Gujarat-Assembly-elections
अहमदाबाद: गुजरात विधानसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद सबसे अहम चुनाव है. नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री और अमित शाह के भाजपा अध्यक्ष बनने के बाद गुजरात में भाजपा का बहुत कुछ दांव पर लगा है.
वैसे तो नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भाजपा ने अब तक कुल 21 विधानसभा चुनाव लड़े हैं. इनमें से उसे 12 जगहों पर जीत मिली है. इन 21 में से 14 राज्यों कांग्रेस या कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए की सरकार थी, लेकिन री-इलेक्शन में इनके पास केवल दो राज्यों, अरुणाचल प्रदेश और पुडुचेरी में ही सत्ता बची. पंजाब को कांग्रेस ने विपक्ष से छीना.
पर गुजरात विधानसभा का चुनाव सबसे अलग है. गुजरात विधानसभा चुनावों का असर देशव्यापी होगा. यह चुनाव तय करेगा कि प्रधानमंत्री मोदी की ताकत बढ़ेगी या घटेगी. याद रहे कि गुजरात वह पहला राज्य है जहां भाजपा ने 1995 में बहुमत की सरकार बनाई थी. अब इस बार भाजपा का वही गुजरात मॉडल उसी के प्रभुत्व वाले राज्य में दांव पर लगा है. भाजपा को अपनी नीतियों को डिफेंड करना पड़ेगा, जिसमें जीएसटी भी शामिल है. जीएसटी के बाद यह पहला चुनाव है.
2014 के लोकसभा चुनावों के बाद भाजपा आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा, सिक्किम, तेलंगाना, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, बिहार, दिल्ली, असम, केरल, पुदुचेरी, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, गोवा, मणिपुर, पंजाब, झारखंड, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव लड़ चुकी है.
भाजपा हरियाणा, असम, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में विपक्ष में रहते हुए अपने दम पर सत्ता में लौटी है. आंध्र प्रदेश, सिक्किम, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, महाराष्ट्र, बिहार, गोवा, मणिपुर में भाजपा के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी है. पूर्वोत्तर के राज्यों में भाजपा ने पहली बार सरकार बनाने में सफलता हासिल की, वहीं यूपी में पार्टी को प्रचंड बहुमत मिला.
हालांकि बिहार और दिल्ली के विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए झटके की तरह थे. बाद में बिहार के समीकरण बदले और नीतीश कुमार के एनडीए में शामिल होने के बाद वहां भी भाजपा सत्ता में आ गई.
भाजपा साम, दाम, दंड भेद हर तरह का हथियार इस्तेमाल करना चाहती है. सोशल मीडिया पर गलतबयानी, विरोधियों की जासूसी और गिरफ्तारी उसके हथियार बन गए हैं. अभी गुजरात के पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के खिलाफ मेहसाणा की एक अदालत ने गैरजमानती वारंट जारी किया. साल 2015 में पाटीदार अनामत समिति की रैली के दौरान एक बीजेपी विधायक के दफ्तर में तोड़फोड़ के मामले में वारंट.
हार्दिक पटेल ने अपने वकील के जरिये व्यस्त कार्यक्रम का हवाला देते हुए व्यक्तिगत पेशी से छूट मांगी थी लेकिन अदालत ने उसे खारिज कर दिया. हार्दिक का कहना है कि अगर पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने आती है तो वह सरेंडर कर देंगे, लेकिन अपने समाज के हक के लिए वह जो लड़ाई लड़ रहे हैं, उसे वे जारी रखेंगे.
इस बीच हार्दिक पटेल ने राहुल गांधी से अपनी मुलाक़ात के सीसीटीवी फुटेज पर सवाल उठाते हुए कहा कि लोकतंत्र में निगरानी नहीं होनी चाहिए. गुजरात के पाटीदार समाज के नेता हार्दिक ने कहा है कि जो जनता के साथ हम उसके साथ रहेंगे.
गुजरात कांग्रेस प्रभारी अशोक गहलोत ने भी भाजपा पर डराने-धमकाने के साथ ही जासूसी का आरोप लगाया है. हार्दिक पटेल ने खुद को कांग्रेस का ‘एजेंट’ कहने वाले नेताओं पर प्रहार करते हुए कहा कि, ‘जो यह कहते हैं कि मैं कांग्रेस का एजेंट हूं, वे वास्तव में भाजपा के एजेंट हैं. भाजपा के नेता क्या कहते हैं, मैं इस पर ध्यान नहीं देता.’ हालांकि उन्होंने कांग्रेस को भी पाटीदार समाज को आरक्षण देने को लेकर अल्टीमेटम दे दिया है. कहने का अर्थ यह कि यह चुनाव भाजपा कांग्रेस दोनों के लिए ख़ास है.
Adv from Sponsors

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here