आपने भूत-प्रेतों के किस्से तो खूब सुने होंगे लेकिन आप इन बातों पर कभी यकीन नहीं कर पाते हैं क्योंकि ऐसी चीज़ें आपने सिर्फ महसूस की होंगी लेकिन इन्हें कभी देखा नहीं होगा. आपको बता दें कि भारत में एक जगह ऐसी है जहाँ पर सालों पहले दुनिया को अलविदा कह चुका देश का एक जवान आज भी अपनी ड्यूटी निभा रहा है.
जी हाँ लोग इस बात कोप हकीकत मानते हैं. उनका मानना है कि एक सैनिक है जो अपनी मौत के बाद आज तक देश के लिए अपना फ़र्ज़ निभा रहा है. यह सैनिक और कोई नहीं बल्कि बाबा हरभजन सिंह है जिसके बारे में कहा जाता है कि वो आज भी पूरी मुस्तैदी के साथ देश की सेवा कर रहा है.
30 अगस्त 1946 को जन्मे बाबा हरभजन सिंह, 9 फरवरी 1966 को भारतीय सेना के पंजाब रेजिमेंट में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे. 1968 में वो 23वें पंजाब रेजिमेंट के साथ पूर्वी सिक्किम में सेवारत थे. 4 अक्टूबर 1968 को खच्चरों का काफिला ले जाते वक्त पूर्वी सिक्किम के नाथू ला पास के पास उनका पांव फिसल गया और घाटी में गिरने से उनकी मृत्यु हो गई. पानी का तेज बहाव उनके शरीर को बहाकर 2 किलोमीटर दूर ले गया.
कहा जाता है कि उन्होंने अपने साथी सैनिक के सपने में आकर अपने शरीर के बारे में जानकारी दी. खोजबीन करने पर तीन दिन बाद भारतीय सेना को बाबा हरभजन सिंह का पार्थिव शरीर उसी जगह मिल गया.
बता दें कि बाबा हरभजन की एक समाधि भी बनी है जिसे अब बाबा हरभजन मंदिर के नाम से जाना जाता है. हर साल हजारों लोग यहां दर्शन करने आते हैं. उनकी समाधि के बारे में मान्यता है कि यहाँ पानी की बोतल कुछ दिन रखने पर उसमें चमत्कारिक गुण आ जाते हैं और इसका 21 दिन सेवन करने से श्रद्धालु अपने रोगों से छुटकारा पा जाते हैं.
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कहा जाता है कि मृत्यु के बाद भी बाबा हरभजन सिंह नाथु ला के आस-पास चीन सेना की गतिविधियों की जानकारी अपने मित्रों को सपनों में देते रहे, जो हमेशा सच साबित होती थीं. और इसी तथ्य के आधार पर उनको मरणोपरांत भी भारतीय सेना की सेवा में रखा गया. उनकी मौत को 48 साल हो चुके हैं लेकिन आज भी बाबा हरभजन सिंह की आत्मा भारतीय सेना में अपना कर्तव्य निभा रही है. बाबा हरभजन सिंह को नाथू ला का हीरो भी कहा जाता है.