जब भी दो लोग आमने-सामने मिलते-जुलते हैं तो वालेकुम सलाम से , संपूर्ण विश्व के मुस्लिम अभिवादन करते हैं ! और जहाँ तक मेरी जानकारी है कि वालेकुम सलाम का मतलब है कि , आपको शांती का लाभ हो ! और जवाब में सलाम वालेकुम का मतलब है कि आपको भी शांति का लाभ हो ! जबकि इस्लाम का पहला ही वचन शांति के लाभ का है ! जो की विश्व की सबसे बड़ी उपलब्धि है ! शायद ही कोई और धर्म होगा जिसमें इस तरह के संदेश के साथ लोगों के मिलने-जुलने की शुरुआत होती है !

हजरत मुहम्मद पैगंबर साहब 570 के आज ही के दिन मक्का में दक्षिण अरब के एक बहुत ही पिछडे प्रदेश में पैदा हुए और छ साल की उम्र में अनाथ हो गए थे ! छ साल से पच्चीस साल के उम्र का सफर बहुत ही कष्ट दायक रहा है ! और खादिजा नाम की विधवा से विवाह करने के पस्चात वह सुकून की जींदगी जीने लगे ! लेकिन उनके चारों तरफ अज्ञान फैला हुआ था ! और उसी दरम्यान उन्हें ईश्वरीय संदेश मिलना शुरू हुए ! और यह बात तीन साल तक वह सिर्फ अपने करीबी मित्रों को बताते थे ! इसवी सन 613 में उन्होंने आम जनता को भी अपने प्रवचनों के माध्यम से उन्हें जो संदेश प्राप्त हो रहे थे वह बताना शुरू किया ! और मक्का के उपर राज कर रहे सत्ताधारियों को लगा कि यह तो बहुत ही आपत्तिजनक बातें कर रहे हैं ! तो उन्हें लगा कि यहाँ अपनी जान खतरे में है तो वह 622 मे मक्का से दोसौ मैल दूरी पर के उत्तर में मदीना में चल पडे ! और मदीना में वह एक राजनीतिक शक्ति के रूप में स्वीकार किए गए !

इस यात्रा को Hegira (हिजरत) भी कहा जाता है ! और यह उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण मोड़ है ! मदीना की यात्रा के कारण वह वहां के लोगों के दिलों पर अपना अधिकार कायम करने में कामयाब रहे हैं ! और उनके अनुयायियों की संख्या बढती गई ! और मक्का-मदीना के बीच काफी बडी लडाई हुई है ! और इस लडाई में 630 मे मुहम्मद साहब ने कामयाबी हासिल की है ! और मक्का-मदीना के बीच उनकीं ही सत्ता कायम हुई है ! पैगंबर साहब का इंतकाल 632 मे होने के पहले अलग-अलग कबीलों वाले अरबस्थान पर इस्लाम का प्रभाव हो गया था ! और दक्षिण अरबस्थान पर इस्लाम का प्रभाव के साथ, हजरत मुहम्मद पैगंबर साहब का राज भी कायम हो गया था !

सातवीं शताब्दी के शुरू मे ही दुनिया में एक और नया धर्म जिसे इस्लाम नाम से जाना जाता है ! उसकी स्थापना ईसाई धर्म के स्थापना के 613 साल बाद इस्लाम का उदय हुआ है ! और आज वह विश्व का दो नंबर का धर्म है !
हमारे अपने देश भारत में भी दो नंबर की जनसंख्या में इस्लाम को मानने वाले लोग है ! और बगल के पाकिस्तान और बांग्लादेश में एक नंबर की जनसंख्या में ! इस्लाम को मानने वाले लोग है ! और आज मैं दोनों पडोसी देश के रहने वाले इस्लाम को मानने वाले मित्रों से, हजरत मुहम्मद पैगंबर साहब के चौदह सौ इक्यावन वे जन्मदिन के अवसर, पर एक ही प्रार्थना कर रहा हूँ कि ! वहाँ पर इस्लाम को मानने वाले लोगों के अलावा अन्य धर्मों के लोगों के साथ आये दिन जो खबरें देख रहा हूँ ! वह बहुत ही मायुस करने वाली खबरें है ! मुख्य रूप से बंगला देश में पिछले कुछ दिनों से हिंदुओं के साथ जो कुछ भी हो रहा है ! वह बहुत ही दुखद है ! पहले नोआखाली और अब उसके अगलबगल के जगहों पर हिंसक घटनाओं की खबरें देख रहा हूँ ! और इसीलिए आज हजरत मुहम्मद पैगंबर साहब के चौदह सौ इक्यावन वे जन्मदिन की बहुत बहुत मुबारकबाद के साथ, जिस धर्म का संबोधन शांति का लाभ हो से शुरू होता है उसके बाशिंदों को क्या हो गया है ? की हजारों साल से रह रहे हिंदूओ के उपर हो रहे अत्याचारों को तुरंत रोकना होगा !

