गया जिले के कोच थाना क्षेत्र के सोनडीहा गांव के पास 13 जून 2018 की रात एक देशी चिकित्सक की पत्नी व बेटी के साथ हुए गैंप रेप की घटना पर अब सियासी रंग चढ़ने लगा है. विरोधी दल और संगठन इस मामले में बिहार सरकार की विधि व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए ऐसी घटना के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है. कुछ नेता इसे जातीय रंग देने का भी प्रयास कर रहें हैं.
सबसे बड़ी बात यह है कि पूरे समाज को शर्मसार कर देने वाली इस घटना की पीड़िता को न्याय मिले और दोषी को जल्द से जल्द सजा मिले, इसका प्रयास होना चाहिए. लेेकिन राजनीतिक दल इसे अपने हिसाब से राजनीतिक रंग देने का प्रयास कर रहें हैं. पुलिस आनन-फानन में संदिग्धों के नाम पर कई लोेगों को उठा कर दो की पहचान भी करा दी. लेकिन पुलिस की इस कार्यवाही पर भी सवाल उठ रहा है. कहा जा रहा है कि पुलिस अपनी विफलता छिपाने के लिए निदोर्षो को इस मामले में फंसा रही है.
गुरारू थाना क्षेत्र से अपनी क्लिनिक बंद कर मोटर साईकिल से रात 8 बजे अपनी पत्नी और बेटी के साथ अपने गांव लौैट रहे एक ग्रामीण चिकित्सक को रौना- कनौसी मार्ग में सोनडीहा गांव के पास अपराधियों ने पेड़ से बांध कर, उसके सामने ही पत्नी और बेटी से सामूहिक बलात्कार किया. रास्ता उस रात पूरी तरह अपराधियों के कब्जे में था. क्योंकि इस घटना से पूर्व अपराधियो ने उस मार्ग से गुजर रहें राहगीरों को भी लूटा था.
लोगों ने इसकी शिकायत पुलिस से भी की थी लेकिन पुलिस सजग नहीं हुई. अन्यथा, सामूहिक बलात्कार जैसी घटना नहीं होती. रात को जब पीड़ित परिवार ने थाना पहुंच कर लूटपाट और गैंपरेप की सूचना दी तो गुरारू थाने के पुलिसकर्मियों के होश उड़ गये. रात में ही इस घटना की जानकारी जिले के पुलिस कप्तान समेत सभी वरीय पुलिस पदाधिकारियों को मिली.
दूसरे दिन इस घटना पर राज्य भर में हो-हल्ला मच गया. पुलिस ने भी त्वरित कार्यवाही करते हुए दो दर्जन लोेगों को हिरासत में ले लिया और दो की पीड़िता से पहचान भी करा ली. इसके बाद राजनीति शुरू हो गई, क्योंकि इस घटना में एक जाति विशेष के गांव के लोेगों को ही आरोपी बताया जा रहा है. जबकि लोेगों का कहना है कि इस गांव के लोगों का कोई अपराधिक इतिहास नहीं रहा है.
गांव के पास घटना हुई, इससे गांव के लोेग ही होंगे, कोई जरूरी नही हैं. पुलिस को इसकी गहन जांच कर दोषी को सजा दिलानी चाहिए. विरोधी दल के कुछ नेताओं ने तो यहां तक कह दिया कि भाजपा समर्थित लोेगों ने इस घटना को अंजाम दिया. लेकिन घटना ऐसी है कि किसी ने भी ऐसे बयान पर कुछ बोलना उचित नहीं समझा.
गैंप रेप की इस घटना के बाद बिहार में सियासत तेज हो गयी. प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने राजद की जांच कमिटी गठित कर दी. 15 जून 2018 को राजद की जांच टीम गैंप रेप पीड़िता व परिवार से मिलने गुरारू पहुंचा. इस टीम ने राज्य सरकार से 50 लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग की. जनअधिकार पाटी के अध्यक्ष और सांसद पप्पू यादव भी पीड़िता से मिले. उन्होंने दुष्कर्म से संंबंधित कानून में संशोधन करने की अपील भी की. इस घटना के विरोध में पूरे गया जिला में प्रर्दशन हो रहा है.
हर संगठन और व्यक्ति इस घटना की निंदा कर रहा है. वहीं दूसरी ओर, सोनडीहा गांव के कुछ लोेगों ने गया के वरीय आरक्षी अधीक्षक राजीव मिश्रा को आवेदन देकर मामले में शामिल अपराधियों की सही तरीके से पहचान किये जाने की मांग की है. ग्रामीणों का कहना है कि सेानडीहा के 20 लोेगों को पुलिस थाने ले गई थी. इसमें से दो की पीड़ित लड़की से पहचान करा ली गई है. ग्रामीणों का कहना है कि सभी अपराधियों का नारको टेस्ट हो, ताकि इसमें शामिल अपराधियों को ही सजा दिलाई जा सके. मांग करने वालों में संजय शर्मा, उमा देवी, शशि देवी, देवमणि देवी, शिव बिरेंद्र कुमार है.
दूसरी ओर, रेप पीड़िता की पहचान उजागर करने के आरोप में राजद नेताओं पर गया पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है. गया के एसएसपी राजीव मिश्रा ने बताया कि 15 जून 2018 को रेप पीड़िता नाबालिग लडकी की मेडिकल जांच के लिए पुलिस मगध मेडिकेल कॉलेेज अस्पताल आई थी. वहां मौजूद कुछ नेताओं ने पुलिस गाड़ी से पीड़िता को जबरन उतार कर हालचाल पूछा. इस दौरान पीड़िता के साथ हाथापाई भी की गयी.
एसएसपी ने कहा कि इस मामले में पीड़िता की पहचान उजागर करने व सरकारी काम में बाधा पहुंचाने वाले नेताओं पर प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. केस में राजद के प्रधान महासचिव आलोेक मेहता, राजद विधायक सुरेंद्र प्रसाद यादव, पूर्व सांसद रामजी मांझी, राजद महिला प्रकोष्ट की प्रदेश अध्यक्ष आभा लता व गया जिला राजद अध्यक्ष सहित कई नेताओं के नाम है.
इस मामले में एक गम्भीर बात का पता चला है कि प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी भी घुसपैठ करने की फिराक में है. गैंप रेप आरोपियों को सजा देने के नाम पर माओवादी जाति विशेष के गांव पर हमला कर अपने घटते जनाधार को पुन: बढ़ाने के प्रयास में है. सूत्रों की माने तो माओवादी सोनडीहा गांव पर हमला कर हिंसक कारवाई कर सकते है. ऐसा हुआ तो दक्षिण बिहार में एक बार फिर जातीय संघर्ष से अराजक स्थिति उत्पन्न हो जाएगी.