद्रीयविद्यालय मे काम करने के लिए 10-12 घंटे व्यस्त रहती थी तो घर काम का जिम्मा मै वहन करता था !
उस समय के हरिवंश सचमुच सिताब-दियाराके सीधे-साधे लगते थे ! लेकिन कलकत्ता से रविवार पत्रिका के बंद होने के कारण आप रांची के प्रभात खबर के संपादक बने और शायद बहुत ही जल्द सिताब-दियाराके सीधे-साधे हरिवंश चंद्रशेखर जी के प्रधानमंत्री के प्रेस सलाहकार बनते ही मुझे लगा कि यह मैंने देखे हुए हरिवंश नहीं है इनका मिजाज कुछ अलग है ! और इसीलिये मैंने आप को इतना बडा ओहदा मिलने के बावजूद आपका अभिनंदन नहीं किया था !
और जब नितीश कुमार ने आपको बिहार से राज्य सभा में और बहुत जल्द हमारे कर्नाटक के हरिप्रसाद जी भी हमारे मित्र है उन्हें हराकर आप उपसभापति बन गये थे तब भी नहीं कीया है !
और अब दोबारा आपको राज्य सभा में और तुरंत ही उपसभापति बनते देखकर ही लगा कि यह अब सिताब-दियारेकी मट्टी पलीत करने वाले लोगों की जमात में शामिल हो गये हैं ! और इसीलिये मैंने नाही आपका चंद्रशेखर जी के समय और नाही नरेंद्र मोदी जी के टिममे शामिल होनेकी बधाई दी उल्टा अपने आप को तिनों अवसर पर कुछ और लिखने से बडी मुश्किल से रोका है ! अन्यथा तिनो बार आपके इस तरह के जीवन का दर्दनाक मन्ज़र देखकर दिल मसोसकर रह गया !
लेकिन रविवार पत्रिका के हरिवंश अभिके रविवार को जो कांड किये और उसके बाद राष्ट्रपति महोदय को चिट्ठी और सोमवार की सुबह चाय लेकर भेजे गए हरिवंश लगा कि यह अब सिताब-दिया रेकी मट्टी पलीत करने के लिए लग गये !
कमसे कम आपने राष्ट्रपति महोदय को उसका हवाला नहीं देना था ! जयप्रकाश नारायण जी को मत भुनाइये ! और गौतम बुद्ध ! जिस आदमी ने अपने जिवन मे ग्राम पंचायत के से लेकर संसद, प्रधानमंत्री पद की लालसा नहीं रखी और उस गौतम बुद्ध तो अपने अगल बगल के दुख गैरबराबरी, अन्यय से विचलित हो कर राज्य त्याग कर दिया था ! दोनों उदाहरण अगर आप ने राष्ट्रपति महोदय को लिखी चिट्ठी में अपने गुरु के रूप मे स्विकार किया है या उनके जिवन के प्रभाव अपने उपर कितना है यही उसकी परिणति हो सकती हैं कि आप अपनी अगली राह सचमुच इन दोनों महात्माओके अनुसार आगे के सफर के लिए शुरूआत करिये सिर्फ अपनी महत्वाकांक्षाओं के लिए इस्तेमाल ना करें तो शायद सिताब-दियाराकी मट्टी की और बोध गया के बोध होने की भी कुछ साख बच जाये !
अगर आप को सचमुच ही सिताब-दियाराके होने का अभिमान है तो एक मित्र के नाते मैं बिन मांगे सलाह दे रहा हूँ क्योंकि आपने राष्ट्रपति महोदय को लिखी चिट्ठी में स्वीकार किया है कि आप को रविवार की रात निंद नहीं आई उसकी वजह भले आपने राष्ट्रपति महोदय को गलत लिखा है !
लेकिन एक मित्र के नाते मैं कह सकता हूँ कि आपको रविवार को आपने सदन में भारतीय संसदीय इतिहास में प्रथम पीठासीन अधिकारी के नाते संसद के नियमों को ताक पर रखकर तथाकथित आवाजी मतदान पर जो निर्णय लिया गया है वह रात के शांत पल में आपके मन को झकझोर कर कह रहा था कि हे हरिवंश तुमने अपनी कौन-सी मजबूरी में वह निर्णय लिया और मतदान की मांग एक भी सदस्य करता है तो आवाजी मतदान खारिज कर के पर्ची डाल कर मतदान करने के लिए कितना समय लगा होता ? यही सब आप के अंदर के हरिवंश को कोस रहा थाऔर र्इसिलीये आप बेचैनीमे सिताब-दियारेके हरिवंश ने आपको रविवार रात भर सोने नहीं दिया !
क्योकि आदमी दुसरे को ठग सकता है लेकिन अपने आप को नहीं ! और शायद आपको बचा-खुचा जमीरने रविवार रात भर सोने नहीं दिया यह बात एक मित्र के नाते मैं बहुत ही अच्छी तरह से समझ सकता हूँ और आपने तो जेपी के साथ गौतम बुद्ध का नाम भी तो लिया है !