अन्यथा सिर्फ वालेकुम सलाम का मतलब क्या हुआ ? और आज गत सात साल से भारत में एक सांप्रदायिक दल की सत्ता जारी है ! और उसे बंगला देश में या पाकिस्तान में हिंदुओं के उपर होने वाले अत्याचारों को लेकर भारत में सांप्रदायिक राजनीति करने का एक और मौका देने की गलती कर के ! भारत मे रह रहे तीस-पैतीस करोड़ मुस्लिम जनसंख्या के जीवन के साथ, खिलवाड़ करने की गलती आप लोग कर रहे हैं ! शायद पाकिस्तान और बांग्लादेश के कुल मिलाकर जीतने मुसलमान है ! उससे कहीं ज्यादा मुसलमान भारत मे रह रहे हैं ! कहीं आप लोग भारत के सांप्रदायिक दल के साथ साजिश करके यह करतूत तो नहीं कर रहे ना ? क्योंकि आजसे सौ साल पहले से ही भारत की हिंदू सांप्रदायिक राजनीति मुस्लिम सांप्रदायिकता को देखकर ही पनपने का इतिहास है ! और उसीके बदौलत बटवारे की नौबत आ गई ! लगा था कि बटवारे के बाद सब कुछ ठीक-ठाक हो जायेगा ! लेकिन बटवारे से सबक लेने की जगह तिनों मुल्कों में गत पचहत्तर सालों से सांप्रदायिक राजनीति करने का मामला बदस्तूर जारी है ! और रोजमर्रा के सवालों को हल करने की जगह सिर्फ सांप्रदायिक हिंसा का आलम जारी है ! और एक तरह से तीनों मुल्कों की तरक्की में रोडा डालने का काम सिर्फ और सिर्फ सांप्रदायिक राजनीति ही है !

मै भारत-पाकिस्तान-बंगलादेश मैत्री फोरम के पदाधिकारियों से एक होने के कारण मुझे पाकिस्तान और बांग्लादेश में जाने का मौका मिला है और मैंने देखा कि आज पचहत्तर साल हो रहे हैं और तीनों मुल्कों की माली हालत में मुझे कोई खास तरक्की नहीं नजर आई ! वही टूटी-फूटी सडके, वही बदहाल लोग, वही पर्यावरण की ऐसी की तैसी करते हुए खचाखच भरें हुए धुँआ छोड़ रहे वाहनों से सडकों पर जाम और घर मकान भी लगभग एक जैसे ! कुछ थोड़ा बहुत बदलाव देखने मे आया होता तो लगता की चलो कमसे कम भारत से अलग होकर कुछ तो तरक्की हुई ! और इन सभी की शक्ति एक दुसरे को नीचा दिखाने के लिए पागल जैसी आर्मी और उसीके रखरखाव में खर्च हो रहीं हैं ! स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, और आम लोगों की जींदगी में मुझे तो कुछ भी बदलाव नजर नहीं आईं !

बावले हिंदु-मुसलमान करते हुए आजसे पचहत्तर साल पहले अलग-अलग होकर कुछ ऊपरी दिखावे छोड़ कर बिलकुल एक जैसे ही नजर आ रहे हैं ! और उसके बावजूद सबक सिखाना तो दूर और सांप्रदायिकता का नाम लेकर वहां भी मुस्लिम लीग और यहाँ हिंदू लिग (बीजेपी) लगता है कि इनका आपसी सहमति से ही संपूर्ण उपमहाद्वीप में सत्ता का खेल बदस्तूर जारी है ! मेरी हालही की बंगला देश यात्रा के समय मैंने एक दिन बंगला देश में रह रहे हिंदूओ के लिए और एक दिन 1971 के बंगला देश बनने के बाद अटक गई बिहारी मुसलमानों के लिए विशेष रूप से निकाला था तो मै ढाका में जहां पर ठहरा था वहां से बिहारी मुसलमानों की बस्ती नजदीक थी तो वहां पर सुबह चला गया ! मुझे कलकत्ता से लेकर मुंबई, दिल्ली की सिलमपूरी जैसे बस्तियों में जाने का मौका मिला है और ढाका की बिहारी मुसलमानों की बस्ती को नर्क से अलग नाम दे नहीं सकता !

