‘भगवान’ चौतरफा खतरे में है । ‘भगवान’ के खतरे का आकलन होना चाहिए ।पर व्यापक आकलन के लिए अभी लगभग डेढ़ साल शेष है । फिर भी त्वरित आकलन तो संभव है । फिलहाल एक और महत्व की बात है जो कल अभय कुमार दुबे ने ‘लाऊड इंडिया टीवी’ पर संतोष भारतीय से बात करते हुए उठायी ।कोरोना महामारी अंतरराष्ट्रीय षड़यंत्र या प्रपंच है, इस ओर अभय दुबे ने इशारा किया ।यही नहीं उन्होंने कहा कि इस विषय पर अलग से घंटे डेढ़ घंटे का संतोष जी कार्यक्रम करें तो बहुत से तथ्य रखे जाएंगे ।इसके अलावा यह भी चौंकाने वाला तथ्य है कि अमरीका के ‘बिल गेट्स फाउंडेशन ने संतोष भारतीय को खरीदने की कोशिश की , क्योंकि उन तथ्यों को उन्होंने उजागर किया था जो इस षड़यंत्र की ओर इशारा करते हैं । सारा खेल दुनिया की आबादी को, फाउंडेशन के हिसाब से, पचास करोड़ तक लाने का था ।यह सब चौंकाने वाला तो है ही ,साथ ही भारत जैसे देश के लिए आंखें खोलने वाला भी है । लेकिन वहीं अनेक सवाल भी हैं जो इस चर्चा या कार्यक्रम में उभरेंगे ।मसलन यदि कोरोना WHO और फाउंडेशन की मिलीभगत का नतीजा है तो आक्सीजन की कमी से हो रही मौतों का सच क्या है ।उसकी सच्चाई कहां तक सही है ।और भी अनेक सवाल हैं जो उठेंगे । संतोष जी से अनुरोध है कि इस कार्यक्रम को शीघ्र आयोजित करें । मैंने अभी तक एक भी वैक्सीन नहीं ली है ।मन ही नहीं हुआ । कोई भी कहेगा ‘मन नहीं हुआ’ का मतलब ! तो बस मन नहीं हुआ। और फिलहाल लेने का कोई इरादा भी नहीं है। यह भी देख रहा हूं कि दोनों वैक्सीन लेने के बाद भी लोगों को फिर से कोरोना हो रहा है ।’सत्य हिंदी’ के आशुतोष और उनका परिवार उदाहरण है । खैर , जनता के लिए यह कार्यक्रम होना ही चाहिए ।
गया सप्ताह और अब आगे का समय राजनीतिक दृष्टि से कौतूहल भरा रहने वाला है । ‘भगवान’ के वजूद पर आंच जो आती दिख रही है । सवाल है कि क्या फरवरी में यूपी का चुनाव मोदी जी का ‘औरा’ घटायेगा और क्या चौबीस उन्हें ले डूबेगा । स्पष्ट है । अगर अगले दो महीने बाद के चुनाव बीजेपी हारती है तो मोदी के व्यक्तित्व पर आंच आएगी ।उनका डर बढ़ेगा और बौखलाहट बढ़ेगी ।ऐसे में राजा क्या कर जाए , देखने वाला होगा । पंजाब में अपनी जान पर खतरा कह कर मोदी ने बौखलाहट में खुद का भारी नुकसान किया । मोदी स्वयंभू ‘भगवान’ हैं । अपने औरे के भीतर वे इंसान ही हैं इसलिए अपनी जैसी आक्रामकता की अपेक्षा वे सामने वाले से भी करें तो क्या आश्चर्य । लेकिन चन्नी वैसे नहीं निकले । चन्नी की प्रतिक्रिया और आचरण आश्चर्यजनक रूप से अद्भुत रहा । मेरा तो मानना है कि राहुल गांधी को भी चन्नी से सबक लेना चाहिए कि हर समय आक्रामकता काम नहीं आती । मोदी जी ने चन्नी को रातोंरात पंजाब राजनीति का सितारा बना दिया ।
आजकल सोशल मीडिया में न्यूज के कार्यक्रमों की भरमार है ।जैसे छोटे इलाकों में चुनाव के दिनों में दो दो पन्ने के टुच्चे अखबार कुकुरमुत्ते की भांति उग आते हैं ।वैसे ही ।पर क्या क्या देखें और कितना देखें ।जो लोग गोदी मीडिया को नहीं देखते, मेरे जैसे ,उनसे कहूंगा कि ‘न्यूजलाण्ड्री’ में मनीषा पांडेय का कार्यक्रम ‘न्यूजसेंस’ जरूर देखें । गोदी मीडिया के भांडपन के दर्शन भी हो जाएंगे और उनकी खिंचाई भी । इधर ‘सत्य हिंदी’ के विस्तार की भी चर्चा है । कुछ समय पहले इनकी चर्चाएं या डिबेट घिसीपिटी सी हुआ करती थीं । मैंने तो बुरा लगने की हद तक आलोचना की थी । लेकिन जब से चुनाव की सरगर्मियां बढ़ी हैं और फिजा में गम्भीरता आती है तबसे इनकी बहसें भी है दमदार होने लगी हैं । मैंने हमेशा पैनल की आलोचना की ।