विडंबना है कि जिस खनन उद्योग को कभी भ्रष्टाचार के सवाल पर बंद किया गया था, आज उसी खनन पर स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाने वाले लोगों को जेलों में बंद किया जा रहा है. गोवा के सोनशी में खनन कार्य में लगे ट्रकों का रास्ता रोकने के जुर्म में प्रशासन ने 45 लोगों को जेलों में बंद कर दिया. पहले तो वे जमानत के बाद भी रिहा हो नहीं सके, क्योंकि उन्हें 10,000 का निजी मुचलका भरना था. लेकिन बाद में उनकी रिहाई हुई. इस घटना के बाद से स्थानीय लोगों में खनन कम्पनियों के साथ-साथ अब प्रशासन को लेकर भी उबाल है.
खनन के कारण इन लोगों के रोजगार छिन गए, बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है, लौह अयस्क कणों से भरे घूल उड़ाने वाले ट्रकों ने इन्हें बीमार कर दिया और अब तो पीने के पानी का भी संकट खड़ा हो रहा है. कभी धान की खेती और बागबानी के कारण गुलजार रहने वाले सोनशी के घर अब पूरे दिन धूल से भरे रहते हैं, जिसके कारण लोग अब यहां से पलायन का भी मन बनाने लगे हैं. इनका कहना है कि हमारी परेशानियां सुनने और उनका समाधान करने की बजाय सवाल पूछने और विरोध करने पर उल्टा हमें ही जेलों में बंद कर दिया जा रहा है.
पणजी से 57 किमी की दूरी पर स्थित वालपोई जिले के सत्तारी तालुका का सोनशी गांव कभी अपनी बागवानी के लिए जाना जाता था, लेकिन आज इसकी पहचान ये है कि ये गांव 6 लौह अयस्क की खानों से घिरा हुआ है. लौह अयस्क की इन 6 खानों ने ही यहां के लोगों की जिंदगी दूभर कर दी है. वेदांता और फोमेंटो कम्पनियों द्वारा यहां पर किए जा रहे खनन कार्यों में लगभग 1,200 ट्रक नियमित रूप से लौह अयस्कों की ढुलाई करते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि हर ट्रक प्रतिदिन 6-7 बार आता-जाता है. इतना ही नहीं, लगभग 10 टन लौह अयस्क से भरा ट्रक हर तीन सेकेंड के अंतराल पर इस गांव से गुजरता है. ये खनन कार्य लोगों के स्वास्थ्य के साथ भी बुरी तरह से खिलवाड़ कर रहे हैं.
सिर्फ सोनशी ही नहीं आस-पास के अन्य गांव भी खनन से बुरी तरह से प्रभावित हैं. यहां कई स्पंज आयरन प्लांट लगे हुए हैं, जिनसे निकला कचड़ा गांवों में ही जमा किया जाता है. ये कचड़े जल स्त्रोतों को जहरीला बनाते हैं. स्वास्थ्य के लिए ये कितने हानिकारक हैं, इसे सब बात से समझा जा सकता है कि पर्यावरण मंत्रालय ने स्पंज आयरन कम्पनियों को प्रदूषण के मामले में रेड कैटेगरी में रखा है.
ऐसे तो 1999 से ही सोनशी में खनन कार्य हो रहा है, लेकिन 2007 में एक खान में हुए विस्फोट के बाद से हालात और खराब हो गए. सोनशी के लोगों का कहना है कि वो हमारे लिए बहुत अच्छा समय था, जब भ्रष्टाचार के मामले को लेकर यहां खनन कार्य बंद था. लेकिन अब फिर से हमारे लिए यहां नारकीय स्थिति हो गई है. लोगों का कहना है कि हमने शुरू से ही इस खनन के खिलाफ आवाज उठाई है, लेकिन हमारी परेशानी सुनने की जगह, हम पर ही कार्रवाई कर दी जाती है. ट्रकों का रास्ता रोकने पर 11 अप्रैल को हुई 45 लोगों की गिरफ्तारी नई बात नहीं है.