नालियाँ मानवी विष्ठा से भरी हुई चारों ओर मक्खीया भिनभिनाती नजर आ रहीं मुँह खोला तो मक्खीया घुसने का डर खाने-पीने का सवाल ही नहीं है और बदबू से सर फटा जा रहा है और वही पर बिहारी मुसलमानों की जींदगी जीने के लिए जद्दो-जहद जारी है ! आज पचाससे ज्यादा साल हो रहे हैं और इन्हें सुन्नी मुसलमान होने के बावजूद बंगला देश नागरिकता नहीं दे रहा है और इस कारण आज दस लाख से भी ज्यादा बिहारी मुसलमानों को नहीं कोई नौकरी है और नहीं कोई उचित व्यवसाय ! इस कारण वह जीने के लिए कुछ भी कर रहे हैं ! चोरी-चपाटी से लेकर कई-कई गलत व्यवहार कर रहे हैं ! मेरे साथ वर्तमान सत्ताधारियों के प्रतिनिधि थे तो मैंने व्याकुल होकर कहा कि अब पचास साल हो रहे हैं और 71 के बाद पैदा हुए सभी बंगला भाषा बोल रहे हैं ! और उपरसे सुन्नी मुसलमान क्यों नागरिकता नहीं दे रहे हो ? पाकिस्तान तो बहुत दूर की बात है लेकिन भारत भी इन्हें नहीं आने देगा तो दस लाख की आबादी को आप लोगों को स्वीकार करने के लिए अब पचास साल के बाद क्या समस्या है ? तो वह बोला कि वर्तमान सरकार सोंच रहीं हैं !

दुसरे दिन ढाका के धनमंडी इलाके में लेकर गए ! जहाँ बंगला देश की संसद, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के आवास को छोड़कर बहुत बडी संख्या में हिंदुओं के दो-दो गेट लगें कोठियां देखीं और रामकृष्ण मिशन के मठ के अलावा ढाकेश्वरी देवी का मंदिर भी है ! और उसीके अहाते में बंगला देश हिंदू समाज का ऑफिस भी है ! लेकिन मैं चार बजे के आसपास गया था तो ढाकेश्वरी मंदिर के पुजारी ने कहा कि ऑफिस छ बजे के आसपास खुलेगा तो उसने बहुत ही इनोसंटली कहा कि आपनी मांके दर्शन कोरबेनना ? और शायद जहाँ तक मुझे याद पड़ता है मेरे जीवन मे पहली बार हठात उठकर ढाकेश्वरी देवी के मूर्ति के सामने मैंने साष्टांग दण्डवत किया है और मन ही मन में कहा कि हे माते इस पृथ्वी पर रहने वाले हर तरह के जीव जंतुओं को सुख शांति से रहने दे ! और पुजारी जी ने प्रसाद दिया उसे खाने के बाद पुजारी बोलें कि ऑफिस छ बजे के पहले नहीं खुलेगा तो आप मेरे घर पर आ सकते तो मंदिर के बगल में ही उनका निवास स्थान पर मै गया तो उन्होंने नास्ता-चाय का प्रबंध किया और एकाध घंटा बात चित में चला गया तो तबतक छ बज गये और ऑफिस भी खुल गया था तो ऑफिस में ज्यादा तर पदाधिकारी बंगला देश सरकार मे कोई एडवोकेट जनरल तो कोई जज तो कोई पुलिस अफसर थे !

