झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास अपनी तारीफ में पार्टी के आला नेताओं से अपनी पीठ भले ही थपथपा लें, पर जमीनी हकीकत यह है कि सरकार हर मोर्चे पर नाकाम रही है. चाहे वह राज्य में अपराध का बढ़ता ग्राफ हो या नक्सलवाद या फिर विकास के अन्य दावे. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने यह नारा दिया कि मपहले पढ़ाई तब विदाईफ पर इस नारे को उनकी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ताला मरांडी ने धत्ता बताते हुए अपने बेटे मुन्ना मरांडी की शादी मात्र 12 वर्षीया नाबालिग लड़की से कर दी. दूसरी तरफ राज्य में अपराधियों का मनोबल इतना बढ़ा है कि वे राजधानी में मुख्यमंत्री के प्रेस सलाहकार की गाड़ी छीनकर भाग गए. वहीं मुख्यमंत्री के गृह नगर जमशेदपुर में अपराधियों ने उनके एक रिश्तेदार की हत्या घर में घुसकर कर दी. नक्सलियों पर रोकथाम एवं जड़ से नेस्तनाबूद करने के जितने दावे राज्य के मुखिया रघुवर दास कर रहे हैं, उतनी ही तेजी से नक्सली घटनाएं बढ़ी हैं. नक्सलियों ने राज्य के सभी 24 जिलों में अपना वर्चस्व कायम कर लिया है और स्थिति ये है कि विकास कार्यों में नक्सलियों को लेवी दिये बिना काम शुरू करना असंभव है. हालात ये हैं कि नक्सल प्रभावित इलाकों में प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारी भी अपनी जान की रक्षा के लिए एक निश्चित राशि उग्रवादी संगठनों को देते हैं. विकास कार्यों की बात करें, तो डेढ़ साल में यहां एक भी उद्योग नहीं लगा और न ही किसी औद्योगिक घराने के साथ कोई एमओयू साइन हुआ है. मुख्यमंत्री ने जीरो पावर कट की घोषणा कई बार की, लेकिन स्थिति यह है कि राजधानी में ही तीन से चार घंटे रोज बिजली की कटौती हो रही है.
मुख्यमंत्री ने एक लाख लोगों को रोजगार देने का वादा किया था, पर अभी तक तृतीय एवं चतुर्थवर्गीय नौकरी के लिए नियमावली नहीं बनी है. इसके बाद ही यह तय होगा कि यह पद स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित होगा या सभी लोग आवेदन कर सकेंगे. पांच लाख युवाओं को कौशल विकास योजना के तहत प्रशिक्षित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, पर पांच हजार लोगों को भी प्रशिक्षित नहीं किया जा सका है.
भ्रष्टाचार मुक्त राज्य का दावा मुख्यमंत्री हमेशा करते रहे हैं, पर विकास कार्यों में भ्रष्टाचार चरम पर है. विपक्षी दल आरोप लगाते हैं कि निर्माण कार्य में लगे ठेकेदारों को चालीस प्रतिशत तक कमीशन देना पड़ता है. स्वयं मुख्यमंत्री रघुवर दास, उनके राजनीतिक सलाहकार अजय कुमार एवं पुलिस के अपर महानिदेशक स्तर के एक अधिकारी राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के एक विधायक निर्मला देवी को पांच करोड़ रुपये का प्रलोभन देने के आरोप में घिरे हैं. इस संबंध में एक जनहित याचिका भी उच्च न्यायालय में दाखिल की गई है.
मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचार पर काबू पाने के उद्देश्य से एंटी करप्शन ब्यूरो बना तो दिया, लेकिन अभी तक केवल तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी ही इसकी पकड़ में आए हैं. जबकि यहां कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा व निर्माण जैसे विभागों में भ्रष्टाचार चरम पर है. मुख्यमंत्री कहते हैं कि मुखिया हो या मुख्यमंत्री, भ्रष्टाचार किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, भ्रष्ट आईएएस अधिकारियों पर कार्रवाई कर सचिवालय भेज दिया जाएगा. पर सवाल यह है कि क्या सचिवालय में केवल निकम्मे एवं भ्रष्ट अधिकारियों को रखा गया है, जबकि सारे नीति-निर्धारण एवं फंड यहीं से रिलीज होते हैं.