हरिवंश जी भारत या दुनिया के किसी भी सभा या देश के किसी भी पदपर आपका पहुंचना कुछ भी असंभव नहीं है जबकि अमेरिका जैसे इतना सजग देश का राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जैसे जाहिलियत की हदे पार करने वाले ऊल्लू को नोबेल शांति पुरस्कार का नाॅमिनेशन करने तक बात जाती है और हमारे देश के वर्तमान आका संपूर्ण जीवन सांप्रदाईक राजनितिके रथों पर सवार होकर और अपना सिपाह सालार कुछ हत्याओं के कारण साल भरसे ज्यादा समय जेल में रहकर लाॅ अॅण्ड ऑर्डर का विशेष अनुभव संपन्न वैसेही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और कर्नाटक के दोबारा बनाये गये मुख्यमंत्री येदुरप्पा भ्रष्टाचार के मामले में जेल होकर अनुभव संपन्न और खुद प्रधानमंत्री जी का ट्रैक रिकॉर्ड क्या कहता है ? क्राइम अगेन्स्ट हूम्यानिटी नाम के रिपोर्ट को देख लीजिए और आप तो पत्रकार बिरादरी से आये हैं राना आयुब, सिद्धांर्थ वरदराजन, मनोज मित्ता, लेफ्टिनेंट जनरल जमीरऊद्दीन शाह, गुजरात के पूर्व डीजी आर बी श्री कुमार के गुजरात बिहाइंड कर्टन और वर्तमान समय में विभिन्न कोर्टो मे उन्होंने दायर की हुई याचिकाओं को देखकर लगता नहीं कि यह आदमी के दामन साफ नहीं है!
क्योंकि देश-दुनियाकी इन पदों पर मनुष्य ही बैठे हैं और पहले भी रहे हैं ! कितने लोगों को लोग आज याद कर रहे हैं ? विनोबाजी की यह 125 वीं जयंती के अवसर पर मुझे उनके द्वारा दिया एक उदाहरण इस संबंध में याद आया कि विश्व मे कितने बादशाह, राजा, महाराजा हो गये हैं लेकिन आम जनता के बीच उनके कितने नाम याद रह गये हैं ? लेकिन संत, महात्मा,ॠषी, मुनी, फिर वह कहीं के भी क्यों न हो आज तुकाराम, ज्ञानेश्वर, बसर्वेश्वर,तिरुवल्लुवर, रूमी,कबीर, सुकरात, नामदेव, गुरुनानकजी, मीराबाई,अरविंद ऋषी, जे कृष्ण मूर्ति,रमण महर्षि, गाडगे महाराज विनोबा, गाँधी और सिताब-दियाराके मट्टी के लाल जयप्रकाश नारायण ! हरिवंश इस कडी मे कहा बैठना पसंद करोगे ?
इंदिरा गाँधी 77 का चुनाव हारने के बाद उनसे मिलने पवनार आश्रम में एक रात रहकर आइ थी तो उस मुलाकात मे श्रीमती इंदिरा गाँधी जी को सम्राट अशोक का उदाहरण दिया था !
कलकत्ता के मुलाकात मे मिला हरिवंश को मै खोज रहा हूँ!और इसीलिये विशेष रूप से ही अनुरोध कर रहा हूँ की देश के पतनशीलता इस पापके भागीदारी से अपने आप को अलग कर लिजिये !
अपने पद से इस्तीफा दे दीजिए यह राजनीति देश को धन्नाशेटोको बेचने की राजनीति जारी है देखिये लगभग सभी सरकारी उद्योग, रेल,विमान,रक्षा जैसा इतना महत्वपूर्ण विभाग, बैंक, खनिज संपदा औने पौने दामौमे बेचकर और उसके पहले सभी श्रम कानूनों को धन्ना शेटो की सुविधा के लिए बदलकर दे रहे हैं और आप इस पापके भागीदारी से अपने आप को अलग कर लिजिये ! इसका पार्ट मत बनिये देश को बचाने के लिए ! हो जाइए अलग इतिहास में आपका नाम लिखा जायेगा ! और सिताब-दियाराकी बोध गया की मट्टी की कुछ साख बच जाये ऐसा कुछ कीजिए !
मैंने आप को जाने अनजाने में ठेस पहुँच ने वाला कुछ लिखा हो तों माफ कीजिएगा ! पर एक मित्र के नाते मैं अपने आप को रविवार, सोमवार की सुबह चाय लेकर भेजे गए हरिवंश लगा कि कुछ समय अभी भी बचा है सो लिखने के लिए मजबूर हुआ और लिखने के बाद बहुत सुकून महसूस हो रहा है !
आपका हितैषी मित्र
डाॅ सुरेश खैरनार 23-24 सितम्बर 2020,नागपुर