उस पर आशुतोष ने अच्छे लोगों के सामने आकर खुल कर नहीं बोलने जैसी बातें कहीं ।पर लोगों की तो फिर भी अपार भीड़ है । तब भी परिवर्तन देखने में आया । पैनलिस्ट नये भी दिखे ।मुकेश कुमार के कार्यक्रमों में ठोस पैनल दिखाई पड़ता है । उनका नया कार्यक्रम ‘ताना बाना’ साहित्य और कला जगत का गजब का आनलाइन प्रोग्राम है । लंबा है लेकिन आनलाइन पत्रिका जैसा है ।इस बार चित्रकला को भी समेटा गया ।दया प्रकाश सिन्हा को साहित्य अकादमी पुरस्कार से कार्यक्रम शुरू हुआ । सिन्हा का नाम देख कर सन् 74 की यादें हो आयीं तब उनसे मुलाकातें हुईं थीं ।पर वे किस विचार के हैं तब कौन जानता था । अब तो वे भूल भी गये होंगे । बहरहाल ।यह कार्यक्रम ताजगी देता है । इसलिए भी कि उस दिन रविवार रहता है । अपूर्वानंद को सुनना भाता है ।
विजय त्रिवेदी ने इस बार तीन पैनलिस्ट बुलाए ।काफी कसा हुआ रहा उनका शो । कार्यक्रम वही रोचक है जो बांध लें ।किसी एक से चर्चा करना भी बड़ा रोचक रहता है जैसे पिछले हफ्ते का विजय त्रिवेदी शो था ।या अक्सर आशुतोष की बातचीत रहती है ।शीतल पी सिंह की यूपी की यात्राओं के अनुभव बड़े शानदार हैं ।इसी तरह आजकल अनिल त्यागी मुकेश जी के कार्यक्रमों में खूब नजर आ रहे हैं और बड़ी साफगोई के साथ । यों देखें तो कई हैं जो जब साफ और गम्भीर चर्चा करते हैं ।नीलू व्यास सत्य हिंदी के अलावा ‘न्यूज क्लिक’ पर भी आने लगीं हैं । कार्यक्रम है Points of view’s . न्यूजक्लिक पर भाषा सिंह के कार्यक्रम पहले से ही आ रहे हैं ।बेहद नपे तुले ।कुल मिला कर फिलहाल तो ‘सत्य हिंदी’ ने ही झंडे गाड़े हुए हैं । आलोक जोशी कुछ समय के लिए गायब हैं । लेकिन वे जब भी चर्चा में आते हैं , उन्हें सुनना जरूरी हो जाता है । विनोद शर्मा और श्रवण गर्ग के बारे में बड़ी रोचक चर्चाएं रहा करती हैं । उन पर फिर कभी । सवाल जवाब का कार्यक्रम भी मजेदार है । खासतौर से अंकुर के बीच में लगे ठहाके (ठठा कर) जो आजकल कम लगाता है ।
पुण्य प्रसून वाजपेई में विषय की विविधता भले हो लेकिन समान शैली और रोजाना का एपीसोड ? ये वैसे ही है जैसे हम तो बोलेंगे ।हर बात पर बोलेंगे । एक बड़े पत्रकार से उन्हें लेकर चर्चा हुई फेसबुक पर ।वे बोले मैं तो उन्हें सुनता हूं । मैंने पूछा रोज पूरा ? तो वे अचकचा गये ।यही समस्या है । मुझे नहीं लगता कि लोग उन्हें पूरा सुन पाते होंगे । फिर मेरे जैसों को तो उनकी हिंदी ही बहुत परेशान करती है ।अलावे, परिकल्पना, हालातों , स्वयसेवक, अंतराष्ट्रीय आदि आदि ।और इतना जल्दी जल्दी । एक ही सांस में जैसे ।उन लोगों की दाद देनी पड़ेगी जो रोजाना पूरा सुन पाते होंगे। वाजपेई अन्यथा नहीं लेंगे,आशा है ।
अंत में मुकेश कुमार का एक कार्यक्रम जो ‘बुल्ली बाई’ को लेकर था, उसमें आरफा खानम शेरवानी की बहस बड़ी शानदार लगी । खासतौर पर उन्होंने जिस तरह ,कहने को स्वतंत्र पर भाजपाई , गीता भट्ट धोया , वह सुनने लायक था । एक निवेदन संतोष भारतीय जी से भी ।वे अभय दुबे जी की जिस तरह तारीफ में कसीदे पढ़ते हैं कार्यक्रम
के शुरू और आखीर में उस वक्त अभय जी को देखना भारी पड़ जाता है ।शरीफ आदमी की बहुत तारीफ की जाए तो उसकी मुद्राएं देखने वाली होती हैं । आगे हम क्या कहें । संतोष जी और अभय जी दोनों दिग्गज हैं ।
इंडिया इन्क्लूसिव के बैनर तले ‘रीइमेजिनिंग इंडिया’ नाम से 50 आला शख्सियतों ने सांप्रदायिक नफरत के खिलाफ आनलाइन अभियान शुरू किया है , हमारी शुभकामनाएं !

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