सिंचाई कार्यों के लिए बनाये जा रहे चेक डैम व बड़े तालाबों में भ्रष्टाचार आम बात है, किसानों को अनुदान पर दिये जाने वाले मशीनों में भी भ्रष्टाचार चरम पर है. इस संबंध में विभाग के प्रधान सचिव नितीन मदन कुलकर्णी तो मंत्री पर ही आरोप लगा रहे हैं. पूरे राज्य में एक लाख डोभा की खुदाई में भी जमकर दुरुपयोग हुआ. डोभा की खुदाई मनरेगा के तहत मजदूरों से कराना जाना था, पर डोभा जेसीबी मशीन से खोदा गया. कई जिलों के उपायुक्तों ने संबंधित लोगों को फटकार लगाई, लेकिन किसी पर कार्रवाई नहीं हुई.
ठीक यही स्थिति यहां स्वच्छ भारत मिशन की भी है. राज्य में कागजों पर तो 21 लाख शौचालय का निर्माण दिखा दिया गया, पर यूनिसेफ के एक सर्वे से पता चला कि चौदह लाख शौचालयों का कहीं अता-पता नहीं है. स्वच्छ भारत मिशन का यहां सबसे बुरा हाल है. स्मार्ट सिटी में दूसरी बार सिर्फ राजधानी रांची ही स्मार्ट सिटी घोषित हुआ है. यहां बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है.
सड़क एवं भवन निर्माण के नाम पर यहां लूट मची है. बनी हुई सड़कों को फिर से बना दिया जाता है. मुख्यमंत्री ने यह घोषणा की थी कि सभी पंचायतों को सड़क से जोड़ा जाएगा, पंचायतों में स्वास्थ्य भवन एवं पंचायत भवन बनाए जाएंगे, पर यह केवल घोषणा तक ही सिमट कर रह गया.
शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार की बात कही जा रही है, पर हालत ये है कि गांव में हाई स्कूल की शिक्षा पाने के लिए 25 किलोमीटर तक की दूरी तय करनी पड़ती है, जबकि महाविद्यालय में पढ़ना तो गांव के लोगों के लिए सपना ही है. स्वास्थ्य का हाल भी यहां सबसे बुरा है. यहां कुपोषित मां और बच्चों की संख्या देश में सबसे ज्यादा है. कुपोषण के कारण बच्चे असमय दम तोड़ रहे हैं. इसके लिए कई योजनाएं चलाई गईं, लेकिन कुपोषण पर काबू नहीं पाया जा सका.
वहीं, मुख्यमंत्री रघुवर दास घोषणा करते हैं कि राज्य में विकास की धारा बहने लगी है और अब यहां विकास कार्य दिखने लगे हैं. मुख्यमंत्री को कागजी आंकड़ों पर विश्वास न कर भौतिक सत्यापन करना चाहिए, तभी यह पता चलेगा कि सचमुच झारखंड कितना विकास कर रहा है.
डेढ़ वर्षों में दिख रहा है राज्य में विकास : मुख्यमंत्री
भाजपा के आला नेताओं का आशीर्वाद पाकर मुख्यमंत्री रघुवर दास कुछ ज्यादा ही उत्साहित हैं. अपनी पार्टी के पूर्ववर्ती सरकारों पर निशाना साधते हुए वे कहते हैं कि पिछली सरकार ने झारखंड में कुछ नहीं किया, जबकि उनके डेढ़ साल के कार्यकाल में विकास की झलक दिखने लगी है. दास कहते हैं कि वे वादा नहीं करते, बल्कि कर के दिखाते हैं. झारखंड गठन के बाद से स्थानीय नीति को लेकर केवल राजनीति होती रही, लेकिन सत्ता में आते ही उन्होंने स्थानीय नीति की घोषणा कर दी, जिसका लाभ यहां के लोगों को मिल रहा है. तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग की नौकरी केवल स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित कर दी गयी है.
यह पूछे जाने पर कि आपने पिछले वर्ष एक लाख लोगों को नौकरी देने का वादा किया था, इस पर अभी तक क्या कार्रवाई हुई, तो उन्होंने कहा कि सभी विभागों को रिक्त पदों की सूची देने को कहा गया है. जैसे-जैसे रिक्तियां आती जा रही हैं, उन्हें भरने का काम किया जा रहा है. राज्य में बेसिक संरचना का विकास हो रहा है, सभी पंचायतों को सड़क से जोड़ने का काम शुरू हो गया है, साथ ही रिंग रोड एवं शहरी सड़कों का निर्माण कार्य भी तेजी से हो रहा है. जल संरक्षण के लिए डेढ़ लाख डोभा बनाए गए हैं. इस साल पांच लाख डोभा बनाने का लक्ष्य रखा गया है. डोभा में जल संचय होने से इसका लाभ किसानों को मिलेगा, साथ ही बड़े तालाबों के निर्माण का भी आदेश दिया गया है.