फरवरी 2016 में भी यहां के लोगों ने प्रशासन के समक्ष बड़े स्तर पर आवाज उठाई थी. इन्होंने मांग की थी कि इन्हें शुद्ध पीने का पानी, रोजगार, बच्चों के लिए स्कूल और खेल के मैदान जैसी सुविधाएं मुहैया कराई जाय और ट्रकों की आवाजाही से होने वाली परेशानियों को दूर किया जाय. लेकिन तब भी इनकी बात नहीं सुनी गई. एक महीने बाद ही मार्च में 100 लोगों को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया था. ये लोग ट्रकों का रास्ता रोक रहे थे. इस साल 27 जनवरी को भी लोगों ने अपने गांव से ट्रकों की आवाजाही का विरोध किया था.
लोक ही नहीं तंत्र को भी खोखला करता रहा है अवैध खनन
खनन उद्योग का देश की अर्थव्यवस्था में एक बड़ा योगदान है. लेकिन देश भर में चल रहे खनन कार्यों में से अधिकतर पर भ्रष्टाचार को लेकर सवाल उठते रहे हैं. गोवा में चल रहा खनन कार्य भी इससे अलग नहीं है. यहां तो भ्रष्टाचार के सवाल को लेकर ही पूरे राज्य में खनन कार्यो पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है. सितंबर 2012 में आई शाह कमीशन की रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ था कि भ्रष्टाचार का अखाड़ा बन चुके खनन में 35,000 करोड़ का घोटाला हुआ है. इस रिपोर्ट के आने के महज तीन दिन बाद ही गोवा सरकार ने राज्य में खनन पर रोक लगा दिया था.
इसके अगले ही महीने सुप्रीम कोर्ट ने भी राज्य में चल रही सभी खनन गतिविधियों के साथ-साथ लौह अयस्कों के आयात-निर्यात को राज्य में पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया. हालांकि अप्रैल 2014 में ही सुप्रीम कोर्ट ने खनन कार्यों को फिर से बहाल कर दिया. खनन कार्यों से प्रतिबंध हटाते हुए कोर्ट ने खनन की सीमा तय की थी और कहा था कि प्रति वर्ष 20 मिलियन टन से ज्यादा लौह अयस्कों का खनन नहीं होना चाहिए. लेकिन स्थानीय स्तर पर अवैध खनन के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों की मानें, तो गोवा में खनन माफिया खनन को लेकर अदालत द्वारा तय की गई इसा सीमा का सरेआम उल्लंघन कर रहे हैं.
खनन ने उद्यमी से मज़दूर बना दिया
सोनशी गांव में धान की खेती और बागवानी बड़े स्तर पर होती रही है. यहां के लोग सुपारी, नारीयल और मशाले पैदा करने से लेकर उससे संबंधित उद्यमों से भी जुड़े रहे हैं. लेकिन खनन के कारण अब यहां खेती खत्म होती जा रही है. खनन से यहां की जमीनें बंजर हो रही हैं और साथ ही सिंचाई के स्त्रोत भी खत्म होते जा रहे हैं. सोनशी की बागवानी कभी पूरे गोवा में मशहूर थी, लेकिन खनन ने आज इसकी पहचान बदलकर रख दी है.
अब चारो तरफ धुंध और धुल का ही कब्जा है. जो लोग कल तक खेती कर रहे थे या खेती के सहारे अपने उद्योग-धंधे चला रहे थे, उन्हें आज उसी खनन कार्य में दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करना पड़ रहा है. अगर खनन कम्पनियों की तरफ से इन्हें समानजनक वेतन वाली कोई स्थाई नौकरी मिल जाती है, तो इनके लिए राहत होगी, लेकिन अभी इसकी संभावना नजर नहीं आ रही है.