उन्होंने भी चाय-मुडी के साथ मेरा स्वागत किया है और काफी सारे रिपोर्ट दिए और निकलने के पहले मुझे बंगला में कहा कि शेख हसीना वाजेद के समय हम लोग काफी सुरक्षित है और बंगला देश की सेवा में अच्छी पोजीशन में है कोई-कोई तो मिनिस्टर है, कोई जुडिशियल में तो कोई पुलिस अफसर, सिविल सर्विस में भी है ! लेकिन आप नागपुर के है इसलिए आपसे विशेष रूप से अनुरोध है कि आपको भारत के सभी तरह के हिंदु संगठनों के लोगों को हमारे तरफ से विनम्र निवेदन है कि जब-जब आप लोग भारत में मुसलमानों के उपर आक्रमण करने का काम करते हो तब-तब उसके प्रतिक्रिया स्वरूप हमारे उपर बंगला देश में हमले होते हैं तो कृपया भारत के मुसलमानों को सुरक्षित रखने से हम भी सुरक्षित रहेंगे ! और मेरे बंगला देश से वापस नागपुर आनें के बाद अखबरोमे पढने के बाद हेडगेवार विचार मंच के पदाधिकारियों ने मुझे शनिवार शाम के उनके कार्यक्रम मे बुलाया और मैंने भी जीवन में पहली बार वह भी बंगला देश के हिंदु संगठनों के लोगों की विनम्रता पूर्वक दिया हुआ मेसेज आर एस एस के अधिकृत मंच पर लगे हाथ बुलावा आया तो मैंने तपाकसे स्वीकार किया ! और मेरे परिचय तथा अन्य औपचारिकता के बाद मैंने शुरूआत में ही कहा कि मुझे कोई खास भाषण नहीं देना है !

मै सिर्फ बंगला देश हिंदू समाज के पदाधिकारियों का संदेश आप लोगों को देने के लिए आया हूँ तो सभी रिटायर आर्मी, नेवी, वायु सेना के अफसरों के कान खड़े हो गए ! क्योंकि उनमेसे कुछ लोगों को मै जानता था और वह 1971 युद्ध में शामिल थे ! शायद वह सभी मुझे घेर कर पछाड़ने के लिए ही विशेष तैयारी के साथ आये थे ! तो मै उन्हें थोड़ा निराश किया कि मै इस तरह के मंच पर पहली बार आया हूँ और वह भी सिर्फ बंगला देश हिंदू समाज का मेसेज देने के लिए आया हूँ तो सभी उत्सुकता वश पूछने लगे कि क्या मेसेज है ? तो मैंने उन्हें कहाँ कि बंगला देश हिंदू समाज के पदाधिकारियों ने मुझे हाथ जोड़कर प्रार्थना कर के कहाँ कि आप भारत के सभी तरह के हिंदु संगठनों के लोगों को हमारे तरफ से विनम्र निवेदन है कि जब-जब आप लोग भारत में मुसलमानों के उपर आक्रमण करते हो तब-तब उसके प्रतिक्रिया स्वरूप हमारे उपर बंगला देश में हमले होते हैं ! तो उन्हें बोलिये कि अगर आप लोग भारत में मुसलमानों के साथ अच्छा व्यवहार करोगे तो हम लोग भी सुरक्षित रहेंगे !

और यह बात मैंने भागलपुर दंगे के बाद के (24 अक्तूबर 1989) शांति सदभावना के हमारे कलकत्ता, शांतिनिकेतन तथा महाराष्ट्र और बिहार के मित्रों की मदद से लगातार काम के दौरान भागलपुर और अगल बगल के गाँव के लोगों को कहा कि हम लोग एक साथ भारत के सभी हिंदू काफी सुरक्षित है और बंगला देश, पाकिस्तान तथा अन्य इस्लामिक देशों में रह रहे हिंदूओ की कुछ तो चिंता करों ! और यह बात मैंने बंगला देश, पाकिस्तान तथा अन्य इस्लामिक देशों में जाने के बीस-पच्चीस साल पहले ही कहीं है कि हिंदुओं का भला करने के नाम पर अन्य देशों में रह रहे हिंदू ओ की चिंता करों तो शायद इस तरह के गुजरात, भागलपुर और देश के अन्य हिस्सों में मुसलमानों के उपर आक्रमण करने के पहले सोचिएगा !
पुनः आज हजरत मुहम्मद पैगंबर साहब के चौदह सौ इक्यावन वे जन्मदिन की बहुत बहुत मुबारकबाद के साथ जिस धर्म का संबोधन शांति का लाभ हो से शुरू होता है उसके बाशिंदों को क्या हो गया है ? आज सिर्फ विश्व के सभी तरह के इस्लाम को मानने वाले साथीयो को वालेकुम सलाम !

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