उन्होंने कहा कि राज्य में बड़े औद्योगिक घरानों ने झारखंड में निवेश की इच्छा जताई है. उद्योगपतियों को आकर्षित करने के लिए महानगरों में रोड शो का आयोजन किया जा रहा है. मुम्बई एवं बेंगलुरू में हुए कार्यक्रम में कई उद्योगपति निवेश करने को राजी हुए हैं. झारखंड में सभी आधारभूत संरचना, खनिज एवं अन्य संसाधन मौजूद हैं. झारखंड धीरे-धीरे एजुकेशनल हब बनने की ओर अग्रसर है. नक्सलवाद पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि नक्सलियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है. नागरिकों की सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है. विधि-व्यवस्था के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा. भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने का वादा हमने जनता से किया है. भ्रष्ट अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई हो रही है, इसके लिए एक एंटी करप्शन ब्यूरो का गठन किया गया है.
राज्य में रघुवरी नहीं रावण राज: सुखदेव
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखदेव भगत झारखंड में रघुवर राज नहीं, बल्कि रावण राज मानते हैं. उन्होंने कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है. थाने में आदिवासी इंस्पेक्टर की हत्या एवं एक निर्दोष आदिवासी बालक की पुलिस द्वारा पीट-पीटकर हत्या से यह साबित होता है कि राज्य में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है. पुलिस के वरीय अधिकारी भी यह स्वीकार कर रहे हैं कि राज्य में आपराधिक व नक्सली घटनाएं बढ़ी हैं, जिससे विकास कार्य बाधित हो रहे हैं.
उन्होंने कहा कि पिछले माह अपराधियों ने राज्य में 28 लोगों की हत्या कर दी है. राज्य में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति उत्पन्न हो गई है. इस सरकार को घोषणा वाली सरकार की संज्ञा देते हुए उन्होंने कहा कि यह सरकार भी प्रधानमंत्री मोदी की तरह लोगों को केवल सब्जबाग दिखा रही है. राज्य में स्थानान्तरण और पदस्थापन का खेल चल रहा है. पैसा लेकर अधिकारियों की पोस्टिंग की जा रही है, अधिकारियों को लूट की छूट दे दी गई है और इसका लाभ मंत्री, मुख्यमंत्री उठा रहे हैं.
उन्होंने सरकार को आदिवासी विरोधी बताते हुए कहा कि अधिसूचित क्षेत्र में भी आदिवासी एवं स्थानीय लोगों को तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग की नौकरियों में सौ प्रतिशत आरक्षण नहीं मिल पा रहा है. आदिवासी बहुल गांवों में विकास कार्य रोक दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि स्थानीय नीति भी बाहरी लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए लाई गई है.
जनता को गुमराह कर रही है सरकार: बाबुलाल
झारखंड विकास मोर्चा के सुप्रीमो बाबुलाल मरांडी तो इस सरकार को केवल कागजी घोषणाओं वाली सरकार बताते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार हर मोर्चे पर विफल है. अपराध, नक्सलवाद जहां तेजी से बढ़ा है, वहीं विकास का काम कुछ हुआ ही नहीं है. यहां कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है. पुलिस कस्टडी में निर्दोष मासूम की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई, पर अभी तक पुलिस अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है, उल्टे उस मासूम को ही नक्सलियों को हथियार सप्लाई करने वाला बताकर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की जा रही है. सत्तारूढ़ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ताला मरांडी के बेटे पर यौन शोषण का तो आरोप है ही, उसने बारह वर्ष की लड़की के साथ विवाह किया, पर सरकार ने इनलोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. वहीं इस मामले की जांच कर रहे अधिकारी का ही तबादला कर दिया गया. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने घोषणा की थी कि तीन वर्ष के पहले किसी अधिकारी का स्थानान्तरण नहीं किया जाएगा, पर छह-छह माह में ही अधिकारियों का स्थानान्तरण पैसे के लिए हो रहा है.
मुख्यमंत्री बदलता झारखंड का नारा दे रहे हैं, पर झारखंड में क्या बदला है? उद्योग लगाने के नाम पर मंत्री, अधिकारी देश-विदेश का दौरा कर रहे हैं, जबकि राज्य में एक भी उद्योग धंधे नहीं लगे हैं. वहीं, स्थानीय नीति के नाम पर स्थानीय लोगों का हक मारा जा रहा है.प