प्रदेश से जमा हुए महज 2800 आवेदन, प्रदेश का कोटा 5 हजार करीब
कोरोना हालात, बढ़ी महंगाई और अंतर्राष्ट्रीय उड़ान पर लगीं बंदिशों ने हज के मुकद्दस सफर को भी असर में ले लिया है। हर साल जमा होने वाले हजारों आवेदन के मुकाबले इस बार आवेदन की तादाद चंद सैकड़ा तक ही सिमटकर रह गई है। हालांकि फिलहाल हज पर भारतीय लोगों के जाने-न जाने को लेकर संशय बना हुआ है, लेकिन अगर इसकी इजाजत मिली तो संभवत: कई सालों बाद प्रदेश के हज आवेदकों को बिना कुर्राअंदाजी के ही हज पर जाने का मौका मिल सकता है।
जानकारी के मुताबिक पिछले कई सालों से प्रदेश के हज आवेदकों की तादाद 15-20 हजार तक पहुंचती रही है। पिछले साल यह आंकड़ा करीब 13 हजार पर पहुंचा था। बड़ी तादाद में जमा होने वाले आवेदन के मुकाबले प्रदेश को मिलने वाले कोटे का छोटा आकार आवेदनों में से हज पर जाने वालों के नाम तय करने के लिए कुर्राअंदाजी के हालात बनाता आया है। लेकिन इस बार आखिरी तारीख तक पहुंचे आवेदनों की तादाद महज 2893 पर पहुंची है। यह तादाद प्रदेश को मिलने वाले हज कोटे करीब 5 हजार से भी बहुत कम है।
यही हालात देशभर से पहुंचने वाले आवेदनों को लेकर भी है। जहां देश के लिए मिलने वाले हज कोटे करीब सवा लाख के लिए आवेदनों की तादाद करीब 65 हजार तक ही सिमटी हुई है। आमतौर पर जनवरी या फरवरी में हो जाने वाले कुर्राअंदाजी के लिए फिलहाल सेंट्रल हज कमेटी ने कोई तारीख तय नहीं की है। इसकी वजह यह बताई जा रही है कि यदि हज पर जाने की इजाजत मिलती है तो आवेदन के लिहाज से हजयात्रियों को चुने जाने के लिए कुर्रा की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
हज सफर पर प्रभाव कई
पिछले सालों के मुकाबले हज आवेदन में आई कमी के कई कारण गिनाए जा रहे हैं। इनमें प्रमुख रूप से तो कोरोना के हालात और इसके चलते सउदी अरब सरकार से मिलने वाली परमिशन को बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि पिछले साल की तरह इस बार भी सउदी सरकार सीमित लोगों की मौजूदगी में ही हज के अरकान पूरे करवाने की मंशा रखती है। यही वजह है कि कोरोना काल के बाद सब कुछ सामान्य होने के हालात में भी सउदी अरब सरकार ने इंटरनेशनल फ्लाइट के उतरने पर पाबंदी लगा रखी है।
इसके चलते पूरे साल होते रहने वाले उमराह का सफर भी रुका हुआ है। इधर हज सफर के बढ़े खर्च ने भी लोगों को आवेदन से रोका है। बताया जा रहा है कि इस बार हज सफर पहले से करीब डेढ़-दो लाख रुपए ज्यादा खर्च कर पूरा हो पाएगा। इसके अलावा हज खर्च के लिए दी जाने वाली राशि का हिसाब देना और आयकर विभाग की सहमति आवेदन के साथ लगाए जाने की अनिवार्यता ने भी आवेदन की तादाद को कम किया है।
सफर कैंसिल, कमेटी के वारे-न्यारे
जानकारी के मुताबिक पिछले साल देशभर से करीब दो लाख लोगों का हज कोटा हासिल हुआ था। जिसके मुताबिक पूरे देश से करीब साढ़े चार लाख आवेदन जमा हुए थे। इसमें मप्र से आवेदन करने वालों की तादाद 13116 थी। कोरोना के चलते हज सफर कैंसिल होने के बाद सेंट्रल हज कमेटी ने सभी हाजियों को उनके द्वारा जमा कराई गई दो लाख रुपए प्रति हाजी के हिसाब से रकम वापस कर दी है। लेकिन इस दौरान प्रोसेडिंग फीस के नाम पर ली जाने वाली प्रति हाजी 300 रुपए की राशि उसने किसी को नहीं लौटाई है।
पिछले साल जमा हुए आवेदनों के लिहाज से हज कमेटी को 13 करोड़, 50 लाख रुपए मिले थे। हज प्रक्रिया न होने के चलते इस राशि से किसी तरह का खर्च भी नहीं हुआ है। हालात इस साल भी इसी तरह के बनते नजर आ रहे हैं। देशभर से जमा हुए करीब 65 हजार आवेदन से करीब एक करोड़, 95 हजार रुपए कमा चुकी है। अगर हजयात्रा नहीं होती है तो सेंट्रल हज कमेटी को यह राशि मुफ्त में ही मिल जाने वाली है।
खान अशु