नई दिल्ली, (राजीव) : किसानों के कर्ज माफ़ी ने तोड़ी सरकार की कमर कर्ज का रकम जुटाने हेतु सरकारी कर्मियों के एक दिन का वेतन काटेगी सरकार अधिकांश अनुदान व सरकारी मदद हुए प्रभावित नागपुर वर्ष 2014 राज्य में भाजपा सरकार की एकतरफा सरकार बनी. बहुमत के आधार पर भाजपा सरकार ने पक्ष सहयोगी-विपक्षी दलों को दरकिनार कर एकला चलो की निति अपनाई। क्योंकि संख्याबल सम्मानजनक था इसलिए किसी के विरोधाभास को सरकार ने तवज्जों नहीं दी.लेकिन विपक्षी दल ने काफी असफलता के बावजूद भी सत्ताधारी पक्ष को दबाने का एक भी मौका नहीं छोड़ा।
मामला तब बिगड़ा जब किसान आंदोलन दिनों-दिन उग्र होने पर सरकार को मजबूरन लाखों करोड़ के मुआवजे की घोषणा करने पर मजबूर होना पड़ा.इस घोषणा के बाद राज्य सरकार की आर्थिक स्थिति इतनी बुरी तरह प्रभावित हुई कि आज राज्य सरकार गल्ली से लेकर राजधानी तक जिस भी परियोजना/आर्थिक स्थिति से उबारने हेतु जिन्हें भी आर्थिक मदद कर रही थी ,सभी के सभी को बंद करने की नौबत आन पड़ी है.आलम तो यह है कि सरकार कर्ज का रकम जुटाने हेतु सरकारी कर्मियों के एक दिन का वेतन काटेगी।
राज्य में मोदी खेमे की सरकार का शासन चल रहा था.ऊपरी वरदहस्त के कारण राज्य का मोदी खेमा पक्ष अंतर्गत, सहयोगी पक्ष,विपक्षी दलों के हमलों को तवज्जों नहीं दी जा रही थी ,बल्कि कड़क जवाबी हमला किया जा रह था.वही काफी मशक्कत के बाद एनसीपी नेता की शह पर सम्पूर्ण राज्य में मराठा आंदोलन को आरक्षण के नाम पर हवा दी गई.सम्पूर्ण राज्य में हवा बनाई गई,जिसे राज्य के मुख्यमंत्री ने भाजपा में केंद्रीय नेतृत्व के सलाह-मशविरे से हवा निकाल दी.इस दौरान भी राज्य सरकार को बड़ी आर्थिक विशेष पैकेज की घोषणा करनी पड़ी थी.
पिछले ३ सालों में ‘रिकॉर्ड ब्रैकिंग’ दफे शिवसेना ने भाजपा पर असंतोष व्यक्त करते हुए सत्ता से दूर होने की धमकियां दी,लेकिन आज भी सत्ता में ही है,समझा जाता है कि प्रत्येक धमकियों के बदले सरकार ने अघोषित मुआवजा भी दिए.सेना की धमकियों को लेकर कांग्रेसी विधायक नितेश राणे ने शिवसेना का नाम गिनीज ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज करवाने हेतु अपनी आवाज बुलंद की.
इसके बाद सरकार की कमर तोड़ने के लिए एक विपक्षी दल ने एक किसान जो दूध व्यवसायी था,जिसकी मृत्यु को लेकर सम्पूर्ण राज्य में किसान आंदोलन अपनी-अपनी नुकसान भरपाई की मांग को लेकर कम समय में अत्यधिक उग्र हो गया. इन किसानों के हितार्थ सेना ने जो भी पहल किया हो लेकिन सरकारी मदद की घोषणा वक़्त उसका क्रेडिट नहीं उठा पाई.इसका क्रेडिट भले ही साकार को मिला हो लेकिन एनसीपी नेता ने यह दर्शाने में कोई कसर नहीं छोड़ी कि वे आज भी किसानो के सच्चे दर्दी है.
इस नेता ने आगे-पीछे मोदी व फडणवीस से मुलाकात की.इसके अगले दिन सरकार ने तय रणनीति के आधार पर किसानों के कर्ज माफ़ी की घोषणा कर दी.किसानों में सर्वत्र यह संदेशा गया कि एनसीपी नेता की पहल पर किसानों को राहत मिली है. उक्त घोषणा से सरकार को लाखों करोड़ का सरकारी नुकसान हुआ.जिसका असर आगामी दिनों में गल्ली से लेकर राजधानी तक जिस भी परियोजना/आर्थिक स्थिति से उबारने हेतु जिन्हें भी आर्थिक मदद पर असर पड़ सकता है.राज्य सरकार के मदद से शुरू प्रकल्प की गति धीमी पड़ सकती है.
मुख्यमंत्री विशेष निधि जो लगातार नागपुर जिले में पहुँच रही थी,वह भी कम हो सकती है.जिले में इसका असर मनपा व जिलापरिषद पर भी नज़र आना लाजमी है.